आजाद भारत में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर में है। 2014 के लोकसभा चुनाव के मोदी लहर में देशभर में कॉन्ग्रेस के मात्र 44 सांसद जीत पाए। जिस उत्तर प्रदेश को दिल्ली की सत्ता की सीढ़ी कहा जाता है उस उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस बस अमेठी और रायबरेली में ही अपनी इज्जत बचा पाई। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बस दो लोक सभा सीट ही जीत सकी। अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी की जीत ने कांग्रेस की लाज बचा ली। अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस इसीलिए जीत पाई क्योंकि वहां पर मुलायम सिंह ने दो दशक के कांग्रेस संग अंदर खाने अपने समझौते का निर्वहन करते हुए अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की अग्नि परीक्षा होनी है। सपा और बसपा ने महागठबंधन बना लिया और उसमें कांग्रेस को शामिल नहीं किया। उत्तर प्रदेश में अकेली परी कांग्रेस को पता है कि उसे अपनी लाज बचाना मुश्किल है। ऐसे में राहुल गांधी यह तो कह रहे है कि लोक सभा चुनाव में कांग्रेस फ्रंट फुट पर खेलेगी । प्रदेश के सभी 80 लोकसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। इसके लिए कांग्रेस ने अपने वजूद को बचाने के लिए अपना ब्रह्मास्त्र भी इस्तेमाल कर लिया। सालों से जिस प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग की जा रही थी उस प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में प्रभारी बना दिया गया। लेकिन कांग्रेस को भय है यदि प्रियंका का प्रयोग भी और असफल हो गया तो कांग्रेस का वजूद पूरे देश भर में खत्म हो जाएगा । एक नशा जो नेहरू गांधी खानदान का है वह उतर जाएगा। इसीलिए कांग्रेस चाहती है कि सपा से अलग हुए समाजवादी नेता ,मुलायम के भाई अखिलेश के चाचा शिवपाल से गठबंधन किया जाए । अपने भतीजे द्वारा अपमानित होने के बाद शिवपाल ने नई पार्टी बना ली समाजवादी सेक्यूलर पार्टी। कांग्रेस चाह कर भी शिवपाल के साथ हाथ मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही । कारण यह कि अंदर खाने अखिलेश ने कांग्रेस को धमका दिया कि यदि उन्होने शिवपाल की पार्टी संग गठबंधन किया तो वे पिता के साथ अघोषित समझौते खत्म कर महागठबंधन के उम्मीदवार को अमेठी और राय बरेली में उतार देंगें। कांग्रेस को भय है कि अखिलेश मुलायम की सुनते नहीं ऐसे में यदि रायबरेली और अमेठी में सपा बसपा ने उम्मीदवार उतार दिया तो भाजपा विरोधी सारा वोट महागठबंधन को चला जाएगा जिससे राहुल और सोनिया दोनो की हार संभव है। ऐसे में जिस तुरुप के पत्ते का प्रयोग कांग्रेस ने प्रियंका के रुप में किया है वह भी बेकार चला जाएगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को जानने वाले जानते हैं कि पार्टी में शिवपाल की पकड़ कितनी मजबूत है। सालों से मुलायम के संघर्ष के दिनों के साथी शिवपाल साथ हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस ने शिवपाल की पार्टी संग गठबंधन कर लिया तो समाजवादी और बसपा के महागठबंधन को भारी क्षति पहुंचा सकते है। उसके वोट बैंक में सेंध लग सकती है ।दरअसल पिछले हफ्ते एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें प्रियंका के करीबी माने जाने वाले रायबरेली के दबंग एमएलसी दीपक सिंह शिवपाल यादव से मिले। दीपक शिवपाल के कान में कुछ बोल रहे थे। शिवपाल संग प्रियंका के सिपहसलार दीपक सिंह की तस्वीर ने सपा और अखिलेश को बेचैन कर दिया। इसी बेचैनी में अखिलेश ने कांग्रेस को संदेश दे दिया कि हमारे विभीषण संग यदि आप ने हमजोली की तो हम आपको आपके लिए रायबरेली और अमेठी में कब्र खोद देंगे। दोनो जगह महागठबंधन के उम्मीदवार खड़े होने से सोनिया और राहुल की जीत में होने वाले बाधा के खौफ ने कांग्रेस को भयभीत कर दिया है। कांग्रेस