आदित्य जैन। आज संपूर्ण विश्व में अपने – अपने नैरेटिव बनाने की होड़ मची हुई है। आतंकवादी , माओवादी , जेहादी , ईसाई मिशनरी आदि केवल नैरेटिव के दम पर ही सही को ग़लत और ग़लत को सही सिद्ध कर देते हैं। मैं भी भारतीय राष्ट्रवादी सनातनी चेतना के लेखकों से आह्वान करता हूं कि वो भी राष्ट्र निर्माण और सांस्कृतिक पुनर्जारण हेतु अपनी लेखनी की स्याही का प्रयोग करें । यह आह्वान विस्तृत है , लेकिन आपके सम्मुख कुछ संक्षिप्त छंद निवेदित हैं –
अपनी लेखनी की स्याही से ,
तुम विष भी बनाओ
तुम अमृत भी बनाओ
राष्ट्र भक्षकों को विष पिलाओ
राष्ट्र आराधकों को अमृत पिलाओ ।
अपनी लेखनी को स्याही से ,
तुम शब्दों के बाण भी चलाओ
तुम शब्दों का मरहम भी लगाओ
देश द्रोहियों पर बाण चलाओ
देश सेवकों के घावों पर मरहम लगाओ ।
अपनी लेखनी की स्याही से ,
तुम तूफ़ानों का समुंदर भी बनाओ
तुम गंगा की निर्मल धारा भी बनाओ
समुंदर में माओवाद वामपंथ को डूबाओ
गंगा की धारा में सनातन की नौका को चलाओ ।
अपनी लेखनी की स्याही से ,
तुम वाक्यों का नुकीला – पैना भाला भी बनाओ
तुम वाक्यों की मुलायम – सुन्दर मोर पंखी भी बनाओ
कुटिल मक्कार षड्यंत्रकारियों के आर – पार भाला कर दो
कृतज्ञ मासूम देशभक्तों के प्रतिष्ठा मुकुट पर मोरपंखी धर दो ।
अपनी लेखनी की स्याही से ,
तुम कंटीले लौह तार युक्त फांसी का फंदा भी बनाओ
तुम पुष्प मोती रत्न जड़ित गौरव बोध का हार भी बनाओ
आतंकवादियों को फंदा पहनाओ
संत और सैनिकों को हार पाहनाओ ।
हे !भारतीय राष्ट्रवादी सनातनी चेतना के लेखकों !
अपनी लेखनी की स्याही से ,
तुम विष भी बनाओ
तुम अमृत भी बनाओ
राष्ट्र भक्षकों को विष पिलाओ
राष्ट्र आराधकों को अमृत पिलाओ ।
।। जयतु जय जय राष्ट्रीय गौरव बोध लेखन परंपरा ।।
( लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र हैं । कई राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में अपने शोध पत्रों का वाचन भी कर चुके हैं । विश्व विख्यात संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के युवा आचार्य हैं । भारत सरकार द्वारा इन्हे योग शिक्षक के रूप में भी मान्यता मिली है । भारतीय दर्शन , इतिहास , संस्कृति , साहित्य , कविता , कहानियों तथा विभिन्न पुस्तकों को पढ़ने में इनकी विशेष रुचि है और यूट्यूब में पुस्तकों की समीक्षा भी करते हैं । )
लेखक आदित्य जैन
सीनियर रिसर्च फेलो
यूजीसी प्रयागराज
adianu1627@gmail.com