१) देश में हिंदुओं को धर्मांतरित करने के लिए प्रति वर्ष करीब 15,000Cr विदेशी फंड आता है।
२) देश में करीब 6000 NGO हैं जो इस फंड का उपयोग करते हुए हिंदुओं को ईसाई बनाते हैं।
३) इस फंड का बड़ा हिस्सा मीडिया, बुद्धिजीवी नौकरशाही, सरकार, प्रशासन की जेब में भी डाला जाता है।
४) महाराष्ट्र के पालघर में दो साधु और उनके ड्राइवर की हत्या को दबाने, और उसे धर्मांतरण की जगह अलग ट्रैक पर ले जाने की कोशिश कर रहे The Scroll, The Wire, The Hindu, The Indian Express, NDTV, India TV, BBC की भूमिका आरंभ से ही संदिग्ध है।
५) आरंभ से ही देश में एक केंद्रीयकृत धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं होने का सबसे बड़ा कारण यूरोप और अमेरिका का दबाव है।
६) अमेरिका की सरकार में बिल क्लिंटन के समय बकायदा एक विभाग स्थापित किया गया, जो विदेशों में धर्मांतरण के लिए फंड करता है। इसमें सबसे अधिक फंड अफ्रीका और भारत में भेजा जाता है।
७) आज तक भारत में केंद्रीय स्तर पर धर्मांतरण को रोकने का सबसे गंभीर प्रयास मोरारजी देसाई की सरकार ने किया। इसके विरोध में मदर टेरेसा के नेतृत्व में पूरा यूरोप विरोध पर उतर आया था, जिसके दबाव में सरकार को पीछे हटना पड़ा था।
८) मैक्समूलर ने लिखा था, ‘हिंदू लहलहाती फसल हैं।’ असल में इस लहलहाती फसल को पाने के लिए ही स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती से लेकर कल्पवृश्र गिरी एवं सुशील गिरि महाराज जैसे हिंदू साधुओं की हत्या का लंबा इतिहास है। इसके अलावा शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी, असीमानंद जैसे संतों को जेल में डालने का खेल भी धर्मांतरण से जुड़ा था।
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