बाबा रामदेव ने बिना सच जाने मोदी सरकार की चापलूसी में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी को राष्ट्र-द्रोही कह दिया है। उनका वह ट्वीट नीचे है।
और शंकराचार्यजी का बयान भी नीचे वीडियो के रूप में है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर दिलवाने वाले अधिवक्ता पी.एन.मिश्र ने रामदेव बाबा को जवाब दिया है, जो नीम्न है।
पी.एन.मिश्र:- राम देव जी एक व्यवसायी हैं क्योंकि वे सदैव पतंजलि ब्राण्ड के उत्पादों का विज्ञापन प्रचारित प्रसारित करते रहते हैं । वे सनातनी नहीं हैं वे आर्य समाजी हैं इसलिए सनातनियों को उनसे दूर रहना चाहिए । शंकराचार्य सनातनी होते हैं । ऐसे में वे शंकराचार्य पर ओछी टिप्पणी कर हिंदुओं के दो वर्गों में कटुता फैलाना चाहते हैं ।
साधु वही होता है जो व्यवसाय आदि से वैराग्य ले ले ये व्यवसाय में लिप्त ढोंगी पाखंडी हैं । निरुक्त में कहा गया है जो वेद मंत्र द्रष्टा है वह ऋषि होता है । ये मंत्र द्रष्टा तो हैं नहीं अतएव इन्हें ऋषि नहीं कहा जा सकता हाँ तथाकथित स्वघोषित ऋषि भले कहे जा सकते हैं ।
जिस व्यक्ति के ऊपर औषधियों में जन्तुओं की हड्डियां मिलाने का आरोप लगा हो वह गोवंश के वध का क्या विरोध करेगा।
“रामदेव आदरणीय नहीं निंदनीय हैं । जब पुलिस का एक्शन हुआ तो सलवार पहन कर भागने वाला बांग्लादेश की हिंदुओं की रक्षा करने की बात करता है इससे बड़ी हास्यास्पद बात क्या हो सकती है।“
इन तथाकथित बाबा / स्वामी रामदेव को ग़लत विज्ञापन करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय से माफ़ी तक मांगनी पड़ी है । इनकी कम से कम १४ दवाओं को किसी न किसी कारण से सरकारी विभाग ने प्रतिबंधित कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण इन्हें वे दवायें वापस लेनी पड़ीं हैं । घटिया दवा बनाने वाला यह व्यक्ति देश भक्त कैसे हो सकता है यह तो लोगों के प्राणों को संकट में डालने वाला ही कहा जा सकता हैं । आज तक चारों में से किसी एक भी शंकराचार्य को किसी संस्थान या तंत्र से माफी नहीं मांगनी पड़ी है । इस निर्लज्ज को शंकराचार्यों पर टिप्पणी करने का क्या अधिकार है ।
सर्वोच्च धर्मगुरु होने के कारण ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य को इस व्यक्ति को सनातन धर्म से बहिष्कृत करने का अधिकार ब्रह्मसूत्र शांकरभाष्य के बहिराधिकरण , मठाम्नाय -महानुसाशनम्, तथा सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के सैयदाना ताहिर हुसैन मामले में दी गई क़ानूनी व्यवस्था आदि के अनुसार है ।
हम शंकराचार्य जी से प्रार्थना करते हैं कि इन्हें कारण बताओं नोटिस निर्गत कर इनका पक्ष यदि कोई आए तो उसपर विचार कर या न आए तो शास्त्रीय मान्यता के अनुरूप इस छद्मवेशी व्यवसायी स्वामी को सनातन धर्म से बहिष्कृत कर दें ।