अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में इटली की अदालत के निर्णय में सिग्नोरा गांधी सहित कांग्रेस लीडरशिप के आए नाम से यदि सबसे अधिक कोई बेचैन है तो वह भारतीय मीडिया है! और शायद इसलिए भी कि स्वयं भारतीय मीडिया पर इस मामले को दबाने के लिए क्रिश्चिन मिशेल से 45 करोड़ रुपए घूस खाने का दस्तावेज सामने आ चुका है!
पहले ‘द हिंदू’ अखबार व ‘द टेलीग्राफ’ ने बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का साक्षात्कार लेकर यह साबित करने का प्रयास किया कि गांधी परिवार को फंसाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के प्रधानमंत्री से समझौता किया है। इसे ही आधार बनाकर कांग्रेस नेता गुलामनबी आजाद ने राज्यसभा में झूठ बोला, जहां सरकार की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया कि भारत व इटली के प्रधानमंत्री के बीच कोई बैठक ही नहीं हुई है!
इस झूठ की पोल खुलने के बाद इसे विजुअलाइज करने का खेल खेला गया, जिसमें इंडिया टुडे ग्रुप व एनडीटीवी को आगे किया गया है! विजुअलाइजेशन का फर्क बड़ा होता है और वहां बार बार बोला गया झूठ भी सच प्रतीत होता है। सूत्र बताते हैं कि इंडिया टुडे ग्रुप व एनडीटीवी स्वयं क्रिश्चियन मिशेल के साथ संबंधों को लेकर संदेह के घेरे में और ईडी की रडार पर हैं!
दरअसल क्रिश्चिन मिशेल के साक्षात्कार को लेकर एनडीटीवी जिसे ‘द बिग इंटरव्यू’ और इंडिया टुडे जिसे ‘इंडिया टुडे ट्रैक मिशेल’ लिखकर ‘एक्सक्लूसिवनेस’ का दावा कर रहा है, देखने से ही पता चल जाता है कि वह क्रिश्चियन मिशेल की लिखी पटकथा है, जिसे एनडीटवी की बरखा दत्ता और टुडे के संजय बरागटा पर्दे पर उतार रहे हैं!
यह पूरा साक्षात्कार देखने और प्रश्नों को सुनकर कोई भी पाठक अंदाजा लगा सकता है कि इन दोनों मीडिया हाउस ने क्रिश्चिन मिशेल को ट्रैक नहीं किया है, बल्कि क्रिश्चिन मिशेल ने इन्हें झूठ को प्रचारित करने के लिए अपने विदेश स्थित मकान या होटल में बुलाया है!
आपको याद है कि पाकिस्तान में हाफिस सईद का साक्षात्कार लेने वाले डॉ वेद प्रताप वैदिक पर यही अंग्रेजी मीडिया किस प्रकार हमलावर हो उठी थी? आज क्रिश्चिन मिशेल के खिलाफ भी रेड कॉर्नर नोटिस है और सीबीआई ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर रखा है, लेकिन इसके बावजूद इन पर कोई हमलावर नहीं है, क्यों?
भारत सरकार ने स्पष्ट कहा है कि क्रिश्चिन मिशेल को जो कहना है वह सरेंडर करते हुए जांच एजेंसी के समक्ष कहे, लेकिन भारतीय मीडिया एक रेड कॉनर नोटिस वाले बिचौलिए का भोंपू बनी हुई है, क्यों?
आप दोनों टीवी चैनलों का साक्षात्कार देखिए, क्या समानता है! क्रिश्चिन ने एक समान कपड़े पहने हैं, समान कमरा है, वही उसके पीछे सड़क और वही फलाईओवर! अर्थात बड़े आराम से वह अपने घर या होटल के कमरे में दोनों मीडिया हाउस को बुला रहा है, न कि मीडिया हाउस उसे ट्रैक करते हुए पहुंची है! अब यह क्रोमा तो हो नहीं सकता? और यदि है तो एनडीटीवी और इंडिया टुडे पृष्ठभूमि के लिए एक समान क्रोमा का इस्तेमाल करते हैं, आश्चर्य है!
