कर्नाटक के हासन जिले में 52 दलितों को जानवरों के बाड़े में 3 साल से बंद करके रखा गया था।उनसे गुलामों की तरह 19 घंटे काम कराया जाता था।आरोपी कर्नाटक सरकार के एक मंत्री का सेवक बताया जा रहा है।करीब एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन मीडिया में कहीं कोई हंगामा नहीं। यही कांग्रेस की ताकत है।
कर्नाटक में पिछले तीन सालों से 52 आदिवासियों और दलितों के साथ यौन उत्पीड़न होता रहा, इन गरीबों को अमानवीय यातनाएं मिलती रहीं लेकिन कांग्रेस-जेडीएस की सरकारें सोती रहीं। इतनी अमानवीय घटना के पते चलने के बाद भी उन गरीबों की सुध लेने के बजाए कांग्रेस और जेडीएस सरकार के विस्तार में व्यस्त है। दलितो और आदिवासियों पर कर्नाटक में इतना घोर अन्याय होने के बाद भी कांगी और वामी पत्रकार चुप बैठे हैं। अगर यही घटना किसी भाजपा शासित राज्य में हुई होती तो ये लोग कांग्रेस के लिए अगले चुनवा में मुद्दा बना देते।
Shocking that members from Dalit & Tribal communities, were enslaved and made to suffer in the most inhuman conditions, but the Congress-JDS govt is busy with cabinet expansion! People are watching.
I urge our karyakartas to help the people in distress. https://t.co/a0MiqGDRq5
— Amit Shah (@AmitShah) December 22, 2018
इस अमानवीय घटना की सूचना मिलते ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों की मदद करने की अपील की है। इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह घटना दिमाग को सुन्न कर देने वाली है। दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को कैसे गुलाम बना कर उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में में जीवन जीने को मजबूर किया गया। लेकिन कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार है कि उसे मंत्रिपरिषद के विस्तार करने से ही फुर्सत नहीं मिल रही है। कांग्रेस-जेडीएस सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की इस अमानवीय हरकत को लोग गौर से देख रहे हैं।
गौरतलब है कि कर्नाटक में करीब तीन सालों तक 52 दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को गुलाम बनाकर उसे अमानवीय जीवन जीने को मजबूर किया गया। इस बात की जानकारी तब मिली जब उस समुह से एक व्यक्ति गुलाम बनाने वालों के कब्जे से भागने में सफल हुआ। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने बताया है कि किस प्रकार उन लोगों से बगैर मेहनताना दिए 19-19 घंटे काम कराया जाता था। मेहनताना मांगने पर उन्हें चाबूकों से पीटा जाता था और महिलाओं को यौन उत्पीड़न किया जाता था। इन 52 लोगों में जहां 16 महिलाएं हैं वही चार बच्चे भी शामिल हैं।
इतना कुछ होने के बाद लिबरल मीडिया और उसके पत्रकारों को कांग्रेस का दलित उत्पीड़न नहीं दिखाई दे रहा है। कांग्रेस कैबिनेट विस्तार में व्यस्त है लेकिन पुलिस ने दलितो और आदिवासियों पर इस प्रकार के अत्याचार करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
लेकिन इस मामले में न तो कांग्रेस न ही कांगी और वामी मीडिया इस मसले को उठा रहा है। कांग्रेस की गोदी में बैठे पत्रकारों ने तो इतनी अमानवीय घटनाओं को उठाया तक नहीं है। जैसे कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को सुविधा की राजनीति करने की आदत है उसी प्रकार कांग्रेसी पत्रकारों को भी सुविधा की पत्रकारिता करने की आदत हो गई है। ये इतने सुविधाभोगी हो गए हैं कि उन्हें अब जो कांग्रेस कहेगी वही लिखेंगे या जिससे कांग्रेस को राजनीतिक लाभ मिलेगा उसी पर लिखेंगे। जन हित और देश हित के सारे मुद्दे उनके लिए गौण हो गए हैं।
प्वाइंट वाइज समझिए
कर्नाटक में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार
* कर्नाटक में कांग्रेस के शासनकाल में बढा दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार
* दलित और आदिवासी समुदाय के 52 लोगों को बलात बनाया गुलाम
* बगैर मेहनताना दिए सभी लोगों से 19-19 घंटे कराया जाता था काम
* सूचना मिलने के बाद भी कांग्रेस-जेडीएस की सरकार ने नहीं ली कोई सुध
* भाजपा अध्यक्ष ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से मदद करने की है अपील
* कर्नाटक में दलित उत्पीड़न पर खामोश बैठा हैं तथाकथित लिबरल मीडिया
URL : 52 tribals and dalit were captive and sexually harassed in Karnataka!
Keyword : congress rule, karnataka, dalit atrocities, police, lodged FIR, BJP president, amit shah, कांग्रेस सरकार, कर्नाटक