पीयूष गोयल जब मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश कर डेढ़ बजे प्रेस के सामने मुखातिब हुए तब तक विपक्ष इस हाल में नहीं था कि वो सरकार के आखिरी बजट पर क्या प्रतिक्रिया दे। कांग्रेस पार्टी की तरफ से उनके विद्वान वकील और आर्थिक मामले के जानकार लेकिन आम भारतीय के नब्ज समझने में अनाड़ी चिदंबरम अंग्रेजी में सरकार के बजट के विरोध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो उन्हें पता चल गया कि बजट का आम आदमी पर असर क्या है। फिर विपक्ष के कुछ नेताओं की आपस में बातचीत हुई और घंटे भर के अंदर बर्बादी के भय आनन फानन में हुई विपक्ष की मीटिंग हुई। सारे 4 साल में पूरे विपक्ष की यह एक तरह की पहली मीटिंग थी मीटिंग के बाद जब प्रेस के सामने कांग्रेस के मुखिया आए तो उन्होंने राग ईवीएम का छेड़ा यह कहते हुए कि ईवीएम के खिलाफ सोमवार को मुख्य चुनाव आयोग के सामने शिकायत करेंगे मीटिंग इसी बात को लेकर की थी। सवाल यह है की राजस्थान में जो ईवीएम सही थी वह हरियाणा के जींद में खराब कैसे थी तीन राज्यों में हाल के चुनाव में जो ईवीएम सही थी उस दिन में खराब कैसे थी जनता सब समझ रही है किक ऑफ सरकार के बजट का है जिंदगी जनता के जवाब का है इस मजबूरी ने एक बार फिर विपक्ष को एकजुट होने को मजबूर कर दिया विपक्ष को जो राहुल गांधी को अपना नेता नहीं मान रहा था आनन-फानन में मीटिंग के बाद राहुल को प्रेस के सामने अपने प्रतिनिधि के रूप में भेज दिया।
वो पूरा विपक्ष जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भय से महागठबंधन की बात तो करता था, लेकिन सियासी लड़ाई को अंजाम देने के लिए बड़ा दिल नहीं दिखा पाते थे। कर्नाटक में जब जेडीएस के साथ मिलकर किसी तरह से कांग्रेस ने सरकार बनाई तो एक मंच पर पूरा विपक्ष एकजुट होता हुआ दिखा लेकिन छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो वहां विपक्ष की कर्नाटक वाली एक जुटता नहीं दिखी। शपथ ग्रहण में माया अखिलेश समेत पूरा विपक्ष नदारद था।
संदेश साफ था कि कांग्रेस को जो भ्रम हुआ कि वह भाजपा का विकल्प है और राहुल, मोदी के सामने उभरते चेहरे हैं उस भ्रम को पूरे विपक्ष ने तार तार कर दिया। रही सही कसर माया और मुलायम ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को खारिज करते हुए गठबंधन के लिए सीटों के बटवारा की घोषणा के साथ पूरी कर दी । जो कुछ बच गया उसे तेजस्वी के इस बयान ने पूरा कर दिया कि कांग्रेस को बिहार में बड़ा भाई नहीं मानता । लेकिन जींद में कांग्रेस की हुई दुर्दशा और देश के इतिहास में पहली बार वहां से भाजपा के जीत ने विपक्ष को भया क्रांत कर दिया । रही सही कसर मोदी सरकार की आखिरी बजट ने पूरी कर दी। विपक्ष इस कदर हताश हुआ की 2014 के बाद पहली बार एक टेबुल पर आकर अपनी खौफ का प्रदर्शन करने लगा बहाना ईवीएम का बनाया गया
असंगठित क्षेत्र के कामगार मजदूरों के लिए वो सौगात था जो अब तक कभी सामने नहीं आया ।मध्य वर्ग के लोगों के लिए टैक्स को ढाई लाख से 500000 कर देना सरकार के इस फैसले ने विपक्ष के उन तमाम दावों को खत्म कर दिया जिस की राह पर मध्य वर्ग का वोट और किसानों के वोट से वह सत्ता हासिल करना चाहता था। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की जीत का एक बड़ा कारण नोटा तो माना ही जाता था, उसके साथ साथ किसानों की ऋण माफी को एक बड़ा मामला माना गया ।देशभर में भाजपा सरकार को किसान विरोधी घोषित करने की एक साजिश रची गई । सरकार को यह समझ आ गया कि यदि वह किसानों के हित में कोई दूरगामी फैसला नहीं करता तो आगामी चुनाव उसे भारी पड़ सकता है।
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किसानों के लिए सरकार जो योजना लेकर के आई देश के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी योजना थी। ₹6000 सालाना हर किसान को देने की बात की गई ।इसे विपक्ष ने ₹500 महीने से लेकर दिन के हिसाब से 17 रुपए दैनिक आमदनी के रूप में तोड़ कर दिखाया। सवाल छोड़ा गया कि किसानों को मिला क्या है । लेकिन विपक्ष और मीडिया का एक वर्ग जनता में वह भ्रम नहीं पैदा कर पाया ।
परिणाम यह की 4 साल में पहली बार राहुल गांधी की अगुवाई में पूरा विपक्ष कांस्टीट्यूशनल क्लब में एकजुट होकर एक टेबल पर आ गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ,राष्ट्रवादी कांग्रेस के मुखिया शरद पवार ,सपा की रामगोपाल यादव, लेफ्ट के डी राजा तृणमूल कांग्रेस के डी ब्रायन, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, बसपा से सतीश मिश्रा आरजेडी से मनोज झा समेत सभी पार्टी के प्रतिनिधि आनन-फानन में एकजुट हुए। जींद की जनता की मार खाने के बाद पीयूष गोयल के बजट ने जो जले पर नमक छिड़का है उससे अब राहत मिल पाना मुश्किल लग रहा था ।
जो सपा बसपा कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 2 सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं थी इस कारण महागठबंधन में शामिल नहीं किया जो भी पक्ष 3 राज्यों में बने कांग्रेस की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को बेंगलुरु की तरह रंगारंग नहीं बनाया। उस विपक्ष के अंदर यह खोफ हो गया अब यदि एकजुट नहीं हुए तो हम तबाह हो जाएंगे । लिहाज़ा गोयल के बजट के 2 घंटे के अंदर विपक्ष के hiइस फैसले ने साफ कर दिया किया की वे यदि एक छतरी के नीचे नहीं आए तो तबाही तय है। लेकिन बजट का विरोध कर नहीं सकते जीद की जनता की मार समझ में आ रहा था लिहाजा जनता और सरकार के हर मारक हथियार से बचने के लिए बस ईवीएम के भ्रम का ही आसरा था। राहुल अब सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त को विपक्ष का दर्द बताएंगे । जिसका मर्ज जनता समझ रही है।
URL : After gym and budget opposition gather on the table firstly