आईएसडी नेटवर्क। बहुचर्चित टीआरपी केस में हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड ने बॉम्बे हाईकोर्ट की शरण ली है। हंसा ग्रुप ने मुंबई पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मुंबई क्राइम ब्रांच हमारे कर्मचारियों पर दबाव बना रही है कि अपने बयान वापस ले।
हंसा के मुताबिक उनके कर्मचारियों पर उस रिपोर्ट में से बयान वापस लेने का दबाव है, जिसमे टीआरपी स्कैम में रिपब्लिक भारत का नाम न आने की बात कही गई थी। उल्लेखनीय है कि हंसा की रिपोर्ट के बाद ही इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। मंगलवार को कोर्ट में चार याचिकाकर्ताओं द्वारा इस मामले में एक याचिका दायर की गई थी।
हंसा रिसर्च के डाइरेक्टर नरसिम्हन के. स्वामी, सीईओ प्रवीण निझारा, सहायक मैनेजर नितिन देवकर की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 12 अक्टूबर के बाद से ही उनके कर्मचारियों को बार-बार क्राइम ब्रांच बुलाया जा रहा है। कर्मचारियों को घंटों इंतज़ार करवाया जाता है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुंबई क्राइम ब्रांच कर्मचारियों पर बयान वापस लेने और झूठे बयान देने का दबाव लगातार बना रही है। हंसा के कर्मचारियों से कहा गया कि वे 10 अक्टूबर को रिपब्लिक भारत पर टेलीकॉस्ट हुई उस रिपोर्ट का खंडन करे, जिसमे हंसा की रिपोर्ट का हवाला दिया गया था। हंसा की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि वे पिछले कई दिनों से मुंबई पुलिस और कुछ मीडिया संस्थानों के बीच फंसे हुए महसूस कर रहे हैं।
हंसा पर दोनों तरफ से भारी दबाव बनाया जा रहा है। हंसा ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस मामले की जाँच किसी दूसरे राज्य की एजेंसी या सीबीआई से करवाई जाए क्योंकि उन्हें लगता है कि मुंबई क्राइम ब्रांच पक्षपाती होकर काम कर रही है। हंसा का आरोप है कि उनके कर्मचारियों को बुलाकर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है ताकि वे उनके कहे अनुसार झूठा बयान दे दे।