को भय है कि ऐसे में राहुल गांधी और सोनिया गांधी की हार ही नहीं होगी प्रदेश मे काग्रेस की लड़ाई कमजोर हो जाएगी। देशभर में कांग्रेस की मिट्टी पलीद हो जाएगी । एक बंद मुट्ठी जो अभी प्रियंका के रुप में है उसका तिलिस्म भी खत्म हो जाएगा ! कांग्रेस इसीलिए शिवपाल से हाथ मिलाने से घबरा रही है। पिछले 3 साल से समाजवादी पार्टी में जो परिवारिक कलह शुरू हुआ उसका परिणाम यह हुआ कि मुलायम सिंह के हनुमान कहे जाने वाले भाई शिवपाल यादव ने अलग राजनीतिक पार्टी बना ली । माना जाता है कि संगठन में शिवपाल की मजबूत पकड़ है । अखिलेश से लगातार अपमानित होने के बाद शिवपाल ने अलग राजनीतिक पार्टी बना ली। मुलायम सिंह यादव कैमरे पर अक्सर अपने भाई शिवपाल के राम बनने की छवि निखारने की कोशिश करते हैं । शिवपाल भी मुलायम के प्रति आस्था व्यक्त करते हैं । ऐसे में समाजवादी पार्टी का जो मूल वोट बैंक यादव और मुसलमानों का है उसका एक बड़ा तबका शिवपाल के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ दिखता है ।अखिलेश को यह भय है यदि कांग्रेस के साथ शिवपाल का गठबंधन हो गया तो यादवों का सबसे बड़ा वोट बैंक उत्तर प्रदेश में है, वह समाजवादी पार्टी से खिसककर शिवपाल की तरफ जा सकता है । इसीलिए सपा ने कांग्रेस को। अंदर खाने इस बात की धमकी दी है यदि आप शिवपाल से गठबंधन करेंगे तो हम रायबरेली और अमेठी में भी अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे । अब तक रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस को सपा का सहयोग मिलता था । लेकिन सपा यदि बसपा से मिलकर कांग्रेस के विरोध में वहां उम्मीदवार खड़ा करे तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है। क्योंकि अमेठी में राहुल गांधी की जीत स्मृति ईरानी से बहुत भारी मतों से नहीं हो पाई थी । यह खौफ कहीं ना कहीं कांग्रेस को है। यदि समाजवादी पार्टी और बसपा के महागठबंधन रायबरेली और अमेठी में अपने उम्मीदवार खड़ा कर दिए तो जिस मां बेटे के नाम पर कांग्रेस पार्टी के वजूद बचाए हुए हैं, समाप्त हो जाएगा। सपा और बसपा जैसी दो अलग ध्रुव की पार्टी उत्तर प्रदेश एक साथ हो ली। दोनों के बीच गठबंधन होने के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में छोटे भाई की भूमिका में नहीं रहना चाहती। दूसरी ओर सपा को लगता है कि जो कांग्रेस का मूल वोट बैंक है वहीं उसका वोट बैंक है। ऐसे में यदि कांग्रेस को वह अपने साथ गठबंधन में रखती है तो सपा का वजूद खत्म हो सकता है। इसीलिए सपा बसपा गठबंधन ने कांग्रेस को अपने साथ लेना उचित नहीं समझा और कांग्रेसी भी उत्तर प्रदेश में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर गठबंधन में खड़ा होकर यह संदेश नहीं देना चाहती थी कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सपा बसपा की पिछलग्गू पार्टी है। फ्रंटफूट पर खेलने की बात करने वाली पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर उत्तर प्रदेश मे महागंठबंधन की तीसरे नंबर की पार्टी कैसे दिख सकती है! कांग्रेस की यही सबसे बड़ी परेशानी है। ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि उत्तर प्रदेश में अपनी लाज कम से कम अमेठी और रायबरेली में बचा ली जाए। बदले हालात में प्रदेश में उसकी लड़ाई , भाजपा से ज्यादा सपा और बसपा हो रही दिखती है। ऐसे में प्रियंका गांधी के कंधे पर सवार होकर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का सपना कांग्रेस को दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। URL: A big challenge for congress to save Raebareli and Amethi !
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अमेठी और रायबरेली में भी हार के खौफ में जी रहा है कांग्रेस का आलाकमान!
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