जिस प्रकार कोर्ट में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के मामले की सुनवाई के दौरान माननीय न्याधीश अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल से लेकर देश की सर्वोच्च जांच एजेसियों की बातों को अनसुनी करते हुए कभी अगल-बगत तो कभी छत की ओर झांकते रहते हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे इस मामले को निपटाने को लेकर कितने गंभीर हैं। यह खुलासा कोई और नहीं बल्कि इस सुनवाई में भाग लेने वाले एएसजी तुषार मेहता ने किया है। कार्ति चिदंबरम के प्रति कोर्ट के जज कितने सॉफ्ट हैं इसका अंदाजा इन तथ्यों से लगाया जा सकता है। जब जब सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कार्ति चिदंबरम की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाने या उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की मांग की है तब-तब कोर्ट ने उसके उलट कार्ति चिदंबरम को विदेश जाने की छूट दे दी है। यहां तक कि जब पूछताछ करने के लिए हिरासत में लेने की मांग की गई तब कोर्ट ने सुनवाई ही रोक दी। इससे सहज ही सवाल उठता है कि क्या कोर्ट के जज कार्ति चिदंबरम के दादा के ऋणी तो नहीं हैं? जो एक समय में सुप्रीम कोर्ट के जज हुआ करते थे। क्या उसी ऋण को उतारने के लिए कार्ति चिदंबरम को इतनी सहूलियत दी जा रही है? क्या इससे आम जनमानस में कोर्ट की छवि को बट्टा नहीं लगेगा?
CBI and ED many times told SC that during foreign trips Karti closed many bank accounts. When ASG Tushar Mehta informed Judges will look somewhere or roof top. https://t.co/CQLvvMfeLF
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) 18 September 2018
मालूम हो कि एयरसेल मैक्सिस मामले में आरोपी कार्ति चिदंबरम को जिस प्रकार ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से छूट और सहूलियत मिल रही है उससे कोर्ट की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में क्या कारण हो सकता है कि लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के जज अपनी छवि को नुकसान पहुंचा कर उसे बचाने में जुटे हैं। वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि जब प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल मैक्सिस मामले में ट्रायल कोर्ट से पूछताछ करने के लिए कार्ति चिदंबरम को हिरासत में लेने की मांग की तो कोर्ट ने 25 सितंबर तक के लिए सुनवाई को ही टाल दिया।
जब सुप्रीम कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम की विदेश यात्रा पर पाबंदी लगाने की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे 20 से 30 सितंबर तक विदेश जाने की अनुमति दे दी। जबकि ईडी ने कार्ति के खिलाफ विदेश जाकर अपने खिलाफ साक्ष्य मिटाने तथा अपना विदेशी बैंक खाता बंद करने का आरोप लगाया था। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्या कारण है कि ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के जज सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों की बातों को दरकिनार कर कार्ति चिदंबरम को बचाने में जुटे हैं?
In trial court ED seeks custody of Karti Chidambaram in #AircelMaxisScam. Judge puts off hearing to Sept 25. In Supreme Court ED opposes Karti travelling abroad as he has been allegedly closing foreign accounts to destroy evidence. Judges allow Karti travel abroad Sept 20-30. pic.twitter.com/6CEHplaGbY
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) 18 September 2018
जबकि सीबीआई और ईडी ने कई बार सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अपनी विदेशी यात्रा के दौरान कार्ति ने कई बैंक खाते बंद कर दिए। जब इस मामले में एएसजी तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान जजों को इस तथ्य से अवगत कराया तो उस समय वे या तो बगलें झांक रहे थे या फिर छत की ओर देख रहे थे। सुनवाई के दौरान जजों का इस प्रकार का व्यवहार निश्चित रूप से अनैतिक साठगांठ की ओर इशारा कर रहा है।
सवाल उठता है कि आखिर कोर्ट कार्ति चिदंबरम के प्रति इतनी उदारता क्यों दिखा रहा है? कहीं इसलिए तो नहीं कि कार्ति चिदंबरम के दादा सुप्रीम कोर्ट के जज थे और माता-पिता दोनों सुप्रीम कोर्ट के ही नामी वकील हैं। या फिर इसलिए तो नहीं क्योंकि पी चिदंबरम साल 2014 तक दोनों यूपीए सरकारों में ताकतवर मंत्री रह चुके हैं। इस नाते उस दौरान खाए नमक का बेटे कार्ति को छूट देकर उसका हक अदा कर रहे हैं?
Why courts are lenient to Karti? My hunch is some sort of soft corner as his grand father was SC Judge and he is son of two designated Senior Advocates. And obviously upto 2014 – father PC had big say in making many HC and SC Judges
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) 18 September 2018
जिस प्रकार पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को 2जी केस से लेकर एयरसेल मैक्सिस तक के मामले में सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक से जमानत दर जमानत मिल रही है उससे निश्चित रूप से आम जनमानस में कोर्ट के प्रति गलत अवधारणा जगह बनाने लगी है। लोगों के मन में बैठ गया है कि कोर्ट भेदभाव तरीके से उसे बचाने में जुटा है। जो एक स्वस्थ न्यायपालिका के लिए उचित नहीं है। जिस प्रकार कोर्ट एकतरफा तरीके से कार्ति चिदंबरम को बचाने में लगा हुआ दिखता है उसे देखते हुए यह कहने में कोई हर्ज नहीं न्याय के मंदिर में बैठे कुछ देवता ही दानव बनकर इसे ध्वस्त करने पर आमादा हैं।
The way SC/HC is acting in cases pertaining to 2G/Aircell Maxis etc in terms of bail after bail— give a perception to public–they r biased or bought out–Hope such perception is without basis:))))) RT
— RVAIDYA2000 (@rvaidya2000) 18 September 2018
ऐसे में भारतीय स्वायत्त संस्थानों तथा लोकतांत्रिक संस्थानों पर भाजपा और संघ के लोगों का कब्जा करने का आरोप लगाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को देखना चाहिए कि आखिर इस न्याय के मंदिर को कोई और नहीं बल्कि उनके ही पूर्व मंत्री अपने ही लोगों के माध्यम से ध्वस्त करने पर तुले हुए हैं।
URL: Supreme Court allows Karti Chidambaram to travel abroad
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