भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमनियन स्वामी स्वामी ने कहा है कि पूरे तमिलनाडु में दस हजार से भी अधिक आतंकवादी हथियारों से लैस होकर खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने कहा है कि लगता है कि राज्य में इस प्रकार की घटनाओं तथा उसे नियंत्रित करने के लिए की गई कार्रवाई के बारे में मुख्यमंत्री एडापल्ली पलानीस्वामी पहले से ही अवगत है। वहीं केंद्रीय वित्त और जहाजरानी राज्य मंत्री राधाकृष्णन ने खुलासा किया है कि राज्य में आतंकियो, देश-विरोधी तत्वों तथा माओवादियों की गतिविधियों की पहले से ही गुप्त सूचनाएं थी।
आतंकवादियों ने अपना पैर इतना फैला लिए हैं कि पूरे तमिलनाडु को अपने गिरफ्त में जकड लिया है। सूत्रों से मिली पुष्ट जानकारी के मुताबिक 10 हजार से भी अधिक बंदूकधारी आतंकवादी पूरे राज्य में खुलेआम घूम रहे हैं। इतना ही नहीं ये लोग ब्राउन सूगर तथा खतरनाक नशीले पदार्थों का सरेआम धंधा चलाने में संलिप्त है। अचंभित करने वाले इस सच का खुलासा कोई ऐरे-गैरे ने नहीं बल्कि भारत सरकार के दो अधिकारियों ने किया है।
मुख्य बिंदु
* तमिलनाडु में आधिकारिक तौर पर 10 हजार से अधिक बंदूकधारी आतंकवादियों ने ले रखी है शरण
* सभी आतंकवादी सरेआम ब्राउन सूगर तथा खतरनाक नशीले पदार्थों के धंधा करने में है संलिप्त
हाल ही में स्वामी ने तमिलनाडु में आतंकवादीयों और माओवादीयों की गतिविधियों के सबूत आधारित दस्तावेज पेश किए हैं। उन्होंने इन दस्तावेजों के आधार पर ही कहा है कि स्टरलाइट कॉपर कंपनी को बंद करने की मांग को लेकर थूढूकुडी में जो दंगे हुए थे वे सारे यही आतंकवादियों और माओवादियों ने ही किए। यह दंगा इन्हीं लोगों की प्रायोजित करतूत का नतीजा था। इन्ही आतंकियों और माओवादियों ने वहां के गरीब ग्रामीणों को दंगे के लिए उकसाया जिसके कारण पुलिस को गोली चलानी पड़ी। मालूम हो आतंकियों और माओवादियों द्वारा प्रायोजित इस दंगे में जिन 13 लोगों की जान गई उनमें से 8 खतरनाक आतंकवादी शामिल थे। लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें 5 निर्दोष लोग भी मारे गए।
स्वामी ने एक एक स्थानीय टीवी चैनल से बातचीत के दौरान दावा किया इसी जिले के दो गांवों के लोगों ने जिले के अधिकारियों से संपर्क साधकर उनसे शिकायत की थी कि कुछ वामपंथी एक्टिविस्टों ने स्टरलाइट कॉपर कंपनी के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लेने के लिए दबाव डाला था। गांववालों को आतंकवादियों के ढाल के रूप में उपयोग करने की माओवादियों की मंशा का पता तब चला जब दंगा शुरू हो गया था। स्वामी चाहते हैं कि स्थिति के अनियंत्रित होने से पहले ही मुख्यमंत्री पलानीस्वामी को इन आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
स्वामी ने याद दिलाया कि प्रदेश के लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि साल 1991 में लिट्टे के साथ संबंध होने के कारण ही करुनानिधि की सरकार को केंद्र सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। केंद्रीय वित्त और जहाजरानी राज्य मंत्री राधाकृष्णन ने खुलासा किया कि राज्य में चर रही सरकारी योजनाओं का आतंकवादी विरोध कर रहे हैं। उनके खुलासे के 24 घंटे के अंदर स्वामी ने आतंकवादियों और माओवादियों की गतिविधियों का सारा दस्तावेज सबके सामने रख दिया। माओवादियों और आतंकवादियों के खिलाफ खबर दबाने में तमिलनाडु के एक खास वर्ग के मीडिया ने अपनी अहम भूमिका निभाई है, जिसके खिलाफ राधाकृष्णन ने सख्त कार्रवाई की थी।
इसी मुद्दे पर पिछले सप्ताह विधानसभा में हुई बहस के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने केंद्रीय मंत्री राधाकृष्णन के इस आरोप से इनकार नहीं किया कि तमिलनाडु आतंकियों और माओवादियों के लिए सुरक्षित शरणस्थली बन गया है। विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने मुख्यमंत्री पर केंद्रीय मंत्री के बयान की निंदा नहीं करने के आरोप लगाया। स्टालिन के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सदन को बताया कि यह सच है कि इन्हीं आतंकवादी समूहों के कारण राज्य को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह समूह राज्य में समस्या खड़ी कर अपनी महत्ता स्थापित करना चाहता है। उन्होंने सदन को यह भी बताया कि राज्य के आईएसआईएस जैसे प्रतिबंधित संगठनों की गतिविधियों पर सरकार की नजर है। उन्होंने कहा है प्रदेश की पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ मिलकर आईएसआईएस के साथ संपर्क रखने के कारण सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किस प्रकार तमिलनाडु में मीडिया संदेहास्पद भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी और नक्सलियों की पोल खोलती घटनाओं की रिपोर्टिंग एक खास वर्ग का मीडिया न तो दिखाता है न ही छापता है। हाल ही में पुलिस की गिरफ्त में आया नक्सली नेता पारामुकुदी की उस घोषणा को मीडिया ने दिखाया ही नहीं जिसमें उसने कहा था कि तमिलनाडु में नक्सली सत्ता हथियाने के कगार पर पहुंच गया था। उसने जांचकर्ता के सामने यह भी कबूल किया कि नक्सली और आतंकवादियों ने मिलकर तमिलनाडु को नक्सललैंड बनाने का प्रयास किया था, लेकिन इस खबर को कुछ स्थानीय अखबारों ने तो जरूर जगह दी लेकिन मुख्यधारा के मीडिया ने इससे संबंधित कोई खबर नहीं छापी।
कहने का मतलब साफ है कि तमिलनाडु को आतंकवादियों और नक्सलियों का गढ़ बनाने का षड्यंत्र चल रहा है। इस खेल में नक्सलियों के साथ ही मीडिया का एक खास समूह भी शामिल है। वह मोदी सरकार का खिलाफ वैसे तो अभिव्यक्ति के नाम पर कर रहा है लेकिन असल खेल उसका तमिलनाडु को ऐसा राज्य बनाना है जहां राज नक्सलियों का हो।
URL: Tamilnadu becomes a safe haven for terrorists and anti-national elements
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