कमाल है… वक्त पड़ने पर सोशल मीडिया का निर्लज्जतापूर्वक उपयोग भी करेंगे और जब कमेंट विरोध में आने लगे तो उसे गाली देना शुरू कर दें। अब तो एक नया फंडा निकल चला है कि प्रशंसा वाले कमेंट को रहने दो और गाली वाले कमेंट को हटा दो। स्वघोषित बड़े पत्रकार अभिसार शर्मा सरकारी विभाग के साथ अपने विवाद को सोशल मीडिया पर ले आया है। उसने विभाग और मीडिया द्वारा उठाए सवाल का जवाब फेसबुक पर एक वीडियो के माध्यम से दिया है। खास बात है कि उसने जो वीडियो डाला है उस पर विरोध में जो कमेंट आ रहे हैं उसे हटा दिया है।
मुख्य बिंदु
* अगर इतने ही सच्चे हो तो फिर अदालत तुम्हारे मामले को बंद क्यों नहीं कर देती
* जो एसके श्रीवास्तव तुम्हें इतना परेशान कर रखा है उसपर मामला क्यों नहीं दर्ज कराते
* सरकार से “बेतुके कठिन सवाल” तुम अकेले नहीं पूछते, मीडिया का पूरा एक वर्ग लगा हुआ है
अभिसार शर्मा ने आज अपने वीडियो में जी न्यूज, बीबीसी वर्ल्ड और एनडीटीवी की ज्वाइनिंग लेटर दिखाते हुए जी न्यूज और एनडीटीवी में अपनी सैलरी का खुलासा किया है। उसने कहा है कि एनडीटीवी में उसकी सैलरी सात नहीं 70 हजार थी। सीबीआई और आयकर विभाग ने जी न्यूज और बीबीसी की सैलरी पर कभी सवाल उठाया भी नहीं उसने तो एनडीटीवी में मिलने वाली सैलरी पर सवाल उठाया था? अब सवाल उठता है कि आखिर अभिसार शर्मा ने इन जांच एजेंसियों के खिलाफ बदनाम करने का मामला क्यों नहीं दर्ज कराया?
उसने अपने वीडियो में सरकारी विभागों खासकर एसके श्रीवास्तव पर जानबूझ कर परेशान करने का आरोप लगाया है। सवाल यह है कि आखिर उसने अभी तक सरकारी विभागों और उस अधिकारी एसके श्रीवास्तव के खिलाफ पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई? अभिसार ने एसके श्रीवास्तव के माफीनामे का तो जिक्र किया है कि उसने लिखित में कोर्ट के सामने माफी मांगी है, लेकिन उसने ये नहीं जिक्र किया है कि उसकी बीवी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप को हाईकोर्ट ने बेबुनियाद बताया और उसे खारिज कर दिया?
उसने यह आरोप लगाया है कि सीबीआई ने उसकी बीवी से आठ घंटे तक पूछताछ की थी, लेकिन अभी तक उसने चार्जशीट क्यों नहीं दाखिल की? सवाल उठता है कि इतना ईमानदार और सच होने का दावा करने वाला अभिसार शर्मा सीबीआई के खिलाफ कोर्ट में मेंटल हैरैसमेंट करने की शिकायत क्यों नहीं की?
सरकार से बेखौफ होकर कठिन सवाल करने का दावा करने वाला अभिसार शर्मा आखिर डरता किस बात से है? क्या वह यह नहीं जानता कि इस प्रकार की लड़ाई सोशल मीडिया पर सहानुभूति हासिल कर नहीं लड़ी जाती क्योंकि यह विभागीय और अदालती लड़ाई है। दरअसल अभिसार शर्मा पत्रकार नहीं ‘नटुआ’ है, जो हाथ मटका-मटका कर एंकरिंग तो कर सकता है, लेकिन जब रिपोर्टिंग की बारी आती है तो गेहूं को धान और धान का गेहूं कह कर जनता की आंख में धूल झोंकता है। असली समस्या यह है कि मोदी सरकार के समय उसकी बीबी से सीबीआई पूछताछ कर चुकी है और आयकर विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, जिससे यह इस सरकार के प्रति नफरत भरी ‘पीडी पत्रकारिता’ करता रहता है।
वैसे यह अलग बात है कि मोदी सरकार में भी पी.चिदंबरम और एनडीटीवी के मालिक प्रणव जेम्स राय के हितैषियों की भरमार है, जिस कारण अभिसार जैसा प्यादा भी अभी तक बचा हुआ है। अभिसार और उसकी पत्नी सुमना सेन पर कार्रवाई होते ही प्रणव राय और चिदंबरम दोनों फंस जाएंगे, इसलिए बड़े के चक्कर में यह प्यादा अभी तक बचा हुआ है। अतः फेसबुक लाइव कर-करके अपने मालिकों को दिखाता रहता है कि मालिक देखिए, आप मुकदमे से निपटने के लिए बड़ा प्रयास कर रहे हैं तो हम भी छोटा-मोटा प्रयास जारी रखे हुए हैं!
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4- वाराणसी हादसे को लेकर दांत निपोरते हुए पत्रकार अभिसार शर्मा ने फैलाया फेकन्यूज!
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