ईमानदार और 2जी व सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का जमीन घोटाला उजागर करने वाली पत्रकार शालिनी सिंह ने मोदी सरकार द्वारा फेक न्यूज फैलाने वाले पत्रकारों की सरकारी मान्यता रद्द करने के निर्णय का स्वागत किया था! लेकिन अफसोस, खुद पीएम मोदी फेक पत्रकारों के दबाव के आगे झुक गये!
ऐसा नहीं कि प्रधानमंत्री का हर फैसला सही ही हो, अगर फैसला गलत हो तो सवाल उठना चाहिए कि आखिर नरेंद्र मोदी ने अपने ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी से वह फैसला वापस लेने को क्यों कहा? जिसमें उन्होंने फेक न्यूज के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी करने को कहा था। सवाल उठना चाहिए कि जिस फेक न्यूज ने प्रधानमंत्री के रूप में उनकी छवि को तार-तार करने में कोई कोताही नहीं छोड़ी आज उसे ही अभयदान क्यों दिया जा रहा है? आखिर क्यों मोदी भी अटल जी की अज्ञात राह चुनने को तैयार हैं? काल बड़ा निष्ठुर होता है, जिसे आज उन्होंने अभयदान दिया है वही कल समाज और देश के लिए खतरा बन जाएग। अभिव्यक्ति के नाम पर झूठ फैलाना पत्रकारिता नहीं कही जा सकती है।
मुख्य बिंदु
* पीएम ने फेक न्यूज पर जारी गाइडलाइन वापस लेने को कहा
* पीएम के फैसले से मंत्री और मंत्रालय को लगा जोरदार झटका
* प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को है दिशानिर्देश देने का अधिकार
पीएम नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी से फेक न्यूज के खिलाफ निर्धारित गाइडलाइंस वाला फैसला वापस लेने को कहा है। निश्चित रूप से उनके इस कदम से मंत्री और मंत्रालय को धक्का लगा है। पीएम ने कहा है कि जिस प्रकार का फैसला मंत्रालय ने लिया है उसका अधिकार सिर्फ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का है। मोदी यहां भी गलत कर रहे हैं। अगर सालों से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अपना काम किया होता तो फिर ऐसी नौबत क्यों आती। दूसरी बात ये है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया निर्देश देने वाली संस्था है, उसे क्रियान्वयन करने वाली संस्था नहीं है। और न ही उसके पास किसी मीडिया हाउस या पत्रकार को दंडित करने का अधिकार है।
मालूम हो केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को फेक न्यूज के खिलाफ दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा था कि अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है, तो दोषी पत्रकार की मान्यता खत्म कर दी जाएगी।
If a journalist is doing an honest job, untouched by bias, hatred, lust for money or TRP’s (fame) then the new norms on #FakeNews are a non-issue. Actually, the new norms afford an opportunity for media to turn its attention to real news, which, sadly, it routinely ignores.
— Shalini Singh (@shaliniscribe) April 3, 2018
फेक न्यूज पर भले ही मोदी सरकार ने यू-टर्न लिया हो, लेकिन इसने ‘सरकारी पत्रकारों’ और उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रोपोगंडा को उजागर कर दिया!
Though the guidelines on #FakeNews is withdrawn but it's has exposed well to the pseudo Flagbeaers of Freedom of Expression.
— Prashant P. Umrao (@ippatel) April 3, 2018
ईमानदार नहीं, सरकारी सुविधाभोगी पेटिकोट पत्रकार ही कर रहे थे सरकार के निर्णय का विरोध!
When you don't spread #FakeNews then why to worry from guidelines, Is it comes under your Freedom of Expression? Only Traders of #FakeNews are rattled.
— Prashant P. Umrao (@ippatel) April 3, 2018
बंगाल में पत्रकारों और पत्रकारिता को कुचलने वाली ममता बनर्जी को ‘फेक पत्रकारों’ की ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की बहुत चिंता है! आखिर यही पत्रकार तो बंगाल में एक समुदाय विशेष द्वारा किए जा रहे सांप्रदायिक दंगों को छुपाते हैं!
The PIB circular on #FakeNews control is a brazen attempt to curb press freedom, a sure sign that the Govt has lost its way. We demand the immediate withdrawal of such a draconian move. And
what about #FakeNews spread by a political party on a regular basis ?
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 3, 2018
पीएम मोदी के फैसले पर ‘लुटियन पत्रकारों’ में हर्ष! आखिर ‘सरकारी पत्रकारिता’ की सुविधा की उम्मीद इस सरकार से बंध तो गयी ही!
#BREAKING : Journalists Rajdeep Sardesai and Sagarika Ghose applause Modi's decision to withdraw action against #FakeNews peddlers. Says Modi is the politician India needs today and he will win 2019 elections too. pic.twitter.com/y1I0qGphzd
— RepubIic TV (@repubIicTv) April 3, 2018
PM narendramodi has directed that the press release by the MIB_India regarding Fake News be immediately withdrawn and the matter should only be addressed in Press Council of India. But Fake news and Fake Journalist destroy ethics of journalism, see some example
NDTV leaked Submarines Info and Pathankot Coverage.
Journalists involved in Agusta chopper deal & Scam.
Radia tapes of Barkha dutt and Vir Sanghvi.
Barkha's coverage during 2002 riots, 26/11.
Only those who run #FakeNews & Agenda and harming our Nation are scared of Govt action.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) April 3, 2018
URL: After widespread criticism, PMOIndia tells MIB_India to withdraw press release on fake news.
KeyWords: Fake news, mainstream media, MSM, Journalists, Reporting, Smriti Irani, Press Council of India, PIB, Journalism in the Age of Fake News, lutyens journalist, Yellow Journalism, फेक न्यूज, फर्जी खबर, पेटिकोट पत्रकार,पीडी पत्रकार