एनडीटवी और बरखा का खेल समझिए
1 बरखा दत्ता ने इस साक्षात्कार से पहले 11 मई को टवीटर के जरिए एक खेल खेला! उन्होंने एक टवीट किया कि जहां एक ओर अगस्ता का शोर है, वहीं वह दिल्ली में अगस्ता व फे का कार्यालय ढूंढने की कोशिश कर रही हैं!
2 इसके जरिए बरखा ने खुद की मासूमियत का ताना बुना कि वह तो अगस्ता के कार्यालय के बारे में भी नहीं जानतीं! उन्हें उसके कार्यालय की खोज के लिए भटकना पड़ रहा है!
3 इससे जो लोग बरखा दत्त को अगस्ता पत्रकार की नजर से देख रहे हैं, उनकी नजर में भी बरखा एक ऐसी निर्दोष पत्रकार थी, जिसे अगस्ता के भारतीय कार्यालय तक का पता नहीं था तो फिर उससे संबंध की बात कहां से आती है?
4 इसका दूसरा मकसद यह था कि जब बरखा द्वारा क्रिश्चियन का साक्षात्कार लाइव हो तो यह दिखे कि बड़ी मेहनत से दर-दर भटकर कार्यालय से सूत्र ढूंढ कर बरखा दत्ता क्रिश्चिन मिशेल के पास पहुंची हैं, ताकिं यह कहीं से नहीं लगे कि क्रिश्चिन से से उनकी पूर्व की मुलाकात है या फिर क्रिश्चिन इन्हें बुलाकर साक्षात्कार दे रहा है।
5 बरखा ने अपने साथ एनडीटीवी के डिफेंस जर्नलिस्ट को sudhi ranjan sen को जानबूझ कर बैठाया है ताकि यह लगे कि क्रिश्चिन का लीड उस डिफेंस जर्नलिस्ट से उन्हें मिला है! सवाल है जब लीड उस डिफेंस जर्नलिस्ट के पास था तो ऐसा तथाकाथित एक्सक्लूसिव व बिग इंटरव्यू वह जर्नलिस्ट ही करता? इतनी बड़ी स्टोरी कोई किसी से नहीं बांटता, यह जर्नलिज्म में सभी जानते हैं!
6 और यदि उस डिफेंस जर्नलिस्ट से ही क्रिश्चिन की लीड मिली तो फिर 11 मई को अगस्ता के दिल्ली कार्यालय की तस्वीर पोस्ट करने का ढोंग क्यों कर रही थीं बरखा?
7 बरखा पहले तो संदेह के घेरे में थी हीं, इस चालाकी से और अधिक संदेह के घेरे में आ गई हैं! तभी तो अगस्ता के दिल्ली कार्यालय की फोटो पोस्ट करने पर किसी ने टवीटर पर उन पर संदेह व्यक्त कर दिया और झल्लाते हुए बरखा ने लिख दिया कि ‘हां मैं अगस्ता पत्रकार हूं आदि आदि! जब आप कोई फुल प्रुफ योजना बनाते हैं और उसमें पकड़े जाते हैं तो ऐसी ही झल्लाहट व्यक्त होती है! आम मनुष्य का स्वभाव है!
अब इंडिया टुडे का खेल समझिए
1 अगस्ता मामले में इंडिया टुडे ग्रुप के कई नामी पत्रकार और यह पूरा ग्रुप ही ईडी की रडार पर है।
2 सूत्रों के अनुसार, ईडी को पता चला है कि नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद 10-15 अगस्त 2015 में इंडिया टुडे के न केवल बड़े बड़े पत्रकार, बल्कि इनके मालिक भी इटली के मिलान शहर गए थे! ईडी यह जांच भी कर रही है कि टुडे का पूरा ग्रुप उसी मिलान शहर क्यों गया, जहां की अदालत में अगस्ता पर केस चल रहा था! इसमें मुकदमे के कंटेंट को पहले ही पता लगाने और उसे प्रभावित करने की कोशिश तो नहीं थी? भारत में सरकार बदलने के बाद कहीं हड़बड़ाहट में तो ये लोग इटली नहीं गए थे, इसकी भी जांच हो रही है!
