ब्रजेश सिंह सेंगर-
चुनाव-आयोग को नहीं भूलना , इसको नहीं छोड़ना है ;
सुप्रीम-कोर्ट खुलने वाला है , इसको वहीं रगड़ना है ।
लोकतंत्र का हत्यारा है , इसको सजा दिलाना है ;
इसके आका व संगी-साथी , उनको भी निपटाना है ।
जनता के विश्वास को तोड़ा , बहुत बड़ा अपराध किया है ;
उम्र कैद की सजा भी कम है , और अधिक दिलवाना है ।
ऐसी सजा मिले दोषी को , सबके लिये नजीर हो ;
शतरंज की पूरी बाजी पलटे , प्यादा हो या वजीर हो ।
जाग चुकी है हिंदू-जनता और भारत भी जाग रहा है ;
अब्बासी-हिंदू की बत्ती गुल है , अहंकार सब भाग रहा है ।
बेईमानी से सत्ता पायी , जल्दी ही गिर जायेगी ;
सुप्रीम-कोर्ट का चले हथौड़ा , इसकी कुर्सी छिन जाएगी ।
भारत को आजादी मिलने में , अधिवक्ताओं का उत्कर्ष ;
जंगेआजादी अब ये दूसरी , फिर से करना है संघर्ष ।
सुप्रीम-कोर्ट व अधिवक्ता ही , भारतवर्ष बचा सकते हैं ;
शांतिपूर्ण बस यही मार्ग है , बाकी रक्त बहा सकते हैं ।
खून-खराबा रोकना होगा , सुप्रीम-कोर्ट आगे आओ ;
बनें सहायक सारे अधिवक्ता , मिलकर भारतवर्ष बचाओ ।
अब्बासी-हिंदू है देश का दुश्मन , देश तोड़ने ही आया ;
अब्राहमिक ताकते हैं पीछे , साजिश करके पद दिलवाया ।
हिंदू का दुर्भाग्य सदा से , कभी न अच्छा-नेता पाया ;
जिसको हृदय-सम्राट बनाया , उसका छुरा पीठ पर खाया ।
जागो हिंदू ! सारे जागो , महामूर्ख सो रहे जगाओ ;
अब न कोई धोखा खाओ , हिंदू-नेता ढूॅंढ के लाओ ।
एकमात्र दल हिंदूवादी , राजनीति में उदय हो रहा ;
“एकम् सनातन भारत” दल है , अपने पांव पसार रहा ।
अभी तो शैशवावस्था इसकी , हिंदू ! इसकी उंगली पकड़ो ;
सारे हिंदू ! सर पर बैठायें , गिरने मत देना कसकर पकड़ो ।
हिंदू ! तेरा भविष्य यही है , हिंदू ! अपना भविष्य बचाओ ;
सारे हिंदू ! ढूॅंढ-ढूॅंढ कर , “एकम् सनातन भारत” में आओ ।
मुश्किल नहीं है इसे ढूॅंढना , मोबाइल में गूगल से बोलो ;
“अंकुर-शर्मा” अध्यक्ष हैं इसके, हिंदू ! ज्ञान-चक्षु खोलो ।
जल्दी ही सरकार गिरेगी , मध्यावधि – चुनाव होंगे ;
सुप्रीम-कोर्ट ढीले मत पड़ना, तभी निष्पक्ष-चुनाव ये होंगे ।
चुनाव-आयोग बदलना होगा , ईवीएम हटाना होगा ;
अबकी निष्पक्ष-चुनाव कराकर , भारतवर्ष बचाना होगा ।
“जय सनातन-भारत”