यार मेरा अब्बास है , मैं अब्बासी हिंदू हूँ ;
मैं जेहादी से भी बदतर , मैं अब्बासी हिंदू हूँ ।
मेरा हुआ मानसिक खतना , मैं अब्बासी हिंदू हूँ ;
जेहादी को जजिया देता हूँ , मैं अब्बासी हिंदू हूँ ।
मंदिर का धन लूट – लूट कर , जजिया में दे देता हूँ ;
काशी में मंदिर तुड़वाकर , गलियारा बनवाता हूँ ।
फ्री-मेजन संस्था का हूँ मैं , वन-नेशन वन-गॉड ही होगा ;
हिंदू हैं किस खेत की मूली ? उनको नष्ट ही होना होगा ।
मुझे छोड़ कर कहां जाओगे ? वोट मुझे ही देना होगा ;
मेरे जाल से बचा न कोई , तुझको भी फंसना होगा ।
धर्म – सनातन मुझे न भाता , अल्पसंख्यकवाद बढ़ाता हूँ ;
तुष्टीकरण है मेरा जीवन , हिंदू – मंदिर तुड़वाता हूँ ।
तुष्टीकरण से तुमको चिढ़ है , लो तृप्तिकरण मैं करता हूँ ;
पुरस्कार अच्छे लगते हैं , दुनिया भर से लेता हूँ ।
शाहीन बाग से मुझे न दिक्कत , रोड – जाम करवाता हूँ ;
हिंदू की तो जान फालतू , उसे जेल भिजवाता हूँ ।
केवल नाम का हिंदू हूँ मैं , पूजा की नौटंकी है ;
बहुत बड़ा अभिनेता हूँ मैं , कोई नहीं छटंकी हूं ।
इसी की दम पर राजनीति का , कितना बड़ा खिलाड़ी हूँ ?
केवल राष्ट्रनींति न आती , उसमें मैं अनाड़ी हूँ ।
पर अब पांसा पलट रहा है , मेरा सिंहासन डोल रहा ;
झूठे – इतिहास को पढ़कर सोया , वो हिंदू अब जाग रहा ।
विद्वानों की पूरी फौज है , सोशल- मीडिया में बैठी ;
मेरी सारी पोल खुल रही , जगह-जगह मेरी हेठी ।
लगता है अब जल जायेगी , मेरी काठ की हांडी ;
हिंदू – मन में ज्ञान का दीपक , जला रहा मेरी हांडी ।
बहुत छुपाया छुप न पाया,सच्चा-इतिहास है खुलकर आया;
हिंदू-जागरण की लहर उठ रही , अब योगी-हेमंता आया ।
लगता है सूरज अस्त हो रहा , अब नया सवेरा आयेगा ;
योगी – हेमंता का सूर्योदय जो, वो हिंदू – राष्ट्र बनायेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”
Bhosdi ke …chutiya sale…mansik khatna tumhara ho gaya halala ke paidaiso…😂😂😂😂