3 सूत्र बताते हैं कि ईडी इस पूरे ग्रुप पर खर्च हुए फंडिंग के स्रोत का भी पता लगा रही है!
4 संदेह से बचने के लिए ही शायद जब क्रिश्चिन मिशेल के साक्षात्कार लेने की बारी आई तो इस ग्रुप के सभी बड़े अंग्रेजी पत्रकारों के चेहरे, मसलन- राजदीप सरदेसाई, राहुल कंवल, करण थापर आदि की जगह पर्दे के पीछे रहने वाले संजय बरागटा को आगे कर दिया गया ताकि जनता में यह गलतफहमी जाए कि यह लीड संजय बरागटा को मिली थी!
5 बड़े पत्रकारों और क्रिशि्ेचन मिशेल के बीच की डील डॉ सुब्रहमनियन स्वामी राज्यसभा में उठा चुके हैं, इसलिए शायद इंडिया टुडे ग्रप बड़े पत्रकारों को क्रिश्चिन के साक्षात्कार से दूर रखना चाहता था ताकि ‘न्यूज फिक्सिंग‘ या ‘पेड न्यूज‘ जैसा कोई संदेह और संदेश बाहर न जाए!
6 संजय बरागटा के सवाल सुनिए! उन्हें अंग्रेजी ठीक से नहीं आती और बिचौलिए क्रिश्चिन को हिंदी ठीक से नहीं आती! संजय के हाथों में कागज और उससे पूछे जाने वाले प्रश्नों को देखकर आपको पता लग जाएगा कि टुडे ग्रुप ने उन्हें अंग्रेजी में सभी प्रश्न लिखकर दिए थे, लेकिन चूंकि अंग्रेजी बोलने का अभ्यास नहीं है, इसलिए संजय पकड़े जाते हैं और यह स्वाभाविक है!
7 इससे यह संदेह और गहराता है कि क्रिश्चिन मिशेल और इंडिया टुडे ग्रुप में कुछ न कुछ ऐसा संबंध है, जिसे उजागर होने से इंडिया टुडे बचना चाहती है, इसलिए एक हिंदी पत्रकार को अंग्रेज क्रिश्चिन मिशेल का साक्षात्कार लेने के लिए भेज दिया गया!
8 इससे यह भी साबित होता है कि जैसे इंडिया टुडे ने अपना रिपोर्टर तय किया, वैसे ही यह साक्षात्कार मिशेल ने तय किया था! यदि यह साक्षात्कार इंडिया टुडे तय करता तो कोई अंग्रेजी का पत्रकार जाता, न कि हिंदी का?
9 हां, ईडी को यह भी पता लगा है कि एक बेहद वरिष्ठ पत्रकार जो इंडिया टुडे ग्रुप में ही कभी संपादक की हैसियत रखते थे, 2013 में मिशेल के खर्चे पर पत्नी सहित इटली गए थे! उसका सारा खर्च मिशेल ने ही उठाया था!
10 आपको बता दूं कि इस पत्रकार का नाम 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी आया था! दिल्ली- फरीदाबाद बॉर्डर के पास ग्वार पहाड़ी पर स्थित एक फाइव स्टार होटल में इस पत्रकार व उसके परिवार के शेयर का भी पता चला है!
11 साथ ही यह भी पता चला है कि इस पत्रकार का मेहरोली में एक फॉर्म हाउस भी है! और उसी जगह इनका फार्म हाउस है, जहां हथियार डीलिंग में संदिग्ध कुछ अन्य पत्रकारों के भी फॉर्म हाउस हैं!
बता दूं कि यह पत्रकार कभी एक साधारणा शिक्षक हुआ करता था और मामूली स्कूटर पर चलता था! आज उसके फाइव स्टार होटल में शेयर की बात सामने आ रही है! यह है भारत की असली पत्रकारिता!