प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमेशा से हमलावर रही कांग्रेस और उनके अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर लोकतंत्र की हत्या करने का बेबुनियाद आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन कभी भी अपनी दादी यानि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में थोपे गए आपातकाल पर एक शब्द नहीं बोला। लेकिन सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान यह स्वीकार किया है कि 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी गलत थी। उन्होंने स्वीकार किया है कि वह देश का डार्क फेज था। क्या पटेल की इस स्वीकारोक्ति के बाद सोनिया गांधी या राहुल गांधी देश में लगाई गई इमरजेंसी के लिए देश से माफी मांगेंगे?
मुख्य बिंदु
* राजस्थान में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पटेल ने स्वीकार किया कि देश में लगाई गई इमरजेंसी गलत थी
* क्या अब सोनिया और राहुल गांधी स्वीकार करेंगे कि 1975 में देश पर थोपा गया आपातकाल गलत था
इसमे कोई शक नहीं कि अहमद पटेल ने इस ऐतिहासिक भूल को इसलिए स्वीकार किया है ताकि मोदी सरकार पर आधारहीन आरोप लगाया जा सके। उन्होंने असली इमरजेंसी पर माफी मांगते हुए मोदी पर नकली इमरजेंसी लगाने का आरोप लगा दिया। अब जब अहमद पटेल ने यह स्वीकार कर ही लिया है कि इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल सही मायने में लोकतंत्र की हत्या थी, तो क्या अब राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस मामले में देश से माफी मांगेंगे?
ऐसा वह शायद ही करें। क्योंकि नेहरू-गांधी परिवार की यही परंपरा रही है। देश कुछ गलत करने पर माफी तो वे अन्य कांग्रेसी नेताओं से माफी मंगवा देते हैं, जबकि देश में कुछ अच्छा करने का सारा श्रेय वे खुद ले जाते हैं। देश की जनता नेहरू-गांधी परिवार की यह चालाकी समझ चुकी है। इसलिए इंदिरा गांधी द्वारा की गई गलती की माफी भी उनके खानदानी बारिश को मांगनी चाहिए।
मालूम हो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने राजस्थान में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा है मुझे स्वीकार करना चाहिए कि देश में दो डार्क फेज रहे हैं। एक 1975 में लगा आपातकाल और दूसरा 2014 के बाद अघोषित आपातकाल।
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