प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘स्टार्ट-अप’ योजना उन लोगों के जीवन में भी सकारात्मक मोड़ ले आया है, जो कभी बहिष्कृत थे, जिन्हें समाज संदेह की नजरों से देखता था और जिन्हें आसपास देखकर माएं, अपने बच्चों को सिखाती थी कि ‘बेटा उस व्यक्ति से दूर रहना’ वह अपराधी है! जेल में लंबे समय तक अपराध की सजा काटने के बाद भी समाज जिन पर अपराधी का टैग चस्पां किए था- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ ने उनके मन को एक दिशा प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई!
आठ कैदी अपनी सजा पूरी कर जेल से निकले तो दिशाहीन थे, लेकिन आज प्रधानमंत्री के’स्टार्ट-अप’ ने उन्हें राह दिखाई और इस राह पर चलने में ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ ने उनकी पूरी मदद की। क्या पता इस होली आप जिस गुलाल से होली खेल रहे हों, वह आठ कैदियों द्वारा शुरू किए ‘स्टार्ट-अप’ की मेहनत के रंग में रंगा हो!’दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ के बंदी सुधार एवं पुनर्वास कार्यक्रम के तहत तिहाड़ से सजा काटकर निकले आठ पूर्व कैदी हर्बल गुलाल बनाने के उद्यम में जुटे हैं।
‘अंतरक्रांति’ नाम के हर्बल गुलाल का यह ब्रांड न केवल दिल्ली व एनसीआर, बल्कि सात समंदर पार अमेरिका और ब्रिटेन में बसे एनआरआई के जीवन में भी होली का रंग भरने के लिए बाजार में उतर चुका है।
‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ के प्रवक्ता स्वामी विशालानंद के अनुसार, “संस्थान की ओर से इन पूर्व कैदियों को बकायदा गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है, जिसके बाद ‘स्टार्ट-अप’ योजना के तहत इन्होंने अपना उद्यम बवाना के औद्योगिक क्षेत्र में शुरू किया है। संस्थान इनके बनाए गुलाल की मार्केटिंग भी कर रहा है ताकि अधिक से अधिक लोगों तक इनका बनाया गुलाल पहुंच सके। यह पूरी तरह से रसायन (केमिकल) रहित और फूल-पत्तियों व उसके अर्कों से निर्मित गुलाल है, जो प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ भारत’ और ‘पर्यावरण सुरक्षा’ की अपील के पैमानों पर भी खरा उतरता है।”
स्वामी विशालानंद के अनुसार, “इन कैदियों ने प्रधानमंत्री के स्टार्ट-अप योजना को अपना कर न केवल अपना अपना भविष्य संवारा है, बल्कि सजा काट कर बाहर निकलने वाले अन्य कैदियों को भी स्व-रोजगार की राह दिखाई है। यही नहीं, प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करते हुए, इन्होंने हर्बल गुलाल को ऑन लाइन बेचना भी शुरू किया है, जिसमें ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ के युवा साधकों की टीम उनकी पूरी मदद कर रही है।”
दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में लगाई गई इकाई में इस समय विजय, विपिन, राजेंद्र गुप्ता, हरदेव सहित आठ पूर्व कैदी दिन-रात गुलाल बनाने में जुटे हुए हैं। इन कैदियों द्वारा निर्मित गुलाल की 6 खेप अभी तक अमेरिका और ब्रिटेन के बाजारों में उतारी जा चुकी है। इसके अलावा दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा व आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर इसे लोगों तक पहुंचाने का प्रबंध ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ ने किया है।
यही नहीं, ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ ने मल्टीनेशनल कंपनियों, मॉल, होटलों व कामकाजी कर्मचारी वर्ग तक बड़े पैमाने पर इसे पहुंचाने के लिए अपने संस्थान के समर्थकों की मदद ली है। इनकी पैकिंग और गुणवत्ता के कारण बाजार से इन्हें बेहद सकारात्मक परिणाम मिल रहा है। बड़ी संख्या में ऑन लाइन डिमांड को देखते हुए ये कैदी बेहद खुश हैं।
लूट व डकैती में 7 साल की सजा भुगत कर समाजिक जीवन में शामिल होने के प्रयास में जुटे तिहाड़ के पूर्व कैदी विपिन के अनुसार, “हमने फूलों-पत्तियों और उसके अर्क से निर्मित सात प्रकार के गुलाल बनाए हैं। लाल गुलाल गुलाब से, नारंगी हल्दी से, गुलाबी लिली से, हरा नींबू अर्क से, आसमानी तुलसी-पूदीना से, पीला चंदन से और बैगनी चमेली के फूलों से बनाया गया है।”
ज्ञात हो कि ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ पिछले करीब दो साल से समाधि में लीन श्री आशुतोष महाराज जी की प्रेरणा से निर्मित संस्था है, जो ‘ब्रहमज्ञान’ के जरिए लोगों के जीवन में अंतरक्रांति लाने के कार्य में पिछले कई दशकों से जुटी है। ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ सन 1995 से ही तिहाड़ जेल सहित देश के 40 जेलों में बंदी सुधार व उनके पुनर्वास के लिए कार्य कर रही है।
Web title: Prisoners Making Herbal Gulal as their own start-up
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