राम राम संदीप जी,
डॉक्टर होने के नाते और राष्ट्रवादी हिंदू होने के नाते मैं बड़े मन से nmo का सदस्य बना था, nmo का नाम आपने सुना ही होगा, संघ का ही अनुसांगिक संगठन है।
कुछ ही समय बाद मुझे समझ आ गया कि संघ भी किसी कैद से कम नहीं है। आप संघ के किसी पदाधिकारी के विरुद्ध नहीं बोल सकते अगर मतांतर है तो।
बस एक दिन मेरा झगड़ा हो गया, और एक प्रचारक का गला पकड़ लिया।
और अभी हाल ही की एक बैठक में मोहन भागवत को निशाने पर ले लिया हंस और डिमभक वाले मुद्दे पर, उसी दिन चीत्कार मच गया। और मैंने संघ और nmo को अलविदा कर दिया।
मैंने कहा कि सत्य बोलता हूं और वो हर हाल में बोलूंगा।
संघ एक सामाजिक संगठन बनाकर रह गया है, जो आपात अवस्थाओं में ब्रेड बिस्किट बांटने में ही खुश है।
आपको यह सब इसलिए बता रहा हूं कि आप भी सत्य की राह पर हैं, तो परेशानी ना आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। बहुत से अपने, पराए हो जाएंगे, सत्य की कीमत चुकानी ही पड़ती है।
पर सत्य का एक नशा है जो आपको परमात्मा के निकट ले जाता है।
लगे रहिए, मैं और मेरे जैसे बहुत से लोग सदा सर्वदा आपके साथ हैं। तन मन धन से