गुलशन किशोर चौहान। आदरणीय मोदी जी, मेरे जैसे तिनके की क्या बिसात पर एक समय था जब मैं प्रतिदिन आपकी जीत के लिए एक से दो घंटे देता था। यह कार्य मेरे जैसे हजारों हजार लोग निस्वार्थ भाव से वर्षों वर्ष करते रहे । हम जैसे लोगों को न तो आप से कोई पद चाहिए था न ही कोई ठेका । हमारा एक और केवल एक मात्र स्वार्थ था “हिन्दुत्व”।
हमे लगता था कि आप सनातन द्रोही नैरेटिव की जड़ों में मट्ठा डाल कर समूल नष्ट कर देंगे । ध्यान रखिएगा, हम जैसे लोग न तो सेवा निवृत्ति प्राप्त खलिहार प्राणी थे और न ही जीविका की चिंता से मुक्त कोई बहुत बड़े सेठ या जमींदार । आप के लिए प्रतिदिन दो घंटे समय देने से हमारे व्यापार और नौकरी में परोक्ष रूप से हानि भी होती थी । हम कोई मूर्ख भी नहीं थे जो हमें इस हानि का ज्ञान नहीं था । पर हम सबने स्वेच्छा से यह हानि का मार्ग चुना था क्योंकि हमें इस कार्य द्वारा सनातन मूल्यों की रक्षा का महान लाभ दिखाई दे रहा था ।
पर साहब आप तो दिन प्रतिदिन पलटते चले गए । गौ रक्षकों को गुंडे कहने से लेकर “अब्बास के भाई” तक की जो यात्रा आपने तय की है यदि उसका वृतांत लिखने बैठ जाऊं तो न लेखिनी में स्याही बचेगी और न ही आंख में आंसू । पराकाष्ठा तो उस दिन प्राप्त हो गई जब हजारों राम भक्तों के हत्यारे को आप ने पद्म विभूषण तक दे दिया । जो अपने कार्यकर्ताओं की हत्या पर मौन रहा पर शत्रुओं के कांटा चुभने पर कराह उठा, उससे बड़ा पलटू राम भला कौन होगा ? ऊपर से आप को कीर्तनकारों की फौज भी मिल गई । जो आपके प्रत्येक गलत निर्णय को ढपली बजा बजा कर सही ठहराते हुए , हम जैसे लोगों को एक पंक्ति में देशद्रोही, कुंठित, मामा शल्य और न जाने कौन कौन से तमगे बांटते रहे । इस बार के चुनाव में हम जैसे तिनकों ने स्वयं को तटस्थ कर लिया । आपको हमारा वोट तो मिला पर हमारा मन नहीं मिला, इसीलिए आपक वोट प्रतिशत तो बना रहा पर विजय नहीं मिली ।
याद रखिएगा, जैसे आप चाय पर चर्चा करते हैं वैसे ही हम लोग भी चाय पर चर्चा करते हुए आप के पक्ष में माहौल बनाते थे । हमारे ही प्रयासों से चुनावी विचाराधारा में बॉर्डर के आस पास बैठे उस पाले के लोग इधर चले आते थे ।
लहर को लहराने का काम ऐसे ही छोटे छोटे तिनकों के द्वारा गांव, गली और मुहल्लों के नुक्कड़ों पर संपन्न होता था । आप के बीस प्रतिशत प्रत्यासियों को छोड़ कर शेष कितने काबिल हैं और कैसे टिकट पाए हैं यह आप से अधिक और कौन जानता होगा । पर हम जैसे लोग जो कमल बटन के नाम पर श्वान और गर्दभ तक को वोट देने से पीछे नहीं हटते उनके दम पर आप के दलबदलू, मौकापरस्त और विचारधारा विहीन प्रत्यासी भी विजय श्री का वरण कर सके ।
अपने कोर अर्थात मूल मतदाता की भावना का अपमान करके संसार में कोई भी राजनैतिक दल कभी भी विजय नहीं प्राप्त कर सकता । पर कोर मतदाता के नाम पर तो आपको सदा आदर्शवाद याद आता रहा, चाहे शेष हथकंडों के लिए आपका आदर्शवाद प्रतिदिन कीचड़ में नहाता हो । आपकी प्रत्येक योजना का लाभार्थी आप को स्वप्न में भी गलती से वोट न देने वाला तपका है । आपके कार्यकाल में वह तपका सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर और अधिक समृद्ध होता रहा । आपकी योजनाओं के बल पर भारी संख्या में सेना सहित अन्य तमाम सरकारी उच्च पदों पर वह तपका पहुंचता रहा । सरकारी छात्रवृत्ति और मुफ्त कोचिंग की खैरात उस तपके को निरंतर मिलती रही ।
जब आप भी वही सब करने लगे जो कांग्रेस करती थी तो हम जैसे तिनके भला किस मुंह से आपको हिन्दुत्व का हितैषी बताते । जब धर्महित हो हो नहीं रहा था तब हम कैसे लोगों से धर्महित में मंहगाई का कड़वा घूंट पी जाने के लिए कहते । माना आपने बहुत विकास किया है, ऐसा आज तक किसी भी पार्टी के कार्यकाल में नहीं हुआ है । आपके बनाए फ्लाईओवर और एयरपोर्ट देश को नई गति प्रदान कर रहे हैं । ऊर्जा और सैन्य क्षेत्र में आपकी उपलब्धि महान है । देश का मुद्रा भंडार अभूतपूर्व है । पर मैं उस विकास पर कैसे आह्लादित हूं जिसके ऊपर लीद करने के लिए गजवा ऐ हिन्द के ऊंट तैनात हों और उन ऊंटों का का दाना पानी पिछले नौ वर्षों के कार्यकाल में भी आपके द्वारा बंद करना संभव न हुआ हो ।
आप भी जानते हैं कि युद्ध क्षेत्र का नायक रथों और घोड़ों का व्यापारी नहीं बल्कि शत्रु पर पूर्ण क्षमता से वार करने वाला योद्धा होता है । एक संक्रमण काल की सभ्यता ने आपको वह योद्धा समझ कर अपना नायक स्वीकार किया था पर आप तो रथों और घोड़ों के व्यापारी निकले । हो सके तो पुनः अपने आप को योद्धा की छवि में लाते हुए धर्मयोद्धा वाले कार्य कीजिए ।
इस सभ्यता को इस संक्रमण काल में बौद्ध विहारों के निर्माता अशोक की नही बल्कि हिंदवी स्वराज्य का सूर्य उगाने वाले शिवाजी की आवश्यकता है । स्वयं में परिवर्तन ला सकते हैं तो लाइए, हम सब छोटे छोटे तिनके पुनः दुगनी ऊर्जा से हुंकार भरेंगे अन्यथा एक वर्ष बाद 2024 में झोला लेकर हिमालय प्रस्थान कर लीजिएगा, हम अभागे महादेव से समय पटल पर किसी अन्य नायक के आगमन की प्रार्थना करेंगे । कभी तो किसी सनातन चिंतक की साधना सफल होlगी, महादेव कभी तो जागेंगे …
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