यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी नियंत्रित पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की यूपीए-2 सरकार वैसे भी घोटालों और भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रही है। उस समय किया गया घोटाला अभी तक यूपीए-2 सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई ने एक बार फिर यूपीए-2 सरकार के दौरान शुरू की गई 80 अनुपात 20 स्वर्ण योजना में हुई धांधली की पड़ताल शुरू कर दी है।
सीबीआई उस तार को जोड़ने में जुटी है कि किस परिस्थिति में मनमोहन सिंह की सरकार ने स्वर्ण योजना के तहत कुछ खास आभूषण व्यापारियों को राहत दी थी। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने साल 2013 में चालू खाता घाटे को पाटने के लिए 80 अनुपात 20 स्वर्ण योजना की शुरुआत की थी। उस समय देश का चालू खाता घाटा यूपीए सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गया था। यह घाटा इतना बढ़ गया था कि देश के व्यापार तक को असंतुलित कर दिया था। इकोनॉमिक टाइम्स का कहना है कि इस मामले में सीबीआई अधिकारियों ने प्राथमिक जांच तथा यूपीआई नेताओं तथा तत्कालीन आरबीआई अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए तीन बैठकें भी हो चुकी हैं।
इस मामले में सीबीआई की पहली प्राथमिक जांच से यह भी खुलासा हुआ है कि जो सोना व्यापारी मेहुल चौकसी आज देश को हजारों करोड़ रुपये लेकर देश छोड़कर भाग चुका है उसकी कंपनी गितांजलि जेम्स को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ही 80:20 स्वर्ण योजना के तहत सोना आयात करने की अनुमति दी थी। गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव का परिणाम 16 मई को आया था लेकिन उसके ठीक एक दिन पहले ही यानि 15 मई को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक आदेश जारी कर 13 निजी व्यापारिक घरानों को 80:20 स्वर्ण योजना के अंतर्गत सोना आयात करने की अनुमति दी थी। खास बात है कि चिदंबरम ने जिन 13 निजी व्यापारिक घरानों को सोना आयात करने की अनुमति दी थी उनमें से एक भगोड़े सोना व्यापारी मेहुल चौकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स है।
मुख्य बिंदु
* 2013 में देश के अनियंत्रित चालू वित्तीय घाटा को पाटने के लिए मनमोहन सरकार ने शुरू की थी स्वर्ण योजना
* तमिलनाडु के छह आभूषण व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके कहने पर नियम बदलने का है आरोप
यूपीए सरकार द्वारा तमिलनाडु के छह आभूषण व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने दूसरी बार जांच शुरू कर दी है। मालूम हो कि इससे पहले भी सीबीआई ने जांच की थी। पहली जांच से मिली नई जानकारी के मामले में सीबीआई ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी आगाह कर दिया है। मालूम हो कि 80 अनुपात 20 स्वर्ण योजना के तहत तत्कालीन यूपीए सरकार तथा भारतीय रिजर्ब बैंक के अधिकारियों पर कुछ खास लोगों को नियम को दरकिनार कर राहत देने का आरोप है।
सीबीआई की पहली जांच से यह बात सामने आई है कि यूपीए सरकार तथा आरबीआई के कुछ अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर तमिलनाहु के छह आभूषण व्यापारियों को राहत दी थी। मालूम हो कि उस समय पी चिदंबरम देश के वित्तमंत्री थे। सीबीआई जांच के बाद सामने आई जानकारी के मुताबिक छह आभूषण व्यापारियों ने डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार से स्वर्ण योजना में खास प्रकार की राहत देने की मांग की थी। इन छह व्यापारियों ने यूपीए सरकार को अलग-अलग समय में आवेदन दिया था। खास बात यह है कि 2014 की फरवरी महीने से ये आवेदन आने लगे थे। ध्यान रहे कि ये आवेदन साल 2014 की मई में लोकसभा चुनाव होने से पहले किए गए थे।
गौरतलब है कि 80:20 स्वर्ण योजना के तहत यूपीए सरकार ने उन्हीं आयातक को सोना निर्यात करने की अनुमति दी जो 20 प्रतिशत हिस्सा बढे हुए मूल्य के साथ देश से निर्यात किया हो। कहने का मतलब यह है कि उसी आयातक को सोना निर्यात करने की अनुमति दी गई जो एक बार आयात किया हो तो सोने का आभूषण के रूप में दो बार निर्याता किया हो। यूपीए सरकार के इस फैसले से भारत में सोने का आयात 2013 के मई महीने में रेकार्ड 165 टन तक पहुंच गया। इसके बाद अचानक ही मनमोहन सरकार ने सोना पर आयात 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था।
URL:-80:20 gold scheme under scanner over illegal gains during UPA tenure
80:20-gold-import-scheme-over-illegal-benefits-to-private-parties
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