सऊदी अरब में मानव अधिकार तथा शिया मुसलमानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ रही एक महिला कार्यकर्ता का सिर काट दिया गया, जबकि अभी अपील करने का समय उसके पास बचा हुआ था। क्या आपको देश के किसी लिबरल ब्रिगेड चैनल या वेबसाइट ने इस अन्याय के बारे में बताया है? हाल ही में दिल्ली के मुसलिम पत्रकार ‘शिया-सुन्नी एकता जिंदाबाद’ का नारा बुलंद करते हुए जामा मसजिद इलाके में इफतार पार्टी कर रहे थे, लेकिन आज शियाओं के हक में कुर्बान हुई इस महिला के लिए उनकी जुबान पर ताला जड़ गया है! भारत के वामी और इसलामी पत्रकारों इसलाम के नाम पर एक महिला का गला काटने वालों की शान में तुम्हें ईद मुबारक…!
मालूम हो कि जिस मानवाधिकार महिला कार्यकर्ता का सिर कलम किया गया है उसका नाम एसारा अल गोमगाम था। और वह सऊदी अरब के कातिफ प्रांत की रहने वाली थी। जर्मनी के यूरोपियन सऊदी मानवाधिकार संगठन के मुताबिक गोमगाम विश्वाविख्यात मानव अधिकार कार्यकर्ता थी।
गोमगाम का दोष बस इतना था कि उसने शिया मुसलमानों पर सऊदी अरब सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही थी। उसने मानवाधिकार के लिए सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया था। शिया समुदाय पर हो रहे अन्याय के लिए सरकार की आलोचना करने के कारण उन्हें इसी महीने की शुरुआत में मौत की सजा सुनाई गई थी। अभी उसके पास अपील का समय बचा ही था, लेकिन सरकार ने उसका सिर धर से अलग कर दिया।
Saudi Arabia beheaded Human Right Activist & #Shia women " Esraa al-Ghamgam" from Qatif. She was sentenced to death for her criticism of Government over injustice to #Shia community.
Her last words were b4 beheading: "I am being killed innocent, I will seek justice from God." pic.twitter.com/ap4ZPaIBuZ
— ?️abloo (@Manum_Babloo) August 19, 2018
सिर धर से अलग करने से पहले गमगमा ने कहा “निर्दोष होने के बावजूद मेरी हत्या की जा रही है, इस अन्याय के न्याय की फरियाद अल्लाह से करूंगी”। मुसलिम देश में मानवाधिकार और शिया मुसलमानों के लिए हक की लड़ाई लड़ने वाली एक महिला का सिर काट दिया जाता है, लेकिन हमारे देश के किसी लिबरल ब्रिगेड पत्रकारों का जमीर नहीं जगता। इसलिए नहीं जगता क्योंकि वह महिला शिया समुदाय से ताल्लुक रखती थी और शिया समुदाय के हक की लड़ाई लड़ रही थी! देश में शिया समुदाय मुसलमानों में अल्पसंख्यक है। उसका साथ देने से देश का सुन्नी समुदाय नाराज हो जाएगा। क्योंकि हमारे देश में सुन्नी मुसलमानों में बहुसंख्यक है। और सेक्ययूलरिज्म का सारा धंधा, वोट का सारा धंधा, कट्टरपंथ का सारा धंधा इन सुन्नियों के साए में ही चलता, पलता है!
गौरतलब है कि 29 वर्षीया इसरा अल-गोमगाम को अपने पति मूसा अल-हसीम के साथ साल 2015 के दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। उन दोनों को सऊदी अरब के पूर्वी कातिफ प्रांत में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की सुनवाई इसी महीने की शुरुआत में रियाद के विशेष आपराधिक न्यायालय में हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने गोमगाम के साथ ही पांच अन्य प्रदर्शनकारियों को आतंकरोधी कानून के तहत सिर कलम करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश के बाद कोर्ट ने गोमगाम को मौत की सजा सुना दी थी।
Horrifying. For the very first time, Saudi Arabia is set to behead a female human rights defender, Israa Al-Ghomgham, for participating in peaceful protests.
Really puts the “human rights” in UN Human Rights Council. pic.twitter.com/5FionQDqSZ
— Sarah Abdallah (@sahouraxo) August 20, 2018
सऊदी अरब में इस सजा के खिलाफ इससे काफी लोग नाराज हैं। गोमगाम के समर्थन में काफी लोग आने लगे हैं। कई लोगों ने गोमगाम को मिली फांसी की सजा को चुनौती देने के मामले को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में रखने की बात कही थी। सऊदी अरब में मानवाधिकार महिला कार्यकर्ता को सिर कलम करने की सजा को डरावना बताया है। जबकि अक्टूबर तक उनके पास इस फैसले के खिलाफ अपील करने का समय था। लेकिन इसी बीच सरकार ने कोर्ट से मिली सजा को क्रियान्वित करते हुए उसे मौत के घाट उतार दिया।
URL: Saudi Arabia is behead a female human rights activists for peaceful protests.
Keywords: Human rights, Women’s Rights in Islam, Islamic law sharia, Saudi Arabia news