एक बार फिर देश में समान नागरिक संहिता पर बहस छिड़ने वाली है। लेकिन इस बार सरकार की तरफ से नहीं न ही भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस मुद्दे को उठाया गया है। इस बार यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने यह मांग उठाई है। इसपर एक बार फिर विवाद होने की संभावना बढ़ गई है। यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने देश में समान नागरिक संहिता लागू होने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी तथा अधिग्रहण के संबंध में सभी समुदायों के लिए एक कानून के तहत समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए।
Mr. Waseem Rizvi (Chairman Shia Waqf Board) visited my Office to file PIL seeking Common Education System i.s. Common Syllabus & Common Curriculum in all Schools including Madarasas throughout the Country. Equal Opportunity can't be secured without Equal Education @narendramodi pic.twitter.com/YpbsQC71yk
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) June 14, 2018
मुख्य बिंदु
* ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शुरू से ही समान नागरिक संहिता लागू होने का करता रहा है विरोध
रिजवी ने न सिर्फ बयान दिया है बल्कि उन्होंने राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस चौहान को बुधवार को इस संदर्भ में प्रस्ताव दिया है। उन्होंने अपने प्रस्ताव में गोवा का भी उदाहरण दिया है। गोवा में साल 1965 से ही समान नागरिक संहिता लागू है। अपने प्रस्ताव में उन्होंने पूछा है कि अगर गोवा में समान नागरिक संहिता लागू हो सकती है तो फिर अन्य राज्यों में क्यों नहीं। उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा है कि अगर हमारे संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के तहत समाहित है तो फिर इसे लागू क्यों नहीं किया जा सकता ?
रिजवी ने कहा कि जब हमारे देश में रीति रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान अलग-अलग धर्मों और मजहबों के अनुरूप अलग अलग अभ्यास के अनुरूप हो सकते हैं तो फिर तलाक, विवाह, उत्तराधिकारी और गोद लेने जैसे मुद्दे निश्चित रूप से एक देश एक कानून के सिद्धांत पर सुलझाए जाने चाहिए। इस मामले में भारतीय विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता की सिफारिश तैयार करने के लिए लोगों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। इस मामले में मुसलमानों के इस मामले में विचार जाना जाएगा।
इस मामले में गठित आयोग ने सभी हितधारकों से निकहनामा और तलाकनामा के प्रारूप सुझाने को कहा है जिसे पूरे देश में एक समान रूप से लागू हो सके। सभी को मालूम हो कि देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का एआईएमपीएलबी विरोध करता रहा है। शिया बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की एआईएफपीएलबी के साथ भिड़ंत होती रहती है। रिजवी ने एक बार फिर एआईएमपीएलबी पर पाकिस्तान और सउदी अरब के आतंकी समूहों से तार जुड़ने का आरोप लगाया है।
शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी देश में समान नागगरिक संहिता ही नहीं, बल्कि वह देश में एकसमान शिक्षा भी चाहते हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय से मुलाकात भी की है। रिजवी ने उनसे एकसमान शिक्षा लागू कराने के लिए कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने का अनुरोध किया है। रिजवी ने उनसे कहा है कि देश में एकसमान शिक्षा व्यवस्था के तहत एक प्रकार के सिलेबस हर स्कूल में लागू होना चाहिए वह चाहे मदरसा हो या फिर किसी और समुदायक कोई और स्कूल क्यों न हो। उनका मानना है कि जब तक देश में एकसमान शिक्षा व्यवस्था नहीं होगी तब हर किसी को एक समान अवसर भी नहीं मिल पाएगा।
URL: UP Shiya Central Waqf Board chairman Wasim Rizvi supported Uniform civil code
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