विपुल रेगे। भारत को अमेरिका की धरती पर शर्मसार करने वाला कॉमेडियन वीर दास कुछ घंटों पूर्व भारत लौट आया है। जैसे ही उसने मुंबई एयरपोर्ट से बाहर कदम रखा, भारतीयों ने उसे ट्रोल करना शुरु कर दिया। अपनी पत्नी के साथ मास्क पहने वीर दास को लोगों ने पहचान लिया था। वीर दास ने जब अपने अमेरिका टूर पर भारत को अपमानित करती कविता पढ़ी थी, उसके बाद से उस पर भारत के कई शहरों से एफआईआर दर्ज कर ली गई थी। घर लौटने के बाद वीर दास पर गिरफ्तारी का ख़तरा बढ़ गया है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या किसी और तरह से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या भारत में क़ानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है तो वह राजद्रोह का आरोपी है। पक्का नहीं कहा जा सकता कि वीर दास पर हुई एफआईआर में धारा 124A का प्रयोग किया गया है या नहीं। राजद्रोह की ये धारा लगातार विवादों में बनी हुई है।
कांग्रेस कई बार इस धारा को समाप्त करने की मांग कर चुकी है। चूँकि ये राजद्रोह कानून ब्रिटिश शासन में लाया गया था इसलिए इसका विरोध होता रहा है। हालाँकि अंग्रेज़ों के कानून में बहुत हद तक संशोधन कर दिया गया था। दोषी पाए जाने पर आरोपी को तीन वर्ष का कारावास इस धारा के तहत झेलना पड़ सकता है। नवंबर माह में तीन प्रसिद्ध हस्तियों पर विवादित बयान देने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। सलमान खुर्शीद, कंगना रनौत और वीरदास। संविधान का अनुच्छेद 19 प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
इसी अनुच्छेद का बेजा फायदा लिया जाता है। विशेष रुप से वीर दास जैसे भद्दे कॉमेडियन इसका लाभ लेकर बच निकलते हैं। यहाँ हम धारा 124A को कॉमेडियन के विरुद्ध तर्कसंगत नहीं मान सकते हैं। इस केस में फ्रीडम ऑफ़ स्पीच पर अनुच्छेद 19(2) के तहत कार्रवाई करनी चाहिए। इस अनुच्छेद में स्पष्ट कहा गया है ‘देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता, दूसरों की मानहानि, न्यायिक अवमानना, सार्वजानिक शिष्टाचार को आहत करने वाले मामलों को अभिव्यक्ति की आजादी का संरक्षण नहीं मिल सकता।
किसी भी नागरिक को ऐसी सभा या सम्मेलन आयोजित करने की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती जिससे लोग शांति भंग हो अथवा देश की प्रभुता एवं अखंडता या लोक व्यवस्था संकट में पड़ जाए।’ सोमवार को वीर दास जब भारत आया तो वह बड़ा आत्मविश्वास से भरा दिखाई दे रहा था। उसको ऐसा अखंड विश्वास है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की आड़ लेकर वह बच निकलेगा। अब भारत सरकार को तेज़ गति से एक्शन लेना चाहिए। अमेरिका के मंच पर भारत विरोधी कविता पढ़ने का दंड उसे मिलना ही चाहिए।
अनुच्छेद 19(2) के तहत वीर दास को तुरंत जेल भेजा जाना चाहिए। जब वीर दास अमेरिका में कविता पढ़कर लोगों की निगाहों में आया तो उसके विकिपीडिया पृष्ठ पर जाकर किसी ने उसका धर्म बदलने का प्रयास किया। किसी अज्ञात व्यक्ति ने वीर दास के पिता का नाम ‘अब्दुल्लाह’ कर दिया था। वास्तव में किसी के धर्म के प्रति ऐसा कृत्य करना निंदनीय है। वीर दास की पीआर टीम ने इसकी तुरंत शिकायत दर्ज करवाई है। ऐसे ही वीर दास ने अमेरिका जाकर भारत की छवि को दूषित करने का प्रयास किया है।
हमें भी ऐसा ही लगता है, जैसे वीर दास ने भारत के विकिपीडिया पृष्ठ पर जाकर उसकी पहचान बदलने का प्रयास किया है। वीर दास को अपने पिता का नाम बदलने पर जैसा महसूस हुआ है, वैसा ही हमें भारत के अपमान पर महसूस हुआ है। वह अज्ञात आरोपी और वीर दास दोनों ही घृणित अपराध के दोषी हैं। क्या उन दोनों को दंड नहीं दिया जाना चाहिए ?