साल 2012 के मई महीने में जब विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 200 करोड़ रुपये ब्लैकमनी और योगेश गर्ग की मौत का मामला देश की मुख्य जांच एजेंसियों के पास भेजा तो सारी की सारी जांच एजेंसियां हक्का-बक्का रह गई। उस रहस्यमयी मौत और 200 करोड़ रुपये के ब्लैकमनी से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। लेकिन जांच से यह जरूर पता चल पाया है कि 200 करोड़ रुपये की रिश्वत उत्तर भारत के एक राज्य में मेगा पावर प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए दी गई थी। और यह रिश्वत किसी व्यवसायी ने एक राजनेता को दी थी।
मुख्य बिंदु
* साल 2012 में एक व्यवसायी द्वारा एक नेता को दी गई 200 करोड़ रुपये रिश्वत का रहस्य कब सुलझेगा?
* मेगा पावर प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए दी गई 200 करोड़ रुपये घूस के रहस्य सुलझाने में जुटी एजेंसियां
यह रहस्यमय कहानी मई 2012 की है। योगेश गर्ग नाम के युवा व्यवसायी की मौत को लेकर जो मनगढ़ंत तथ्य एजेंसियों के सामने आई उसमें पहला तो यह कि योगश गर्ग मेरठ में जब हवाई पट्टी पर अपने विमान के उतरने की तस्वीर ले रहे थे तभी विमान के टक्कर लगने से उनकी मौत हो गई। कहा गया कि विमान की ध्वनि यंत्र खराब होने की वजह से यह दुर्घटना हुई। दूसरे तथ्य के मुताबिक अपने लाइटमैक्रो विमान की लैंडिंग की तस्वीर लेने के दौरान विमान का बायां डायना उनके सिर से टकरा गया जिससे उनकी मौत हो गई। ये दोनों तथ्य विमान चला रहे पायलट और उस विमान में बैठे एक यात्री द्वारा पुलिस को दिए बयान के आधार पर जुटाए गए।
खास बात है कि अपनी मौत से कुछ दिन पहले ही योगेश गर्ग ने लंदन स्थित इंफ्रालाइन, 37 ग्रेसचर्च स्ट्रीट, लंदन ईसी 3 वीओबीएक्स युनाइटेड किंगडम के पते पर 200 करोड़ रुपये भेजे थे। उससे भी ज्यादा खास बात है कि उन्होंने लंदन के जिस पते पर कंपनी के नाम पैसे भेजे थे उसका कोई अस्तित्व नहीं है। क्योंकि लंदन स्थित भारतीय एजेंट ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि यह कोई पुराना पोस्ट बॉक्स नंबर है। लेकिन यह पता चल गया कि यह पैसा वहीं के स्टैंडर्ड चार्टर्ज बैंक की ग्रेसचर्च स्ट्रीट ब्रांच में जमा हुआ था। पीगुरू वेबसाइट के स्टाफ ने जब इस बैंक के कर्मचारियों से बार-बार संपर्क किया तो बताया गया कि बैंक ने यह पोस्ट बॉक्स नंबर भारत से आने वाले अवैध पैसे जमा करने के लिए उपलब्ध कराए थे। बैंक के स्टाफ ने यह भी बताया कि भारत की कई जांच एजेंसियों ने इस बैंक में जमा होने वाले पैसे के बारे में विस्तृत विवरण देने के लिए संपर्क किया है।
भारतीय जांच एजेंसियों के विश्लेषण के मुताबिक यह रिश्वत एक बड़े राजनेता को दी गई थी। यह रिश्वत उन्हें उत्तर भारतीय राज्य में मेगा पावर प्रोजेक्ट की मंजूरी दिलाने के लिए संबंधित राज्य सरकार पर दबाव डालने के लिए दी गई थी। उस प्रोजेक्ट के लिए की गई अनियमितताओं के कारण बाद में सीएजी ने भी उसमें की गई घोखाधड़ी को पकड़ लिया था। बताया गया है कि यह वही प्रोजेक्ट है जो कोयला घोटाले में भी शामिल था, लेकिन उसका मालिक किसी तरह बच निकला। उस प्रोजेक्ट का मालिक वही शख्स है जो आज-कल डिफेंस सेक्टर में सक्रिय है। इस प्रोजेक्ट के मालिक ने ही उस नेता को व्यक्तिगत तौर पर 200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। उस नेता की पहचान एक बड़े वकील के रूप में भी है। वह नेता अपनी रिश्वत को लंदन भेजने के लिए बेनामी शख्स का उपयोग करता था। जब उसके पैसे लंदन भेज दिए गए उसके कुछ ही मनीने बाद उस बेनामी शख्स की हत्या हो गई। वह शख्स कोई और नहीं बल्कि योगेश गर्ग ही था और उन्होंने ही बेनामी के रूप में उस नेता का पैसा लंदन ट्रांसफर किया था।
अब समझिए कि योगेश गर्ग कौन था?
