पहले स्पष्ट कर दूं कि मैं विदेश मंत्री सुषमा स्वराजजी का बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने और उनके मंत्रालय ने लखनउ पासपोर्ट मामले को हैंडल किया, वह न केवल गैर कानूनी था, बल्कि एक गलत परंपरा को स्थापित करने का प्रयास था। एक कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी विकास मिश्रा पर मुसलिम तुष्टिकरण को तरजीह दी गयी थी, जो साफ-साफ संवैधानिक व्यवस्था का माखौल उड़ाने के समान था।
आखिर अभिसार शर्मा जैसे पीडी पत्रकारों, वामपंथियों, लुटियन जर्नलिस्टों आदि ने मुसलिम मजहब उछाल कर ही तो इस पूरे मामले को विवादास्पद बनाने का प्रयासा किया था? फिर यह क्यों न माना जाए कि ऐसे पीडी व पेटिकोट पत्रकारों के अभियान के दबाव में ही सुषमा स्वराज के मंत्रालय ने एक कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी का स्थानांतरण्ण केवल इस बिना पर कर दिया कि उस धूर्त महिला द्वारा खेले गये मुसलिम कार्ड के दबाव में वह नहीं आते हुए उसने कानूनसम्मत कार्य किया था।
सादिया अनस नामक महिला तन्वी सेठ के नाम से पासपोर्ट चाहती थी, जबकि उसके निकाहनामे पर साफ-साफ सादिया अनस नाम लिखा था। यही नहीं, महिला मूल रूप से गोंडा की रहने वाली थी, वर्तमान में रह गाजियाबाद में रही थी और पासपोर्ट लखनउ के पते पर चाहती थी। विकास मिश्रा ने इस पर ही सवाल पूछा, जिसे लेकर अभिसार शर्मा जैसे भ्रष्टाचार के आरोपी पत्रकारों ने हिंदू-मुसलिम मुद्दा बनाकर ट्वीटर पर अभियान छेड़ दिया और सुषमा स्वराज व उनका मंत्रालय दबाव में आ गया। उस धूर्त महिला, उसका घटिया मानसिकता वाला पति और हिंदुओं को बात-बात पर जलील करने वाले पेटिकोट पत्रकारों ने इसे लव जिहाद बनाकर पेश कर दिया कि एक महिला को मुसलमान से निकाह करने पर कहा जा रहा है कि उसने अपना हिंदून नाम क्यों नहीं बदला? उसे कहा जा रहा है कि फिर से हिंदू रीति से विवाह करे? आदि-आदि।
इसके विरोध में कानून का पालन करने वाले लोगों ने भी अभियान छेड़ दिया और विकास मिश्रा को न्याय दिलवाने के प्रयास में रात-दिन जुट गये। मोदी सरकार को बार-बार यह याद दिलाया जाने लगा कि आपने कहा था- विकास सभी का, तुष्टिकरण किसी का नहीं तो फिर यह क्या है? लोगों ने सुषमा स्वराज के फेसबुक पेज की रेटिंग को कम करने का अभियान चलाया और उसे बेहद नीचे तक गिरा दिया। कई दिनों तक यह अभियान चलता रहा।
I was out of India from 17th to 23rd June 2018. I do not know what happened in my absence. However, I am honoured with some tweets. I am sharing them with you. So I have liked them.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) June 24, 2018
इस अभियान के बाद सुषमा स्वराज ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया- मैं 17 से 23 जून 2018 के बीच देश से बाहर थी। मैं नहीं जानती कि मेरी गैरजाहिर में यहां क्या हुआ? जो भी हो मुझे कुछ लोगों ने ऐसे ट्वीट से सम्मानित किया है, जिसे मैं आप सभी से शेयर करना चाहूंगी।’ इसके बाद उन्होंने चुन-चुन कर उन्हें अपशब्द और गाली देने वालों के ट्वीट को री-ट्वीट करना शुरु किया। सुषमाजी ने एक भी ऐसे ट्वीट को री-ट्वीट नहीं किया, जिसने तर्क और तथ्यपूर्ण तरीके से उनसे सवाल पूछे थे कि आखिर वह एक गैर कानूनी कार्य को प्रश्रय कैसे दे सकती हैं?
