इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर तल्ख़ टिपण्णी करते हुए इसे असंवैधानिक मानते हुए कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ देश के कानून के ऊपर नहीं हो सकता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को ट्रिप्पल तलाक़ देना क्रूरता की श्रेणी में आता है।
जस्टिस सुनील कुमार की एकल पीठ ने दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई पर फैसला देते हुए कहा कि कुरान भी तीन तलाक़ को सही नहीं मानता। तीन तलाक़ मुस्लिम समाज का वर्ग विशेष इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है! तीन तलाक मुस्लिम समाज की महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी ट्रिप्पल तलाक मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब तलब कर चुकी है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा दूसरे इस्लामिक संगठनो के विरोध के बावजूद दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता और प्रसिद्ध वकील अश्विनी उपाध्याय को इस सम्बन्ध में पैरोकार नियुक्त कर चुका है।
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने तीन बार तलाक के विरोध में एक अभियान शुरू किया है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने इस सम्बन्ध में एक याचिका तैयार कर नेशनल कमिशन फॉर वुमेन से इस अभियान को समर्थन देने के लिए आग्रह किया है इस याचिका पर महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए हैं।
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने नेशनल कमिशन फॉर वुमेन की चीफ ललिता कुमारमंगलम को एक पत्र लिख कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को भी संविधान में अधिकार मिले हैं, कोई कानून यदि समानता और न्याय के सिद्धांतों की खिलाफत करता हो तो उस पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। तीन तलाक़ पर रोक लगने से मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी।