मुसलिम आक्रांताओं की क्रूरता और हवस से सारा इतिहास भरा पड़ा है, लेकिन मार्क्सवादी-नेहरूवादी इतिहासकारों ने उसे ढंकने का जो कुचक्र रचा, वह अलाउद्दीन खिलजी की वासना के कारण पूरी तरह से ढंक नहीं पाया। चित्तौड़ की महारानी पद्मावती को पाने की लालसा में उसके आक्रमण को मिथ्या घोषित करने में वामपंथी इतिहासकार हमेशा लगे रहे, लेकिन मलिक मोहम्मद जायसी की कृति ‘पद्मावत’ और चित्तौड़ के किले में मौजूद साक्ष्य उनके इस प्रयास को विफल करता रहा है। फिल्मकार संजय लीला भंसाली ने जब अपनी फिल्म ‘पद्मावत’ में जौहर दृश्य को दिखाया तो वामपंथी और जेहादी सोच के लोगों ने बार-बार इस दृश्य को हटाने का अभियान चलाया। इसके विरोध में अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने तो यह तक कह दिया कि ‘जौहर से अच्छा यौन दासी हो जाना है।’ स्वरा ने जौहर का विरोध करते हुए खुद को ‘योनी’ के ऐहसास से भर लिया था। इसी तरह वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब, कम्युनिस्ट कविता कृष्णन और अन्य ने इस दृश्य को हटाने का लंबा अभियान चलाया। अब इन्होंने वामपंथी सोच रखने वाले भगवाधारी स्वामी अग्निवेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट से इस दृश्य को हटाने की मांग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। लेखक विपुल रेगे के पोस्ट से जानिए कि क्यों बार-बार ‘पद्मावत’ के जौहर दृश्य पर किया जा रहा है प्रहार!
प्राचीनकाल में जब राजपूत योद्धाओं की हार निश्चित हो जाती थी तो उनकी स्त्रियां जौहर कुंड में आग लगाकर उसमे कूदकर अपना जीवन समाप्त कर लेती थी। इन स्त्रियों का एकमात्र भय होता था कि जीवित रहने पर आततायी शासक के हरम में दासी बनकर रहना होगा। जौहर प्रथा हमारी स्त्रियों को ‘सेक्स स्लेव’ बनने से बचाती थी और राजपूती शान को कायम रखती थी। समय बदला और ये प्रथा विलुप्त हो गई लेकिन इसके प्रति हमारा सम्मान बना रहा। आज कुछ लोगों को इस बात से दर्द होने लगा है कि फिल्मों में ‘जौहर’ क्यों दिखाया जा रहा है। स्वामी अग्निवेश ने सुप्रीम कोर्ट में अजीबोगरीब याचिका लगाते हुए अपील की है कि संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ से जौहर का दृश्य हटा दिया जाए।
Supreme Court dismissed plea of Naxal Agnivesh seeking deletion of scenes from #Padmaavat on the ground that it glorified practice of Jauhar.
— Prashant P. Umrao (@ippatel) April 23, 2018
देश के सर्वोच्च न्यायालय के पास पहले ही अति महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं और ऐसे में स्वामी अग्निवेश जैसे लोग ऐसी हास्यापद याचिका लगाकर कोर्ट का समय बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। अग्निवेश का कहना था कि फिल्म में जौहर का महिमामंडन किया गया है, लिहाजा इस दृश्य को फिल्म से हटा दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर अग्निवेश की अच्छी क्लास लगाई। अग्निवेश के वकील ने तर्क दिया कि देवदास की भूमिका अदा करने वाले दिलीप कुमार अपने प्यार में असफल रहे और वह शराबी बन गए। इस पर चीफ जस्टिस ने वकील से कहा, फिल्म देवदास के कारण क्या कोई प्रेमी शराबी बना?
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन विभाग (सीबीएफसी) ने फिल्म को हरी झंडी दी थी और कोर्ट के मुताबिक कोई अपराध ही नहीं बनता। अग्निवेश के कोर्ट में जाने के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। ख़ास तौर से ट्वीटर पर अग्निवेश पर हिंदूवादी हमलावर हो गए हैं। कुछ यूजर्स ने तो अग्निवेश को ही जौहर करने की सलाह दे डाली है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने अग्निवेश को बुरी तरह लताड़ते हुए कहा ‘क्या आपको लगता है कि फिल्म देखने के बाद कोई जौहर करेगा? इन वर्षों में महिला सशक्तिकरण में वृद्धि हुई है।’
जौहर प्रथा दरअसल उन मुगलों के अत्याचार का प्रमाण है, जिनके चलते हज़ारों-लाखों स्त्रियां अग्निकुंड में जल मरी। जौहर मुगलों के बाद भी दूसरे ढंग से जारी रहा। विभाजन के समय पंजाब के कुंए महिलाओं की लाशों से पट गए थे। ये स्त्रियां अपनी आबरू बचाने के लिए कुओं में डूब मरी थी। जौहर प्रथा भले ही समाप्त हो गई हो लेकिन भारत के लिए सदा ही गर्वोक्ति बनी रहेगी और ये बात अग्निवेश जैसे फर्जी संत समझ नहीं सकेंगे। आप न पद्मावत से ‘जौहर’ हटा सकते हैं और न ही भारत के दिल से इसे निकाल सकते हैं। जौहर प्रथा भारत की स्त्रियों के स्वाभिमान की गाथा है, उसे कोर्ट की मदद से हमारे स्मृति पटल से साफ़ नहीं किया जा सकता। जौहर हमारे माथे पर लगा खूबसूरत वीरता चिन्ह है न कि शर्म!
URL: SC dismisses Swami Agnivesh’s Plea Seeking Deletion Of Scenes From ‘Padmaavat’
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