आखिर कैसे एक कर्त्तव्यपरायण अधिकारी को केवल कुछ पीडी पत्रकारों द्वारा चलाए जा रहे सांप्रदायिक अभियान की वजह से सजा दे सकती हैं? आखिर कैसे बिना जांच के एक घंटे में वह पासपोर्ट जारी करने का आदेश दे सकती हैं? आखिर कैसे कानून से बड़ा मुसलिम तुष्टिकरण हो सकता है? सुषमाजी ऐसे सभी सवालों को गोल कर गयी और विक्टिस कार्ड खेल दिया कि मैं विदेश में थी और लोग मुझे गाली दे रहे थे?
Mam, if something good is done by your ministry, credits are given to you. If ur ministry or its allied offices have done a wrong, u can't shy away from taking the responsibility. Plz don't attempt to play victim. Sadia Anas case & Vikas Mishra's transfer is a major blunder.
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) June 24, 2018
सवाल है कि फिर ऐसे मंत्री का क्या काम, जो यदि विदेश चली जाएं तो उनके मातहत मंत्री या अधिकारी मनमानी कर कानून को अपने हिसाब से चलाते हैं? क्या विदेश में इंटरनेट नहीं है? क्या विदेश मंत्री अपने साथ अपना मोबाइल लेकर नहीं जाती हैं? क्या विदेश मंत्री जब विदेश होती हैं तो उनके दौरे से जुड़ी उनका ट्वीट भारत में बैठा कोई उनका मातहत करता है? इससे तो उल्टा सुषमा स्वराज की छवि की धूमिल होती है कि उनके मंत्रालय पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है और जो चाहे उनकी गैरहाजिरी में गैर संवैधानिक-गैर कानूनी आदेश पारित कर सकता है? यही नहीं, सुषमाजी ने कुछ बत्तमीज लोगों के ट्वीट को री-ट्वीट कर यह भी दुनिया को दिखाया कि भारत और खासकर हिंदू समाज में केवल गाली-गलौच करने वाले लोग भरे हैं! एक भी तर्क और तथ्य से बात करना नहीं जानता है?
विदेश प्रवास में अनभिज्ञता और गाली-गलौच वालों ट्वीट को सामने लाकर सुषमाजी ने समस्या का तर्कपूर्ण और तथ्यपूर्ण समाधान की जगह वामपंथियों द्वारा आजमाए गये विक्टिम कार्ड को खेला और देखते ही देखते सभी वामपंथी और नरेंद्र मोदी हेटर पत्रकारों का समर्थन उन्हें हासिल होता चला गया।
सोचकर देखिए, यदि पीएम नरेंद्र मोदी विदेश होते, उनकी गैरजाहिरी में यही सब होता और वह आकर वही विक्टिम कार्ड खेलते जो सुषमाजी ने खेला है कि मैं तो विदेश था मुझे पता नहीं, इसके बाद क्या होता? जो कांग्रेस पार्टी, लुटियन पत्रकार बरखा दत्त व विक्रम चंद्रा, आपिया आशुतोष जैसे लोग आज दक्षिणपंथियों को कोसते हुए सुषमा स्वराज के लिए प्रशस्तिगान कर रहे हैं, वहीं पीएम मोदी का खाल खींचने पर उतारू हो जाते… कि यह पीम केवल विदेश रहते हैं, कि इस पीएम का अपनी सरकार पर नियंत्रण नहीं है, कि इस पीएम की गैरजाहिरी में कोई भी कुछ भी ऑर्डर पास कर सकता है? कि इस पीएम ने ही हिंदुओं और दक्षिपंथियों को सिर चढ़ाया है तो आज विक्टिस कार्ड क्यों खेल रहे हैं? इस पीएम का ट्वीटर कोई और हैंडल करता है…आदि-आदि।
With due respect mam…Sometimes we make a mistake trying to be great…but Greater is the person who accepts and undo the wrong…?
Pls bring justice to VIkas Mishra instead of this weak defense.. pic.twitter.com/t4RLnguPCK
— Ritu Rathaur (सत्यसाधक) (@RituRathaur) June 24, 2018
अभी हाल ही में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर अपने कैंसर का इलाज करवा कर अमेरिका से लौटे हैं। इसी कांग्रेस पार्टी और पीडी-पेटिकोट पत्रकारों ने मनोहर पार्रिकर की सरकार पर हमला बोल दिया था कि उनकी गैरजाहिरी में कौन गोवा सरकार में निर्णय ले रहा था? ऑर्डर कौन पास कर रहा था? लेकिन ताज्जुब देखिए कि यही लोग आज सुषमा स्वराज का प्रशस्ति गान कर रहे हैं, क्योंकि हिंदुओं और दक्षिपंथियों को कोसने के लिए सुषमा स्वराज जी का इन्हें भरपूर साथ मिल गया है।
सुषमाजी आप समझ जाइए कि आप भले ही मंत्री हों, लेकिन आप न तो संविधान से उपर हैं और न ही कानून से। जिन लोगों ने अपशब्द कहा है, उनके मां-बाप ने शायद ऐसे ही घटिया संस्कार दिए हैं और इन घटिया लोगों के कारण ही आज एक कानून सम्मत मुद्दे को आप और आपके समर्थक पत्रकार भटकाने में सफल हो गये हैं, लेकिन यह तो आप भी जानती हैं कि आपने मुसलिम तुष्टिकरण में एक गलत कदम उठा लिया और इसके लिए जिन्होंने भी तर्क और तथ्य के साथ आपका विरोध किया, उसे आप विक्टिम प्ले कर नेपथ्य में ढकेलने में सफल रहीं और इसमें लुटियन पत्रकारों का आपको भरपूर साथ मिला!
It's impossible for a RPO to bypass all rules until or unless a powerful neta has given orders from above…
It's common sense..
— Ritu Rathaur (सत्यसाधक) (@RituRathaur) June 24, 2018
हालांकि सोशल मीडिया के इन नेपथ्य वाले लोगों के कारण ही आज आपको और आपके मंत्रालय को उस तन्वी की दोबारा जांच करनी पड़ रही है और विकास मिश्रा के प्रति किए गये अन्याय के प्रति भी बचने का आप रास्ता तलाश रही हैं। सोशल मीडिया के इन नेपथ्य वीरों का यही मकसद था और वो कामयाब रहे! सुषमाजी आपका हम सब सम्मान करते हैं, लेकिन अन्याय और तुष्टिकरण को बर्दाश्त करना हमारे खून में नहीं है। जो आपको अपशब्द और गाली दे रहे हैं न उन्हें हमारे हिंदुत्व से मतलब है, जो आप पहले तुष्टिकरण और अब विक्टिम प्ले कर रही हैं, न उससे हमारे हिंदुत्व का मतलब है, जो लुटियन पत्रकार आज आपका प्रशस्तिगान कर रहे हैं, न उन्हें हमारे हिंदुत्व से मतलब है! हमारे हिंदुत्व का मतलब तो न्याय से है, जो तन्वी सेठ यानी सादिया अनस की दोबारा जांच और विकास मिश्रा को मिल रहे लोगों के समर्थन में प्रलक्षित हो रहा है और इससे ही हम हिंदुत्व वीरों को भरपूर संतुष्टि मिल रही है। धन्यवाद!
URL: Social media angry against Sushma Swaraj, but her replay not digestible
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