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India Speaks Daily > Blog > समाचार > मुद्दा > स्वदेशी / राष्ट्रीय मुस्लिम की भ्रामक दुराशा पर एक वाद-विवाद
मुद्दा

स्वदेशी / राष्ट्रीय मुस्लिम की भ्रामक दुराशा पर एक वाद-विवाद

ISD News Network
Last updated: 2022/04/07 at 4:01 PM
By ISD News Network 7 Views 4 Min Read
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4 Min Read
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वाद: – जब अफगानिस्तान बुखारा ईरान भारत के अधीनस्थ जनपद थे हजारों वर्ष से लेकर 1900 तक तो जितने बाबर फरघना या समरकंद का हो या घूरी का घोर हो या गजनी हो, ये सभी तो भारतीय जनपद थे, तो विदेशी किस हिसाब से हुए? थे तो वे भारतवासी ही।

विवाद :- भारतवासी तो मुहम्मद अफजल, यासीन मलिक, बिट्टा कराटे, जैसे हजारों मुस्लिम नेता-एक्टिविस्ट भी हैं। पहले भी, मौलाना शौकत अली, मुहम्मद अली, सुहरावर्दी, और जिन्ना भी थे। इन्हें स्वदेशी या भारतीय पाकर या कहकर आपको क्या संतोष, उपलब्धि होती है? देशी-विदेशी का पूरा विभेद निरर्थक, एवं दिशाहीन है – यदि उस में धर्म की बात उस के पीछे कर दी जाए।

क्योंकि मारकस ऑरेलियस, प्लेटो से लेकर शॉपेनहावर, वाल्टेयर, मैक्स म्यूलर, टॉल्स्टॉय, और आज डेविड फ्रॉवले, कूनराड एल्स्ट जैसे लोग तो विदेशी रहे हैं। इन सब महान भारतप्रेमियों, भारतीय ज्ञान-परंपरा के समभावियों, प्रशंसकों, वेदांत-योग के ज्ञानियों से हमें क्या असंतोष होना चाहिए? इसलिए कि वे विदेशी हैं?
श्री अरविन्द और सीताराम गोयल, दोनों ने कहा था कि यदि हिन्दू धर्म से जुड़ाव हटा दिया जाए, तो भारत और किसी अन्य देश में कतई कोई अंतर नहीं है। दोनों मात्र भूगोल के समान टुकड़े हैं, जिस में चुनने के लिए कुछ खास नहीं।

हमारा जोर धर्म पर है, निष्ठा भी उसी पर है। धर्मविहीन भारत तुच्छ है। जैसे आज का पाकिस्तान, अफगानिस्तान, जो धर्म-मिटायागया भारत ही है। इस अर्थ में देशी-विदेशी की बात ही पूर्णतः बचकानी तथा निश्चित शरूपेण भटकाने वाली है। जिस में रा.स्व. संघ बुरी तरह भटक चुका है। इतना ही नहीं, अपने ‘संगठन’, और राजसत्ता, के घमंड में पूरे हिन्दू समाज को भटकाने पर तुला हुआ है!

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उस की ‘विदेशी बाबर, देशी राम’ की फूहड़ नारेबाजी तीन दशक पहले थी, और ‘राष्ट्रीय मुस्लिम’ उसी का वर्तमान रूप है। दोनों में धर्म चेतना गायब, या उपेक्षित स्थान पर है। उस के नेताओं के बयान और सत्ताधारी काम धर्महीन कुविचार/अविचार तथा कुकर्म/अकर्म के जीते-जागते इश्तहार हैं। नतीजन, इस्लामी चेतना संघ-भाजपा के ऊपर हावी होने में कोई बाधा नहीं पाती, पा ही नहीं सकती। इसीलिए मजे से राष्ट्रीय इस्लामी संघ जैसे उदार रूप-विपर्यय से क्रमशः देश में नये नये इस्लामी संस्थान, कोचिंग, अफसर, विश्वविद्यालय, आदि बढ़ा रही है। यह सब ‘स्वदेशी’ निस्संदेह हैं।

परन्तु इस्लाम तो एक ही है – मोरक्को या भारत या रूस – हर कहीं कुरान, मुहम्मद, हदीस एक ही है जिन पर मुस्लिम नेताओं की पहली निष्ठा है। इसी निष्ठा का आदर, समर्थन, सहयोग करते हुए, आपके सामने कोई बाबर हो या यासीन मलिक, परिणाम हिन्दू समाज का विनाश ही होगा। यह कोई छिपी बात भी नहीं। तमाम ‘स्वदेशी’ मुस्लिम नेता, अतीत या आज के, कांग्रेस समर्थक या भाजपा समर्थक, वे सभी खुल कर अपना हौसला, उम्मीद, और उद्देश्य बताते रहते हैं।

क्या आप, या पूरी ‘राष्ट्रवादी’ जमात, इस बात से खुश होने की तैयारी में हैं कि किसी विदेशी अल बगदादी के बदले अपना ‘स्वदेशी’ यासीन मलिक हिन्दू समाज का सफाया करके इसे इंडिया से बदल कर इकबालिस्तान बना दे? (इकबाल भी भारतीय थे, जिन के निकट पूर्वज ही हिन्दू थे।)

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TAGGED: Muslim, Swadeshi
ISD News Network April 7, 2022
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ISD News Network
Posted by ISD News Network
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