इस बार 22 अगस्त को मनाई जा रही बकरीद के मौके पर उत्तर प्रदेश में खुले में पशु नहीं काटे जाएंगे। सार्वजनिक स्वच्छता की रक्षा करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुले में पशु काटने को प्रतिबंधित कर दिया है। वहीं, ममता सरकार ने कोर्ट में कह दिया कोई गाय काटेगा तो हम नहीं रोक सकते, आदमी नहीं है हमारे पास!
मुख्य बिंदु
* इस बार उत्तर प्रदेश में बकरीद पर खुलेआम नहीं काटे जाएंगे पशु,
* उच्च स्तरीय बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस से इस फैसले को जमीन पर लागू करने को कहा
* सार्वजनिक स्वच्छता की रक्षा के लिए दूसरे राज्यों को भी इसी प्रकार के प्रतिबंध लगाना चाहिए
उप्र की एक उच्चस्तरीय बैठक में खुले में पशु काटने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने पुलिस से इस फैसले को जमीन पर लागू करने का निर्देश दिया है। बकरीद के ठीक एक दिन पहले लिए गए इस निर्णय की आलोचना करने से वोट बैंक वाले ब्रिगेड नहीं चूकेंगें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले को लिबरल ब्रिगेड मुसलिम विरोधी फैसले के रूप में प्रोजेक्ट करने से बाज नहीं आएंगे। जबकि कई लोग न केवल योगी आदित्यनाथ के इस फैसले की प्रशंसा की है बल्कि अन्य राज्यों को भी इस प्रकार के निर्देश जारी करने को कहा है।
Once more @myogiadityanat takes the lead, banning animal sacrifice in the open during Bakrid. Protects public hygiene. Other states in India should implement such instructions.https://t.co/Hxy5azt6M4
— Dr David Frawley (@davidfrawleyved) August 20, 2018
शिक्षा में डिलिट तथा पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित डॉ डैविड फ्रॉली ने इस संदर्भ में ट्वीट कर कहा है खुले में पशु को काटने पर बैन लगाकर योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर दूसरों से एक कदम आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षी की रक्षा के लिए देश के अन्य राज्यों को भी इस प्रकार के आदेश लागू करने चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस साहसिक फैसले की पुष्टि करते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा ” हां मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बकरीद के मौके पर खुले में पशु न काटा जाए।” सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि हमलोग किसी रिवाज के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जहां तक खुले में पशु काटने की बात है तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है, इसलिए यह फैसला भी विशुद्ध रूप से स्वास्थ्य आधारित है।
वहीं इस संदर्भ में यूपी प्रशासन का कहना है कि कांवड़ियों के जुलूस जारी हैं ऐसे में बकरीद के मौके पर खुले में पशु काटने पर बैन लगाने से सांप्रदायिक तनाव होने के पूरे संकेत हैं।
मालूम हो कि बकरीद पर सामूहिक रूप से खुले में पशु काटे जाते हैं। इससे पशुओं का खून सड़कों पर बह निकलते हैं। सड़कों से होते हुए सारे खून नालों में जाते हैं। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न होने का भय रहता है। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुले में पशु काटने पर बैन लगाया है तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही फैसला ही है। ममता बनर्जी सहित अन्य मुख्यमंत्रियों को भी योगी आदित्यनाथ से सीख लेकर स्वच्छ वातावरण की राजनीति करनी चाहिए, न कि वोट बैंक की सांप्रदायिक राजनीति।
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