राहुल गांधी संसद में भले ही मोदी के गले पर भाजपा से प्यार का दिखावा करे लेकिन संघ के प्रति अपनी घृणा का इजहार कर चुके हैं। हाल ही में ब्रिटेन और जर्मनी की यात्रा पर गए राहुल गांधी ने संघ की तुलना आईएस तथा मुसलिम ब्रदरहुड से की थी। हालांकि अभी आधिकारिक रूप से न तो संघ ने राहुल गांधी को न्योता दिया है न ही कांग्रेस पार्टी ने मानने या न मानने की बात कही है। लेकिन इतना तय है कि अगर बात उठी है तो संघ अपने तीन दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम में राहुल गांधी को निमंत्रण दे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि संघ पहले भी राहुल गांधी को अपने कार्यक्रम में आने का न्योता दे चुका है, जिसे राहुल गांधी मना कर चुके हैं। लेकिन इस बार परिस्थिति भिन्न है। अब सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी इस बार पुरानी गलती दोहराएंगे? वैसे संघ ने ऐसी चाल चली है जिसमें राहुल गांधी का फंसना तय है। अगर राहुल गांधी संघ के कार्यक्रम में गए तो अपनी अज्ञानता के कारण फंसेंगे, अगर नहीं गए तो अपने प्रेम के दिखावे के कारण। संघ ने राहुल गांधी के सामने खाई और कुएं जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
मुख्य बिंदु
* संघ के मंच से “भविष्य का भारत” विषय पर अपना विचार रख पाएंगे राहुल गांधी?
* या पिछली बार की तरह संघ का न्योता ठुकराकर फिर आलोचना का पात्र बनेंगे?
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 17 से 19 सितंबर के बीच संघ संचालक मोहन भागवत का तीन दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहा है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में “भविष्य का भारत: संघ का दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान होगा। इस कार्यक्रम में विदेशी राजनयिक समेत करीब 400 लोग शामिल होंगे। संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार का कहना है कि इस कार्यक्रम में विभिन्न विचाराधारा वाले राजनीतिक दलों के प्रमुखों के अलावा समाज के हर क्षेत्र और संगठन के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। वैसे तो अभी कुछ निश्चित नहीं है लेकिन कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी को निमंत्रण दिया जा सकता है। संघ इस प्रकार का अपना पहला कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत इस विषय पर अपना विचार रखेंगे तथा सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख लोगों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।
राहुल गांधी के लिए खाई और कुएं जैसी स्थिति
हालांकि निमंत्रण को लेकर अभी तक औपचारिक रूप से कुछ ऐलान नहीं किया गया है फिर भी मीडिया में इसकी चर्चा जोरों पर है। विशेषकर सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निमंत्रण को लेकर। चर्चा होना स्वाभाविक भी है खासकर राहुल गांधी को लेकर। जिस प्रकार राहुल गांधी शुरू से संघ को बदनाम करने का हर जतन करते आ रहे है, ऐसे में संघ द्वारा निमंत्रण देना विरोधियों को गले लगाने का उत्तम उदाहरण साबित होगा। वैसे भी संघ किसी भारतवंशी को गैर नहीं मानता है। ऐसे में अगर राहुल गांधी संघ का निमंत्रण ठुकराते हैं तो एक बार फिर वे आलोचना का पात्र बनेगें। क्योंकि संसद में मोदी को गले लगाकर वे देश में प्रेम का संदेश देने का दिखावा कर चुके हैं। लेकिन राहुल गांधी की असली परीक्षा अब होने वाली है।
वैसे भी राहुल गांधी के लिए संघ के इस प्रबुद्ध कार्यक्रम में भाग लेना एक तरफ खाई और दूसरी तरफ कुएं की तरह है। जहां तक संघ के व्याख्यान कार्यक्रम में भाग लेने की बात है तो यकीन मानिए राहुल गांधी पिछली बार की तरह इससे किसी प्रकार किनारा कर लेंगे। वह राजनीतिक मकसद से नहीं बल्कि अपनी अज्ञानता के कारण किनारा करेंगे। जो व्यक्ति किसी यूनिवर्सिसी में छात्र-छात्राओं के सामने किसी विषय को ठीक से नहीं रख पा रहा हो, करीब 14 सालों से लोकसभा सदस्य होने के बावजूद संसद में अपनी बात ठीक से नहीं रख पा रहा हो वह संघ के प्रबुद्ध कार्यक्रम में कैसे शिरकत कर पाएंगे? अगर राहुल गांधी संघ के कार्यक्रम से किनारा करते हैं तो वो उनका बिल्कुल ही व्यक्तिगत कारण होगा, लेकिन पार्टी इसे वैचारिक मामला बताकर तूल देने का प्रयास करेगी।
URL: RSS may invite Rahul gandhi for its lecture series
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