केरल में आई प्राकृतिक विपदा के समय ईसाई समुदाय सांप्रदायिक वैमनस्य फैला कर अपना और सोनिया गांधी का षड्यंत्र छिपा रहा है। केरल के पादरियों ने साल 2013 में केंद्र में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर “ग्रीन प्रस्ताव” को लागू नहीं होने दिया था। इसका मकसद उस क्षेत्र में ईसाइ जनसंख्या के बसाव की रक्षा करना और ईसाइयत के अंधविश्वास को बदल प्रदान करना था।
मालूम हो कि के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाले पर्यावरण पैनल ने अपने प्रस्ताव में पश्चिमी घाट को पारिस्थितिक रूप से काफी संवेदनशील बताया था। पैनल ने इस इलाके में किसी प्रकार की गतिविधियां जारी रखने से मना किया था। पैनल ने इस इलाके के 123 गांवों को खाली कराने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन चर्च के नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलकर क्रिश्चियन समुदाय का वास्ता देते हुए कस्तूरीरंगन के प्रस्ताव को खारिज करवा दिया। आज उसी षड्यंत्र का नतीजा है कि केरल में आई बाढ की वजह से जान-माल का सबसे ज्यादा नुकसान इसी पश्चिमी घाट इलाके में हुआ है।
मुख्य बिंदु
* केरल के वेस्टर्न घाट में बाढ़ से मची तबाही के लिए ईसाई और सोनिया गांधी जिम्मेदार
* कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाले पैनल ने वेस्टर्न घाट से 123 गांवों को खाली करने का प्रस्ताव दिया था
* चर्च के पादरियों ने केरल के वेस्टर्न घाट पर के कस्तूरीरंगन के प्रस्ताव को लागू नहीं होने दिया था
* सोनिया गांधी के इशारे पर ही पर्यावरण मंत्रालय ने विशेष न्यायालय को गुमराह किया था
सोनिया गांधी और पादरियों के बीच हुई थी कस्तूरीरंगन रिपोर्ट को खारिज करने के लिए बैठक!
के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठिन पर्यावरण पैनल के प्रस्ताव के खिलाफ ईसाई समुदाय ने काफी विरोध प्रदर्शन किया था। बाद में दक्षिण केरल के कैथोलिक समुदाय के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष व UPA की चेयरपर्सन सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में तीन कैथोलिक समुदायों के प्रधान सिरो मालाबार पादरी जॉर्ज एलेनचेरी, पादरी बेसलियोस क्लीमिस तथा तिरुअनंतपुरम के लैटिन पादरी सुसाई पाकिअम शामिल थे।
तीनों प्रमुख पादरियों ने सोनिया को कंस्तूरीरंगन के प्रस्ताव से ईसाइयों को होने वाले नुकसान के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने उस बैठक में सोनिया गांधी से यह आश्वस्त करने को कहा कि किसी भी सूरत में वेस्टर्न घाट से लोगों को खाली नहीं कराया जाएगा। यहां यह लिखने की जरूरत नहीं कि सोनिया गांधी ने क्या किया?
जाहिर है पर्यावरण पैनल के प्रस्ताव और कोर्ट के आदेश के बावजूद आज तक वेस्टर्न घाट से एक भी गांव को नहीं हटाया गया। भारतीय कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस के उप महासचिव जोसेफ चिन्नायन ने यह खुलासा करते हुए यूसीएएन को बताया कि उस बैठक में सोनिया गांधी ने हमलोगों को आश्वस्त किया कि बिना आपलोगों की अनुमति के वहां से किसी को नहीं हटाया जाएगा।
KERALA & BEYOND: A report by scientists had warned of Kerala floods & proposed policies to avoid disaster. But top Kerala cardinals met Sonia G to lobby against the scientific recommendations. They wanted to protect Church interests. The rest is history. https://t.co/82jHVBhxEy
— Rajiv Malhotra (@RajivMessage) August 20, 2018
इस बैठक के ठीक बाद ही पर्यावरण मंत्रालय ने विशेष न्यायालय में पेश होकर कस्तूरीरंगन रिपोर्ट लागू होने की बात कह कर न्यायालय को गुमराह किया। मंत्रालय ने कहा कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाकों की पहचान अधिकारी अभी भी कर रहे हैं। इसी झूठ की आड़ में आज तक उस इलाके में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ईसाइयत के अंधविश्वास को कायम रखने के लिए साजिश और षड्यंत्र का खेल!
