माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जायेगा और सभी दर्शक खड़े होकर राष्ट्रगान गायेंगे। इस दौरान प्रवेश और निकाश द्वार बंद रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि देश के सभी सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य है। साथ ही राष्ट्रगान के दौरान स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज भी दिखाना होगा। SC ने यह आदेश भोपाल निवासी श्यामनारायण चौकसे की एक याचिका के बाद दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा
राष्ट्रगान पर एक अहम फैसले सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि हॉल में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान से पहले खड़ा होना होगा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि राष्ट्रगान बजाए जाने को लेकर किसी व्यक्ति को कोई व्यवसायिक लाभ नहीं दिया जाए। साथ ही राष्ट्रगान का किसी भी तरह का नाट्य रूपांतरण नहीं करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केन्द्र से एक सप्ताह के भीतर आदेश लागू कराने और सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को इस बारे में जानकारी देने को कहा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि किसी अवांछनीय वस्तु पर राष्ट्रगान को छापा या दर्शाया नहीं जाए।
इस जनहित याचिका को श्याम नारायण चौकसे की तरफ से दायर किया था। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि देशभर में सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए। याचिका में मांग की गई थी कि राष्ट्रगान को सरकारी समारोहों और कार्यक्रमों में गाने के बारे में उचित नियम और प्रोटोकॉल तय होने चाहिए।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि इस दौरान रूपहले पर्दे पर तिरंगे की तस्वीर होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान बजने के दौरान हॉल में उपस्थित सभी लोगों का सम्मान स्वरूप खड़ा होना आवश्यक है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने कहा कि इससे सांविधानिक देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना मन में घर करेगी। पीठ ने कहा, ‘संविधान में अंतर्निहित आदर्शों का पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है और इसी तरह राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान प्रकट करें।’
मुख्य बातें
* जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने अपने ऑर्डर में यह भी कहा है कि राष्ट्रगान बजाने के दौरान सिनेमा हॉल के गेट बंद कर दिए जाएं, ताकि कोई इसमें खलल न डाल पाए। राष्ट्रगान पूरा होने पर सिनेमा हॉल के गेट खोल दिए जाएं।
* राष्ट्रगान को ऐसी जगह छापा या लगाया नहीं जाना चाहिए, जिससे इसका अपमान हो।
* कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रगान से कमर्शियल बेनिफिट नहीं लेना चाहिए।
* कोर्ट ने यह ऑर्डर भी दिया कि राष्ट्रगान को आधा-अधूरा नहीं सुनाया या बजाया जाना चाहिए। इसे पूरा करना चाहिए।
* कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह ऑर्डर 10 दिन में लागू करने को कहा है। साथ ही, सभी स्टेट और यूनियन टेरेटरी से इस बारे में जानकारी देने को कहा है।
* कमर्शियल बेनिफिट के लिए राष्ट्रगान के इस्तेमाल पर रोक लगाई जानी चाहिए।
* इंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रगान का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
* राष्ट्रगान एक बार शुरू होने पर आखिरी तक गाया जाना चाहिए। इसे बीच में नहीं राेकना चाहिए।
पहले भी सिनेमा घरों में बजाया जाता था राष्ट्रगान
* 1960 के दशक में भारत में सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाने की शुरुआत हुई। ऐसा सैनिकों के सम्मान और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने के लिए होता था।
* हालांकि, बाद में शिकायतें हुईं कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान का अपमान होता है इसके बाद करीब 40 साल पहले सरकार ने इसे बंद करवा दिया था।
* 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए नियम बनाया। जिसके तहत सिनेमा हॉल में मूवी से पहले राष्ट्रगान बजाना और इस दौरान लोगों का खड़े रहना जरूरी किया गया।
भाजपा ने किया फैसले का स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और भाजपा प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है और वर्तमान स्थितियों के लिये अति आवश्यक भी है। संविधान की प्रस्तावना में ‘एकता, अखंडता और भाईचारा’ शब्द का विशेष रूप से उल्लेख है। इसके अतिरिक्त संविधान के अध्याय 4 अनुच्छेद 51-अ (मौलिक कर्तव्य) में भी राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से देश की एकता,अखंडता और आपसी भाईचारा को मजबूती मिलेगी। राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के साथ ही राष्ट्रगीत ‘वंदेमातरम’ को भी सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और सिनेमा घरों में अनिवार्य करना चाहिये।
उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कट्टपंथियों को कुछ अक्ल आएगी!
गौरतलब है कि पिछले साल मुंबई के एक सिनेमा हॉल में एक मुस्लिम परिवार राष्ट्रगान के वक्त खड़ा नहीं हुआ था, जिसके बाद काफी विवाद खड़ा हो गया था। दर्शकों ने उस मुस्लिम परिवार को बाहर निकाल दिया था। उस मुस्लिम परिवार के बारे में दर्शकों का कहना था कि उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान किया था और बार-बार कहने के बावजूद राष्ट्रगान के वक्त खड़े नहीं हुए थे। यह भी जानने वाली बात है कि हर देश में मुस्लिमों का एक ऐसा कट्टर वर्ग है, जो जिस देश में रहते हैं, उसी देश के राष्ट्रगान एवं अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान प्रदर्शित नहीं करते। उनका मानना होता है कि इस्लाम अल्लाह के अलावा किसी अन्य के सम्मान की इजाजत नहीं देता है!
भारत की ही तरह हाल ही में कनाडा में भी एक कार्यक्रम में एक मुस्लिम परिवार वहां के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा नहीं हुआ, जिसके बाद यह मांग उठने लगी कि जो मुस्लिम अपने देश व उसके राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान नहीं कर सकते, उन्हें किसी इस्लामी देश में जाकर बस जाना चाहिए! पश्चिमी देशों में मुस्लिमों की इस कट्टरता को लेकर लोगों में गुस्सा पनप रहा है। सीरियाई शरणार्थियों से भरे यूरोपीय देशों के यूनियन से ब्रिटेन का बाहर होने और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत में इसे आसानी से देखा और समझा जा सकता है! उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कट्टर मुस्लिम, अपने देश भारत और उसके राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान के भाव को समझेंगे और उसे प्रदर्शित करेंगे!