श्वेता पुरोहित:-भागवत का अर्थ है भगवान का पुत्र यानी भक्त। भागवत महापुराण का अर्थ है भक्तों का महापुराण।
श्री भक्तमाल ग्रंथ की रचना लगभग ४००-४५० वर्ष पहले हुयी है। उसके पहले भक्तमाल नाम का ग्रंथ नहीं था। उस समय भक्तमाल भागवत महापुराण को ही माना जाता था अर्थात भक्तों का पुराण। आरंभ से लेकर अंतिम स्कन्ध तक भक्ति से लबालब ग्रंथ है भागवत महापुराण। भक्तों के और भगवान के चरित्र हैं इस ग्रंथ में। भागवत का अर्थ है भगवान का भक्त।
‘भा’ का अर्थ है – “भाति सर्वेषु वेदेषु” अर्थात जो संपूर्ण वेदों का प्रकाश करने वाला है।
‘ग’ का अर्थ है – “गतिर्चिश्च लौकिकं” अर्थात जो सांसारिक गति प्रदान करता है।
‘व’ का अर्थ है – “वरिष्ठः सर्व शास्त्रेषु” अर्थात सभी शास्त्रों में वरिष्ठ है।
‘त’ का अर्थ है – “तरणीस्यात भवांबुधौ” भवसागर को पार करने की तरणी यानी नौका है जो ऐसा भागवत है।
भागवत, भक्तों और भगवान के चरित्र का एक विशाल पुराण है।
श्रीभगवान और उनके भक्तों की जय