नोटबंदी पर जिस तरह से भारत की जनता ने मोदी जी पर विश्वास जताया है और हो रही तमाम असुविधा के बावजूद नोटबंदी को सरकार का सराहनीय कदम बताया है। उसी विश्वास को और ज्यादा बढ़ाने और काले धन पर पूर्णतया लगाम लगाने के लिए भाजपा के नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय की और से सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईल दर्ज की है।
मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर कर बड़े नोट जैसे 500,1000 और 2000 पूर्ण प्रतिबंध की मांग की। दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव शुक्रवार 2 दिसम्बर को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गए हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने दायर की जनहित याचिका मैं कहा की 100 रूपये से ऊपर की मुद्रा को पूरी तरह से बंद का देना चाहिए क्योंकि बड़े नोट समाज में अपराध को बढ़ावा देने का काम करते हैं। बड़े नोटों का प्रयोग आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, कट्टरपंथ, जुआ, तस्करी, काले धन को वैध करना, अपहरण, जबरन वसूली, घूस देने और दहेज जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में प्रयोग किया जाता है।
याचिका में कहा गया है, “5,000 रुपये तक के वित्तीय लेनदेन को प्रतिबंधित करने से देश की असंगठित अर्थव्यवस्ता पटरी पर आ जाएगी, जो अगले साल लागू होने वाले कर ‘जीएसटी’के लिए बेहतरीन खाका तैयार करने में महती भूमिका निभा सकती है। इस याचिका में आयकर सहित सभी करों को खत्म करने एवं क्रेडिट रकम पर 1% की दर से बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने की मांग की गई है।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया है की सरकार यदि बड़े नोटों को बंद कर देती है तो नकद लेन देन घट कर पांच हजार तक रह जायेगा जो देश की वार्षिक ग्रोथ मे 4% तक वृद्धि कर सकता है।