मेरा इंटरेस्ट सरदार की मूर्ति से अधिक, राम के मंदिर में है। हिंदुओं के घर से राम मंदिर के लिए ईंटें भी गयी थी, और सरदार के स्टैच्यू के लिए लोहे का टुकड़ा भी। लोहे का टुकड़ा तो चार साल में ही पिघल गया, मंदिर में ईंटें कब लगेंगी?
सरदार को आदर्श मानते हैं तो अपनी सरकार आते ही सोमनाथ मंदिर को लेकर उन्होंने जो कदम उठाया उसे याद कीजिए। सरदार भी सोचते कि इस बार विकास कर लेते हैं, और सोमनाथ अगली बार बनाएंगे तो सोमनाथ मंदिर फिर कभी नहीं बनता। क्योंकि सरदार तुरंत गुजर गये और फिर उनके बाद नेहरू इसे कभी बनने नहीं देते। और हां, तब विकास की जरूरत, आज से ज्यादा थी। इसलिए विकास की आड़ मत लीजिए।
अपने प्रधानमंत्री के खिलाफ जाकर सरदार ने सोमनाथ का गौरव लौटाया, आपको राम मंदिर के गौरव को लौटाने के लिए केवल लोकभावना को कुचलने वाली सुप्रीम कोर्ट की अकर्मण्यता के खिलाफ जाना है!
और हां, प्रभु राम तिरपाल में हैं, हिंदुओं की आत्मा रो रही है, मत भूलिए! सरदार ने भौगोलिक रूप से भारत को एक किया, तो राम इस देश की सांस्कृतिक एकता के नायक हैं। राम के बिना भारत अनाथ है। इसलिए सरदार की मूर्ति से कहीं अधिक भारत की एकता के लिए राम मंदिर जरूरी है। समझ रहे हैं न आप?
याद रखिए, समय किसी के हिसाब से नहीं चलता। जो ताकत आज मिली है, कल मिले कि न मिले, यह कौन जानता है? सरदार की मूर्ति बनाया, अच्छा किया, अब मंदिर के जरिए हिंदुओं की गरिमा बहाली के लिए उनके जैसी दृढ इच्छाशक्ति भी दर्शाइए!
और हां, हालात तब ज्यादा खराब थे, आज आपके अनुकूल है। तब उनके प्रधानमंत्री उनके खिलाफ थे, आज सारे पदों पर तो आप ही आप हैं! सरदार की मूर्ति से बड़ा है उनका विचार- याद रखिए!
URL: Statue of Saradar Patel is ready to inaugurate but when will be Ram Temple
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