क्षुद्र- वासना जिसे सताती , सत्ता के पीछे वही भागता ;
त्यागी और तपस्वी जितने , वो सत्ता को लात मारता ।
नरक के कीड़े सत्ता – लोभी , भारत को नर्क बना देंगे ;
भरे हुए अब्बासी – हिंदू , गजवायेहिंद करा देंगे ।
धन-दौलत की तड़क-भड़क में ,देश का हिंदू फंसा हुआ है ;
सत्ता-लोभी काले-नागों से , इस कारण से डंसा हुआ है ।
सर पर मौत खड़ी हिंदू के , गला काटने की तैयारी ;
फिर भी हिंदू है गफलत में , भूल गया सारी होशियारी ।
शत्रु – मित्र को न पहचाना , धर्म – सनातन न जाना ;
अब्बासी – हिंदू की चाल को , इसी वजह से न जाना ।
अपना गला बचाओ हिंदू , खुद को अब मजबूत करो ;
हार और जीत तेरे हाथों में , अपनी हार को जीत करो ।
धर्म-सनातन कस कर पकड़ो , शस्त्र-शास्त्र की दीक्षा लो ;
घर-घर में हो धर्म की चर्चा , सच्चे-इतिहास की शिक्षा लो ।
सरकारी – इतिहास है झूठा , उनकी शिक्षा गंदी है ;
सत्ता – लोलुप नेताओं की , ये पूरी साजिश गंदी है ।
हिंदू अपनी आंखे खोलो , हमको धर्म बचाना है ;
धर्म – बचाना राष्ट्र – बचाना , हमको देश बचाना है ।
धर्म के दुश्मन राजनीति में , शिक्षा और मीडिया में ;
वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , जेहादी भरे हैं इंडिया में ।
हिंदू सारे काम छोड़ कर , एक काम को हाथ में लो ;
अब की चुनाव में हर हालत में , कट्टर- हिंदू को ही लो ।
कट्टर – हिंदू हो प्रत्याशी , चाहे किसी भी दल का हो ;
ठोंक बजाकर ठीक से देखो , चाहे क्यों न निर्दल हो ।
अपना वोट इन्हीं को देना , वरना अवश्य ही नोटा करना ;
या फिर “इकजुट-जम्मू” आये , तो फिर वोट उसे ही देना ।
एकमात्र ये ही दल अच्छा , पूरी तरह देश-भक्त है ;
राष्ट्र-भक्त है धर्म-भक्त है , अन्य तो सारे बगुला भगत हैं ।
हर-हिंदू का एक ही प्रण हो , हिंदू-वादी सरकार बनाओ ;
“इकजुट-जम्मू””इकजुट-हिंदू””इकजुट-भारत” इसे बनाओ।
भारतवर्ष बचाना है तो , हिंदू-वादी सरकार बनाओ ;
तब ही हिंदू की रक्षा होगी , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”