एक बार नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था कि चार विरोधी समाचार पत्र हजारों हथियार से ज्यादा घातक होते हैं। उनकी तब कही बात आज ज्यादा सही साबित हो रही है। वो भी तब जब अखबार आज न्यूज या पत्रकारिता के लिए नहीं निकाले जा रहें हैं। अखबार निकालना आज एक विशुद्ध व्यापार बन गया है जो बहुतों के हित में नहीं बल्कि कुछ लोगों के निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए निकाले जा रहे हैं। हिंदू बाबाओं की तस्वीर लगाकर हिंदुओं को बदनाम करने का खेल पुराना है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने कुछ दिनों पहले ‘Maharashtra ‘god man’ forces men into unnatural sex’ नाम से एक ट्वीट किया था और उसमें एक हिन्दू बाबा की तस्वीर लगाई थी लेकिन तथकथित ‘गॉडमेन’ एक मुसलिम आदमी आशिफ नूरी निकला!
मुख्य बिंदु
* टाइम्स ऑफ इंडिया का फेक न्यूज अभियान अब आया सबके सामने
* हेडलाइन बनाकर खबर छापी थी पहले पन्ने पर और माफीनामा अंतिम पर
23 जुलाई को टाइम्स ऑफ इंडिया ने फेक फोटो वाली एक और स्टोरी छापी। उस स्टोरी के बारे में तुरंत ही ट्वीटर उपयोगर्ताओं को एलर्ट भी जारी कर दिया। जब टाइम ऑफ़ इंडिया अपनी गलती के लिए ट्रोल किया जाने लगा तब तक यह फेक खबर कई लोगों तक पहूँच चुकी थी। लेकिन उसने अपनी गलती नहीं स्वीकार की बल्कि वह ट्वीट और फोटो हटवा दी।
हटाये गए ट्वीट के लिंक के लिए क्लिक करें!
हाल के दिनों में अक्सर यह देखा गया है कि भारत में बलात्कार और मॉब लिंचिंग को लेकर बनी हेडलाइन शीघ्र ही अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के माध्यम से प्रसारित हो जाती है। देश को बदनाम करने की नीयत से बनाई गई इस प्रकार की हेडलाइंस काफी देर तक जीवित और जीवंत रहती है जबकि अखबारों के पत्रकार बार-बार झूठ बोलते रहते हैं। जब तक मामले के तथ्य सामने आते हैं, तब तक नुकसान हो चुका होता है। अंतिम पेज पर छपा माफीनामा कभी उन लोगों तक नहीं पहुंचता जितने लोगों तक पहले पन्ने पर छपी हेडलाइन पहुंचती है।
शत्रुतापूर्ण सुर्खियां जीवित रहती हैं और अपने जीवन के साथ बढ़ती रहती हैं, इस प्रकार अखबार और उसके मालिक का तो भला हो जाता है। उनके लिए काम करने वाले उत्साहित पत्रकारों का भला कभी नहीं होता। वे बार-बार झूठ बोलते रहते हैं। ऐसे समय में आम नागरिकों और कानूनी लोगों की भूमिका बढ़ भी जाती है और महत्वपूर्ण भी हो जाती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की यह पहली गलती नहीं, इससे पहले भी इस प्रकार की गलतियां हो चुकी है। 16 जुलाई 2016 में बच्चे की तस्करी का मामला तमिलनाडु के कोंडुगैयुर के मदरसे से जुड़ा था लेकिन उसकी रिपोर्टर ने उस खबर को एक वेद पाठशाला से जोड़कर छापा था। इस प्रकार की फेक न्यूज का दोहराव उसकी आदत बन गई है, इसके बावजदू सरकार या प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इसलिए अब यह जिम्मेदारी देश की जनता पर ही आ गई है। अब जनता को ही एक साथ आना होगा और इस खेल के खिलाड़ियों को सबक सिखाना होगा।
URL: Times of india’s Conspiracy of fake narration
Keywords: Fake Media Narrative, TOI, Times of India, fake news, fake news maker, indian media, presstitutes, टाइम्स ऑफ इंडिया, नकली समाचार, नकली समाचार निर्माता, भारतीय मीडिया,