केंद्र में साढ़े चाल साल से चल रही मोदी सरकार लगातार कह रही है कि बैंकों से ऋण लेकर पचाने वाले किसी कंपनी मालिकों के कर्ज माफ नहीं हुए हैं। फिर भी देश के पीडी पत्रकार ये लिखने से बाज नहीं आ रहे कि मोदी सरकार ने घाटा में चल रही कंपनी मालिकों का कर्ज माफ कर दिया है। दरअसल वे लोग झूठ फैलाकर अपने आकाओं के कर्ज उतारने में लगे हैं। तभी तो देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि अब इस मामले में लिखना बंद कर देना चाहिए कि सरकार ने किसी का कर्ज माफ किया है। क्योंकि आरबीआई गाइडलाइन के तहत तकनीकी रूप से यह अपराध है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार के साढ़े चार सालों के दौरान धनपशुओं का एक पाई का कर्ज माफ नहीं किया गया है। जेटली ने कहा कि उलटे सरकार एनपीए के तहत डूबे धन की पाई- एक वसूल करने में जुटी है। इसलिए बैंकों द्वारा ऋण की वसूली लगातार जारी है। असल में अधिकांश दिवालिया कंपनियों के डिफॉल्ट प्रबंधन को आईबीसी के तहत हटा दिया गया है।
मुख्य बिंदु
* आरआईबी के दिशानिर्देश के मुताबिक इस प्रकार सरकार के खिलाफ लेख लिखना तकनीक तोर पर गलत
* साढ़े चार साल के अपने कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने किसी धनपशु की एक पाई माफ नहीं की है
अरुण जेटली ने कहा है कि जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो पूर्ववर्ती सरकार की करतूत के चलते बैंकिंग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर एनपीए की समस्या विरासत में मिली थी। उन्होंने कहा कि 2008 से 2014 के दौरान बेहिसाब उधार लेना ही एनपीए की बढ़ोतरी का मुख्य कारण था। यही कारण था कि जो एनपीए 2008 तक महज 18 लाख करोड़ रुपये था वही 2014 आते-आते 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
जेटली ने कहा कि जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब हमलोगों ने कड़ा रूख अख्तियार किया। मोदी सरकार ने तनावग्रस्त परिसंपत्तियों और एनपीए की पारदर्शी मान्यता सुनिश्चित करने का फैसला किया। इसी कारण 2015 में उच्च एनपीए का खुलासा हुआ।
जेटली ने कहा कि हमारी सरकार के सख्त फैसले के कारण ही पीएसबी एनपीए की वसूली में ठोस प्रयास कर रहे हैं। इसने पहले से ही रुपये की राशि वसूल कर ली है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल 74,562 करोड़ रुपये की हुई वसूली की तुलना में वित्तीय वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही मे ही 36,551 करोड़ रुपये की वसूली कर ली गई है । सरकार के इस प्रकार के सफल कदम से साफ है कि भारत की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। फिर कुछ पीडी पत्रकार है जो मोदी सरकार को बदनाम करने और अपने आकाओं को खुश करने के लिए फेक न्यूज ही नहीं अब तो फेक व्यूज भी फैलाना शुरू कर दिया है।
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