साथियों, हमारे देश में लोकतंत्र की नहीं बल्कि भीड़तंत्र है। यदि भीड़ इकट्ठी हो जाए तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया जाता है! अगर भीड़ इकट्ठी न हो तो मूल संविधान को भी नहीं लागू किया जा सकता! जिस संविधान को बाबा साहब बाबा भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी इन सब लोगों ने मिलकर बनाया था, वही आज भीड़तंत्र के आगे बेबस है!
* संविधान में भी लिखा है कि 14 साल तक के बच्चों के लिए समान शिक्षा होगी।
* देश के संविधान में लिखा है कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता होगी।
* संविधान में लिखा है कि देश के सभी बच्चो को हिंदी और संस्कृत अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।
* संविधान में लिखा है कि जजों की नियुक्ति आईजेएस यानि इंडियन ज्यूडिशियल सर्विस के द्वारा होगी, लेकिन आज तक नहीं हुआ।
* जनसंख्या नियंत्रण कानून हमारे देश की जरूरत है।
* धर्मांतरण विरोधी कानून हमारे देश की जरूरत है।
* समान शिक्षा हमारे देश की जरूरत है।
* समान नागरिक संहिता बहुत जरूरी है देश की एकता और अखंडता के लिए जरूरी है।
लेकिन आज तक इन कानूनों को लागू नहीं किया गया। यदि आप चाहते हैं कि भारत में समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, धर्मांतरण विरोधी कानून तथा जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए तो आपको घर से निकलना पड़ेगा।
याद रखिये फेसबुक और ट्वीटर पर लिखकर कुछ नहीं होने वाला है, क्योंकि भारत में लोकतंत्र नहीं भीड़तंत्र है। भीड़ इकट्ठी होगी तो गलत काम भी कर दिया जाएगा और भीड़ इकट्ठी नहीं होगी तो सही काम भी नहीं किया जाएगा।
URL: There is no existence of democracy in India but mobocracy
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