सुप्रीम कोर्ट के सर्वशक्तिमान होने के साथ ही संवैधानिक नैतिकता के आधार पर सबरीमाला जैसे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को स्वीकार नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि संवैधानिक नैतिकता की अवधारणा अपने जन्म के साथ ही नष्ट हो जाएगी। यह बात उन्होंने शनिवार को आयोजित दूसरे दादाचांजी स्मृति संवाद में बोलते हुए कही।
दादाजांची स्मृति संवाद में बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक नैतिकता लागू करने पर बल दिया तो फिर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भारतीय सुप्रीम कोर्ट के बारे में वह विश्वास परिणाम में बदल जाएगा। मालूम हो कि पंडित नेहरू ने कहा था कि अगर संवैधानिक नैतिकता पर बल दिया गया तो एक दिन सुप्रीम कोर्ट तीसरे पक्ष के रूप में बदल जाएगा।।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने खुद इतना अधिकार अख्तियार कर लिया है जो पूरी दुनिया के किसी भी सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं है। इसी कारण संविधान की धारा 142 को इस प्रकार से व्याख्या की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट सभी कानून से ऊपर है। भारत सरकार के सबसे बड़े कानून अधिकारी ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका यह बयान पूरी तरह निजी है।
न्यायपालिका और विधायिका के बीच संघर्ष के इतिहास के बारे में पता लगाते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पारंभिक वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की सख्त और शाब्दिक व्याख्या के सहारे भूमि सुधार तथा राष्ट्रीयकरण कानून को आघात पहुंचाया था। एजी ने कहा कि इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती मामले में भी संविदान की सख्त व्याख्या कर विधियाकी की सर्वोच्चता को आघात पहुंचाया था। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक जिस मामले में अपनी सर्वोच्चा के लिए हस्तक्षेप किया है उसमें से एक भी मामले में सुप्रीम कोर्ट को सही ठहराना मुश्किल है।
सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोलते हुए एजी ने कहा “संवैधानिक नैतिकता है क्या”। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट की बेंच से ही इस मामले में दो प्रकार के बातें सामने आएं तो आप इस बारे में क्या कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक पक्ष का कहना है कि संवैधानिक नैतिकता सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देती है, जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि संवैधानिक नैतिकता इस प्रकार की कोई अनुमति नहीं देती है। दूसरे पक्ष का कहना है कि संवैधानिक नैतिकता बहुत ही घातक हथियार है जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। अगर इसका उपयोग हुआ तो इतने गंभीर परिणाम सामने आएंगे जितना कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है।
प्वाइंटवाइज समझिए
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं एजी
* एजी ने संवैधानिक नैतिकता को बताया सबसे खतरनाक हथियार
* सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक हथियार का उपयोग करना उचित नहीं
* सबरीमाला मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के दो विचार आए सामने
* एजी वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को बताया सबसे ज्यादा
* विश्व के किसी भी देश का सुप्रीम को भारत जैसा ताकतवर नहीं है
* सुप्रीम कोर्ट ने खुद को दुनिया का सबसे ताकतवर कोर्ट बना लिया है
URL : AG says SC has taken more powers than any apex court !
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