रवि रंजन । शनिवार की सुबह 07:15 बजे भागलपुर केंद्रीय कारागार से बाहुबली,आपराधिक छवि और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बाहर निकलने की खबर जैसे ही न्यूज़ चैनलों पर देखा तो मेरे जहन् में नितीश कुमार जी का ख्याल आया की ‘सुशासन बाबू ये उम्मीद आपसे नहीं था’ मोदी विरोध में नितीश जी आप क्या से क्या हो गए?
कुछ देर बाद ही न्यूज़ चैनल पर शहाबुद्दीन का मीडिया बाइट फ़्लैश होना शुरू हो गया जिमसे शहाबुद्दीन बोल रहा था ‘मेरे नेता लालू जी है! नितीश कुमार मेरे नेता नहीं। मेरा उनसे कभी बना ही नहीं.. होंगे वो जद(u) के नेता।’ नितीश जी ये बातें ब्यक्तिगत तौर पे अगर आपको बोले तो ठीक है लेकिन एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक अपराधिक छवि के नेता ऐसा बोले ये तो अन्याय है बिहार के साथ, ये वही गौरवमयी बिहार है जहाँ सिद्दार्थ बुद्ध बने,भगवान महावीर-चाणक्य –चन्द्रगुप्त-सम्राट अशोक की पुण्य भूमि है। नितीश कुमार जी आप मोदी विरोध में आपने अपना सुशाशन बाबु का पद भी गवां दिया।
सवाल तो उठेगा ही नितीश कुमार जी, आखिर ज़मानत के वो कौन से आधार है जो कोर्ट को पिछले 11 सालों से नहीं दिखे और अब महागठबंधन (जद यू+ राजद+ कांग्रेस) को सत्ता में आने के बाद दिखने लगें? ये तो यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब आपको आज न कल देना ही पड़ेगा? मुझे आज भी याद है 2001 में राज्यों में सिविल लिबर्टीज के लिए पीपुल्स यूनियन की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि राजद सरकार कानूनी कार्रवाई के दौरान शहाबुद्दीन को संरक्षण दे रही थी। लालू की सरकार के संरक्षण में वह खुद ही कानून बन गए थे। सरकार की ताकत ने उन्हें एक नई चमक दी थी। पुलिस शहाबुद्दीन की आपराधिक गतिविधियों की तरफ से आंखे बंद किए रहती थी।
शहाबुद्दीन का आतंक इस कदर था कि किसी ने भी उस दौर में उनके खिलाफ किसी भी मामले में गवाही देने की हिम्मत नहीं की। सीवान जिले को वह अपनी जागीर समझते थे। जहां उनकी इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन जब साल 2005 में भाजपा + जद यू की अगुआई में बिहार में सरकार बनी और नितीश जी जब मुख्यमंत्री बने तभी नवंबर 2005 में बिहार पुलिस की एक विशेष टीम ने दिल्ली में शहाबुद्दीन को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था। जब वह संसद सत्र में भागेदारी करने के लिए यहां आए हुए थे। दरअसल उससे पहले ही सीवान के प्रतापपुर में एक पुलिस छापे के दौरान उनके पैतृक घर से कई अवैध आधुनिक हथियार, सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद हुए थे। हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली करने के दर्जनों मामले शहाबुद्दीन पर हैं। अदालत ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब लगा की की बिहार में इकबाल वाली सरकार है,और जनता जनार्दन ने आपको एक नया नाम दिया “सुशाशन बाबु”! उस दौर में बन्दुक की नली गाड़ी में कम दिखने लगा, लूट-पाट कम होते गया जिसका पूरा क्रेडिट मै आपको देता हूँ।
ये दौर बहुत अच्छा चला यहाँ तक की बिहार की जनता ने आपको इस उस सुनहरे दौर के लिए फिर से चुनकर बिहार का मुख्यमंत्री बनाया लेकिन दो साल होते -होते आप ईष्यावश और प्रधानमंत्री पद की लालसा में आप अंधे होते चले गए और भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया लेकिन हुआ क्या वही ‘ढाक के तीन पात’ और आप लोकसभा 2014 का चुनाव बुरी तरह से हार गए.इस हार की बौखलाहट में आपने उस लालू के साथ गठबंधन कर लिया जो कभी जंगलराज के अभिप्र्याय रहे और 2015 विधानसभा में पुनः बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन इस बार आप ‘जंगलराज की वैशाखी’ पे इस पद पर काबिज है, जो अन्दर से आप खोखला बन चुके है ..जहाँ आज आपकी चलती नहीं जिस शहाबुद्दीन को आपने जेल भेजा आज उसी शहाबुद्दीन को जमानत मिला। आखिर कैसे आपको जरा भी इस बात का इल्म न रहा गौर से इस बात को पढियेगा?
ये चंदा बाबू के शब्द है,”मेरे दो बेटों गिरीश और सतीश को मारा गया था, तब एक की उम्र 23 और दूसरे की 18 साल थी दो बेटों की हत्या का बदला लेने के लिए। मेरा बेटा राजीव लड़ रहा था राजीव मेरा सबसे बड़ा बेटा था, लेकिन 16 जून, 2014 को उसे भी मारकर मेरे लड़ने की सारी ताकत खत्म कर दी गई। राजीव को शादी के ठीक 18 दिन बाद मार डाला गया।”
अब महसूस कीजिये इस पिता के दर्द को जिसके एक नहीं तीन तीन जवान बेटों का कातिल सत्ता के आशीर्वाद से जेल से बाहर आ गया है।अब आपके इस सत्ता आशीर्वाद को क्यूँ न आपको ‘कुशासन बाबु’ कहूँ ?