“भारत की आत्मा” धर्म-सनातन,अब्बासी-हिंदू कुचल रहा ;
पौराणिक धर्मस्थल तोड़-तोड़ कर ,गलियारों को बना रहा ।
हिंदू – मंदिर लूटे जाते , सरकारें ही लूट रहीं ;
लाखो एकड़ भूमि भी लूटी , आस्था हिंदू की तोड़ रहीं ।
दमनचक्र हिंदू पर कितना ? झूठा – इतिहास पढ़ातीं हैं ;
हिंदू – शिक्षा में रोड़े अटकातीं , गंदी – शिक्षा देती हैं ।
कहीं से भी ये नहीं सेक्युलर , सरकारें बेईमान हैं ;
सेक्युलर का ये अर्थ न जाने , पूरी नमक – हराम हैं ।
हिंदू को बेवकूफ बनाकर , कोल्हू का बैल बनाके रखा ;
साजिश रचकर – धर्म तोड़कर , जातिवाद में बांटके रखा ।
भारत की पूरी अर्थव्यवस्था , अपने कंधों पर ढोता हिंदू ;
पर सब जजिया में लुटवाता , नेता जो अब्बासी-हिंदू ।
सबसे ज्यादा टैक्स भी देता , अपने मंदिर भी लुटवाता ;
हिंदू-मंदिर को लूट-लूट कर , अब्बासी-हिंदू झोली भरता ।
“भारत की आत्मा” कुचल रही हैं ,ऐसी ही सरकारें हैं ;
विकास नाम पर विनाश कर रहीं , भारत की सरकारें हैं ।
चापलूस सब भरे पड़े हैं , करते चरित्रहीनता भ्रष्टाचार ;
दोनों – हाथों से राष्ट्र को लूटें , ऐसे ही हैं ये मक्कार ।
स्विट्जरलैंड में इन्हीं का पैसा , देश खोखला करते हैं ;
अब्राहमिक के ये सभी पालतू , कई मोपला करते हैं ।
हिंदू धिरा हुआ खतरों से , जिंदा रहना मुश्किल है ;
अपने देश में हिंदू बेगाना , धर्म बचाना मुश्किल है ।
जागो ! हिंदू अब तो जागो , अब सोने का समय नहीं है ;
तेरा सब कुछ मिटने वाला , इसमें ज्यादा समय नहीं है ।
एक-एक क्षण है बहुत कीमती,अच्छी सरकार बनाना होगा;
हमको अच्छी सरकार बनाकर , हिंदू – धर्म बचाना होगा ।
सारे ही दल हिंदू – विरोधी , हिंदू को न्याय नहीं देंगे ;
हमें चाहिये कट्टर – हिंदू , अपना अधिकार छीन कर लेंगे ।
निर्दलीय या किसी भी दल का , पर हो केवल कट्टर – हिंदू ;
वरना हिंदू “नोटा” ही करना , जीत न पाये अब्बासी-हिंदू ।
जान-मान-सम्मान बचाओ , हिंदू ! अपना धर्म बचाओ ;
“हिंदू का ब्रह्मास्त्र” है “नोटा” , हर चुनाव में इसे चलाओ ।
सबसे बड़ा शत्रु हिंदू का , सदा-सदा से अब्बासी-हिंदू ;
हर हालत में इसे हटाओ , “भारत की आत्मा” है हिंदू ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”