चीन और वेटिकन के साथ हुए समझौते पर चीन को बड़ी जीत हाथ लगी है। इस समझौते के तहत चीन ने वेटिकन को झुकाते हुए अपने देश के चर्चों में पादरियों की नियुक्ति अपने हाथ में सफल रहा। इस तरह अब चीन में पादरियों की नियुक्ति रोम से नहीं होगी। इस समझौते में चीन की हुई जीत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वेटिकन ने शनिवार को इस समझौते की घोषणा करने के साथ कहा है कि इस समझौते के बाद चीन और कैथोलिक चर्च के बीच संबंध सामान्य होने का मार्ग प्रशस्त होगा। इस तरह चीन और वेटिकन के बीच 1951 में हुआ समझौता रद्द हो गया है। ऐसा नहीं है कि कैथोलिक चर्च की अलग स्वयंभू सत्ता चीन में ही था। उसका अलग सत्ता केंद्र भारत में भी है। भारत के चर्चों में पादरियों की नियुक्ति आज भी रोम से होती है। सवाल उठता है कि भारत चीन जैसा कड़ा कदम कब उठाएगा?
मुख्य बिंदु
* चीनी सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए रोम से चीनी चर्च में पादरियों की नियुक्ति पर लगाई पाबंदी
* चीनी चर्च में पादरियों की नियुक्ति अब चीनी सरकार करेगी, भारत में कब तक होती रहेगी रोम से पादरियों की नियुक्ति
वैसे तो चीन शुरू से ही एक देश में एक अलग सत्ता केंद्र के खिलाफ था। चीन में दो साल पहले सत्ता में आई जिनपिंग की सरकार ने वहां के चर्चों और क्रिश्चियनों पर अंकुश लगाना शूरू कर दिया था। लेकिन इस समझौते के बाद चीन के चर्चों में पादरियों की नियुक्त भी चीन सरकार ही करेगी। इस तरह राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपने देश में चर्च के रूप में अलग सत्ता-केंद्र को ध्वस्त कर दिया है।
चीन की यह बड़ी जीत है। चीन ने वेटिकन के साथ समझौते के तहत यह तय करने का अधिकार अपने पास रखने में सफल रहा है कि चीनी चर्च में पादरियों की नियुक्ति अब रोम से नहीं होगी बल्कि चीनी सरकार करेगी। अब सवाल उठता है कि जब चीन ऐसा कर सकता है तो फिर भारत सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती? आखिर क्यों अभी भी भारतीय चर्चों में पादरियों की नियुक्त रोम से अनवरत रूप से होती आ रही है। जब कैथोलिक चर्च भारत में है तो फिर भारत सरकार क्यों नहीं वहां के पादरियों की नियुक्त का फैसला कर सकती है?
Big win for CHINA ….. they decided … that all Chinese Christian Bishops priests will be appointed by Chinese government and not by ROME ..Huge win for CHINA… why cant INDIA do same .. Why INDIAN bishops in INDIAN church are appointed by ROME?
—https://t.co/Dur3DdoC6p
— No Conversion (@noconversion) 24 September 2018
गौरतलब है कि चीन और वेटिकन के बीच पादरियों की नियुक्त पर हुए समझौते के बाद चीन ने कहा है कि अब उनके क्रिश्चियनों के साथ संबंध बेहतर होने की उम्मीद है। इससे साफ जाहिर होता है कि चीन ने वेटिकन को स्पष्ट रूप से यह आगाह कर रखा था कि अगर रोम से चीन के चर्चों में पादरियों की नियुक्ति जारी रही तो उससे संबंध सुधरने का कोई उम्मीद नहीं करे। मालूम हो कि चीन में सरकार द्वारा संचालित एक एसोसिएशन और एक गैर सरकारी चर्च के बीच करीब एक करोड़ 20 लाख कैथोलिक विभाजित हैं। गैर सरकारी चर्च जहां वेटिकन के प्रति निष्ठा रखता है वहीं सरकार द्वारा संचालित एसोसिएशन चीनी सरकार के प्रति प्रतिबद्ध है। वेटिकन अब लाख कहे कि यह समझौता राजनीतिक नहीं बल्कि पादरियों की नियुक्त को लेकर है लेकिन दुनिया जानती है कि इसका राजनीतिक मायने कितना है।
चीन ने पादरियों की नियुक्ति का अधिकार हस्तगत करने के साथ ही कैथोलिकों की रोम के प्रति प्रतिबद्धता पर ही आघात किया है। अब जब चीन ने पादरियों की नियुक्ति अपने हाथ में ले लिया है तो अब वेटिकन उसे मान्यता देने पर बाध्य हो जाएगा। जिसके बारे में पहले ही पोप फ्रांसिस ने साल 2013 में पदभार संभालने के बाद ही बता दिया था। उन्होंने पहले ही चीन के साथ संबंध सुधारने की बात कही थी जो आज समझौते के रूप में परिलक्षित हुई है।
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