अल्पसंख्यकवाद की राजनीति
भारत में केवल 70 से 80 हजार पारसी और बेहद कम, करीब 5 हजार यहूदी हैं। बौद्ध, जैन व सिखों की संख्या भी बहुत अधिक नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यकवाद की राजनीति करने वालों को कभी इन समुदायों की सुध लेते, इन पर टीवी चैनलों में चर्चा करते या इनके लिए कभी सडक पर उतरते देखा है?
दरअसल इस देश में एक ही समुदाय अल्पसंख्यक है, जिसकी जनसंख्या करीब 20 करोड़ है और जिनका जन्मदर 30 फीसदी के आसपास है। बांकी कुछ हजार की जनसंख्या वाले धर्मिक समुदाय भी इस तथाकथित धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक श्रेणी में ही समझे जाते हैं, जिनके बारे में बात करना गुनाह है! यकीन न हो तो 5 हजार की जनसंख्या वाले यहूदी समाज की इस देश में चर्चा कर लीजिए, अभी चीख पुकार मच जाएगी कि आप ’20 करोड की जनसंख्या वाले अल्पसंख्यक’ समुदाय के विरोधी हैं! इस पाखंडी समाज की यही ‘दोगली धर्मनिरपेक्षता‘ है!
Web Title: secularism in india-1
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