गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के नाम पर हुई हिंसा को लेकर अब तक 44 मुकदमे पुलिस ने दर्ज किए हैं, जबकि कुल 122 लोगों को गिरफ्तार किया है।
दिल्ली पुलिस की ओर से साफ कहा गया है इन लोगों के अलावा किसी को भी गलत तरीके से हिरासत में नहीं रखा गया।
पुलिस ने अफवाहों पर गौर नहीं करने की हिदायत दी है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि 26 जनवरी को हुई हिंसा को लेकर आरोपियों के खिलाफ की गई कानूनी कार्रवाई से सम्बंधित जानकारी पुलिस की वेबसाइट पर भी शेयर की गई है।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। इसके अलावा सम्बंधित थाना या फिर कंट्रोल रुम में आरोपी के बारे में पूरी जानकारी है, अगर किसी के घर वाले जानकारी लेना चाहें तो वहां से ले सकते हैं।
दिल्ली पुलिस को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि किसान आंदोलन वाले स्थलों से यह बात फैलायी जा रही थी
पुलिस ने बहुत से लोगों को अवैध तरीके से उठाकर रखा हुआ है, या फिर उन्हें उठा रही है। यह भी कहा गया कि बहुत ऐसे लोग हैं जिनका हिंसा के बाद से कुछ पता नहीं चल सका है।
हिंसा के दौरान करीब चार सौ पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे। अब दिल्ली पुलिस ने इन जवानों को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
जो पुलिसकर्मी गंभीर रुप से जख्मी हुआ था उसे पच्चीस हजार रुपए और हल्की चोट आने वाले को दस हजार रुपए की आर्थिक मदद की जाएगी।
इस बीच सोशल मीडिया पर शाहदरा जिले का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें पुलिस के जवान स्टील की लाठी और स्टील के ही हैंड कवर के साथ दिखाई दिए।
जवानों को तलवार से होने वाले हमले से बचाने के लिए एक निजी संस्था ने स्टील की लाठी और हैंड कवर बनाकर दिए थे। इस तरह के हथियारों को रखने की कोई अनुमति नहीं है।
इसलिए ऐसी सभी लाठियों और स्टील के हैंड कवर को संस्था को वापस कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि ट्रैक्टर मार्च के दौरान कुछ किसानों ने पुलिस के जवानों पर अपनी तलवारों से हमला कर दिया था।
प्लास्टिक और लकड़ी की लाठी तलवार के वारों को रोक नहीं पाई और कई पुलिसकर्मी तलवार लगने से जख्मी हो गए थे।
इसको ध्यान में रखते हुए एक संस्था ने पुलिस जवानों के लिए स्टील की लाठी बनाई। लाठी को पकड़ने के लिए बाकायदा हैंडल लगा हुआ था।
जवान के एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में बचाव करने के लिए स्टील का ही एक हैंड कवर भी बनाया गया था।
इस कवर की मदद से जवान तलवार के वार से खुद को बचा सकते हैं। सिंघु बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी ने अलीपुर एसएचओ पर तलवार से हमला कर दिया था। खुद को बचाने के लिए एसएचओ ने अपना हाथ आगे कर दिया था, जिसकी वजह से उनके हाथ में गंभीर चोट लगी थी।
शाहदरा जिले के जवानों का कहना था कि यदि इस तरह के हथियार उनको मिल जाएं तो वह तलवारों के वार से अपनी रक्षा कर सकते हैं।
उधर ,दिल्ली लाल किला हिंसा जांच करने के लिए नेशनल फॉरेंसिक लैब की टीमें गुजरात से दिल्ली पहुंच गई ।
राजधानी के समस्त हिंसा वाली जगहों का फॉरेंसिक टीम दौरा कर रही हैं, जिनमें गाजीपुर, नांगलोई, नेशनल हाईवे, नजफगढ़-नांगलोई रोड और लालकिला शामिल हैं और जांच टीमें टीम मौके से टायर मार्क के सैंपल उठा रही हैं ।
इसके अलावा सरकारी संपत्ति और लालकिले में की गई तोड़फोड़ की फोटोग्राफी, फिंगर प्रिंट लेने का काम चल रहा है। इसके बाद टीम कई दूसरी जगहों पर जाएगी, जहां हिंसा हुई है।
जिन-जिन रूट पर उपद्रवी गए, वहां ट्रैफिक पुलिस, दिल्ली पुलिस, नेशनल हाईवे अथॉरिटी, पीडब्लूडी, एमसीडी, आरडब्लूए और प्राइवेट लोगों से सीसीटीवी कैमरे की फीड इकट्ठा की जा रही है और अब तक सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज और वीडियो एकत्रित किए जा चुके हैं ।
इन तमाम फुटेज से नेशनल फॉरेंसिक लैब की टीमों आरोपियों के चेहरे निकालेंगी और इसके बाद टीम उन वीडियो में से फोटो बनाएगी।
इसके बाद दिल्ली पुलिस उन्हें फेस रिकॉग्निशन सिस्टम में डालकर देखेगी की कोई क्रिमिनल या फिर खालिस्तानी तो नहीं था।
परेड के दौरान जितने ट्रैक्टर आए थे, उनके रजिस्ट्रेशन नंबर इकट्ठा हो रहे हैं और किसके साथ ही संबंधित अथॉरिटी को भेजकर उनके मालिक की डिटेल्स लेंगे और फिर उनपर मुकदमा दर्ज होगा।
पुलिस ने अभी तक किसान नेताओं समेत 59 लोगों के खिलाफ इस उपद्रव के बाद लुक आउट नोटिस जारी किया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि उपद्रव में शामिल लोगों की गिरफ्तारी से पहले पुलिस उनकी लोकेशन पुख्ता कर लेना चाहती है,
जिससे कोई निर्दोष ना पकड़ा जाए और इसके लिए पुलिस घटना के वक्त मोबाइल लोकेशन, किसी वीडियो में फोटो, किस वाहन से वो घटनास्थल पर गया, वो कहां का रहने वाला है या कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड देख रही है