जब योगेश गर्ग कभी नहीं सुनी विमान हादसा के शिकार हुए तब वे महज 37 साल के थे। उन्होंने भारत में ही इन्फ्रालाइन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी स्थापित की थी। लंदन स्थित जिस कंपनी के नाम से उन्होंने 200 करोड़ रुपये भेजे थे संयोग से वहां की कंपनी का नाम इंफ्रालाइन है। उन्होंने अपनी यह कंपनी ग्रेटर कैलाश के रिहायसी इलाके में 1998 में खोली थी। वहीं पर उनकी मुलाकात उस नेता से हो गई थी। जिसका नाम 200 करोड़ रुपये रिश्वत लेने से लेकर बेनामी शख्स के माध्यम से लंदन स्थित बैंक में पैसे भेजने तक में आया है। आरोप है कि योगेश गर्ग उस नेता का सारा राज जान गया था। शायद इसलिए योगेश को रास्ता से हटाया गया हो।
सबसे खास बात है कि जब 2011 के नवंबर में यूके की खुफिया एजेंसियों ने भारत के अपने काउंटरपार्ट को वहां के बैंक में जमा हुए 200 करोड़ रुपये के बारे में सारी जानकारी दे दी थी। इस बारे में संबंधित अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय के तत्कालीन सारे बड़े अधिकारियों को इसके बारे में बता दिया था। लेकिन सत्ता में होने का फायदा उठाते हुए प्रोजेक्ट के मालिक ने पैसे के बल पर सबकुछ दबा दिया। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उस नेता के प्रतिद्वंद्वियों ने ही लंदन में रिश्वत के 200 करोड़ रुपये जमा कराने का मामला उछालना शुरू कर दिया। यह वही नेता है जो प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने ऊपर लगे इस आरोप का उत्तर तक नहीं दे पाया। परिणाम यह हुआ कि वह चुनाव हार गया।
जहां तक इस मामले को मुख्य धारा में उछलने की बात है तो यह जगजाहिर है कि देश के मुख्यधारा के मीडिया में बिकाऊ पत्रकार भरे पड़े हैं। देश की राजनीति में कुछ ऐसे नेता हैं जिनके प्रति मीडिया और खासकर बिके पत्रकार काफी सॉफ्ट होते हैं। संक्षेप में कहें तो बिकाऊ और पीडी पत्रकारों की वजह से न तो योगेश की मौत के रहस्य से पर्दा उठ पाया न ही उस नेता का मामला उजागर हो पाया।
इसलिए देश की वर्तमान सरकार से सवाल है कि क्या वह योगेश की हुई रहस्यमयी मौत की जांच कराने के प्रति गंभीर है? क्या देश से लूट कर विदेश में जमा किए गए 200 करोड़ रुपये मामले की जांच कराने के साथ दोषियों को सामने लाएगी ?
The mysterious death of Yogesh Garg and unscrupulous story of Rs 200 crore bribe sent to London
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