कांजीरापाल्ली के पादरी मैथ्यू एराकेल जानता था कि वेस्टर्न घाट इलाके की स्थिति यहां रहने वालों के लिए काफी खतरनाक है। तभी उन्होंने एक और साजिश रची। ईसाइयों को पर्यावरण विरोधी न ठहराया जाए या किसी प्राकृतिक आपदा के लिए ईसाइयों पर सारा दोष ना आए इसलिए उन्होंने इस इलाके में दूसरे समुदाय के लोगों को शामिल करने की बात कही।
इसके पीछे ईसाइयत के उस अंधविश्वास को बल देने का प्रयोजन था कि दूसरे संप्रदायों के कारण प्राकृतिक आपदा आती है। ईसाइयत को लोगों को बचाने का काम करती है! पाठकों ने देखा भी होगा कि प्राकृतिक आपदा आने के बाद ईसायत के एक प्रचारक ब्रो-लेजोरस मोहन ने इसके लिए हिंदू रीति-रिवाजों पर दोष मढ़ने का खेल भी शुरू किया है।
केरल आपदा के बहाने देश को तोड़ने का षड्यंत्र!
असल में प्राकृतिक आपदा में ईसाइयत और बाइबल का धंधा जोर-शोर से फलता-फूलता है, इसलिए ईसाइयत यह अंधविश्वास फैलाने का कारोबार करता है कि दूसरे धर्म अज्ञानता के कारण प्राकृतिक आपदा को आमंत्रित करते हैं, ऐसे में ईसा और बाइबिल ही तारणहार के रूप में सामने आते हैं। ईसाइयत के इस अंधविश्वास को बढ़ाने में पादरियों ने सोनिया गांधी को भी विश्वास में लिया और यूपीए की चेयरमपर्सन और मनमोहन सरकार की अप्रत्यक्ष मुखिया होने के कारण सोनिया ने कस्तूरीरंगन रिपोर्ट को खारिज करके इसे बढ़ावा भी दिया। सोनिया गांधी की जीवनी रेड साड़ी में लेखक जेवियर मोरे ने स्पष्ट किया है कि सोनिया गांधी अभी भी कैथोलिक हैं।
केरल में आई प्राकृतिक विपदा से सभी को एक साथ मिलकर निपटने की बजाय क्रिश्चियन समुदाय इस बाढ़ को हिंदू रिवाजों का नतीजा साबित करने पर तुला हुआ है। यह समुदाय इस प्रकार का सांप्रदायिक कार्ड इसलिए खेल रहा है ताकि कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी और केरल के पादरियों के बीच हुआ षड्यंत्र का खुलासा न हो जाए।
ईसाइयत जनसंख्या बदलने के लिए रच रही है साजिश!
दरअसल केरल का चर्च इस इलाके की जनसंख्या घनत्व को बदल कर इस पर पूरी तरह से कब्जा करना चाहता है ताकि बाद में इसे देश से तोड़ कर एक नया क्रिश्चियन देश बनाने की राह आसान हो सके। इसलिए साजिश के तहत वेस्टर्न घाट में ईसाइयों को बसाने का अभियान चला। जबकि यह इलाका पारस्थितिक दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है। यूनेस्को ने इस इलाके को हाल ही में वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया है। के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित पर्यावरण पैनल ने भी अपनी रिपोर्ट में इस इलाके को काफी संवेदनशील माना था। उस पैनल ने इस इलाके के 123 गांवों को यहां से हटाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन ईसाइयों ने सोनिया गांधी के साथ मिलकर एक साजिश के तहत के कस्तुरीरंगन के प्रस्ताव को निरस्त करवा दिया।
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