अयोध्या विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला उसकी खुद की साख पर बट्टा लगा गया है। तभी तो सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट कार्यशैली से लेकर उसके फैसले तथा उन्हें मिलने वाली छुट्टियों को लेकर ट्वीट किए जाने लगे हैं। कोई संस्था हो या व्यक्ति, जब उसके बारे में जानकारी जुटनी शुरू हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि कि उस संस्था या व्यक्ति ने या तो कुछ अच्छा किया है या फिर उनसे कुछ गलत किया है। जब से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यी खंडपीठ ने अयोध्या विवाद मामले को लटकाने का फरमान सुनाया है सुप्रीम कोर्ट की छानबीन शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में कितने जज हैं, उनकी पृष्ठभूमि क्या है, कितने दिनों की छुट्टी मिलती है.. कार्य के दौरान किस प्रकार का फैसला होता है। किस-किस मामले को तवज्जो दिया जाता है आदि आदि… जब इस प्रकार की नकारात्मक पड़ताल शुरू हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि उस संस्था और व्यक्ति की साख पर बट्टा लग गया है।
45 Summer holidays
15 Winter holidays
6 Holi holidays
6 Diwali holidays
6 Dussehra holidays
14 Public holidays
SC enjoys 90+ holidays! When not holidaying, SC is busy with verdicts on Hindu traditions, bail for criminals, midnight hearings for terrorists & Prashant Bhushan PILs!
— गीतिका (@ggiittiikkaa) October 29, 2018
सुप्रीम कोर्ट के जजों को 90 से भी अधिक दिनों की छुट्टियां मिलती हैं। इसमें 45 दिनों की गर्मी की छुट्टी से लेकर 15 दिनों की सर्दियों की छुट्टी, होली दिवाली तथा दशहरे में मिलने वाली 6-6 दिनों की छुट्टी शामिल है। अगर सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिलने वाली छुट्टियों का विश्लेषण करें तो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिलने वाली छुट्टियों के कारण एक साल में करीब 11 हजार केस पेंडिंग होते जाते हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट के कोई जज आज तक इस विषय पर विचार किया है?
मुख्य बिंदु
सुप्रीम कोर्ट के जजो कों मिलने वाली छुट्टियों की वजह से हर साल करीब 11 हजार केस हो जाते हैं पेंडिंग
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहा जाने लगा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को छुट्टियां बिताने से फुर्सत मिलती है तो या वे हिंदू परंपराओं के खिलाफ फैसला देने में व्यस्त हो जाते हैं, या फिर अपराधियों को बेल देने में! सुप्रीम कोर्ट के बारे में तो अब यहां तक कहा जाने लगा है कि सुप्रीम कोर्ट आतंकियों के खिलाफ चल रहे केस के मामले की सुनवाई के लिए रात के 12 बजे कोर्ट खुलवा सकता है, प्रशांत भूषण की जनहित याचिका की सुनवाई करने के लिए भी समय निकाल सकता है। लेकिन देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े अयोध्या मामले पर सुनवाई के लिए वक्त नहीं निकाल सकता है बल्कि इस मामले को टालने के लिए अपना वक्त जाया कर सकता है।
URL: after hanging Ayodhya dispute questions put on Supreme Court
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