
मक्का मस्जिद फैसला: हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की कांग्रेसी कोशिश नाकाम!
11 साल पहले 2007 में हैदराबाद स्थित मक्का मस्जिद में हुए बम धमाके के मामले में NIA की विशेष अदालत का फैसला आ गया है, और अदालत ने मुख्य आरोपी असीमानंद समेत सभी पांच आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। NIA Court के इस फैसले से जहां निर्दोष सजा पाने से बच गए वहीं कांग्रेस की ‘हिंदू आतंकवाद’ को स्थापित करने की अवधारणा ही फुस्स हो गई है। हालांकि कोर्ट का फैसला अभी आया है लेकिन वरिष्ठ पत्रकार संदीप देव ने अपनी किताब ‘निशाने पर नरेंद्र मोदी’ में ही कांग्रेस की इस अवधारणा की पोल खोल दी थी!
मुख्य बिंदु
* कांग्रेसी राहुल गांधी, पी. चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे और दिग्विजय सिंह ने गढ़ी हिंदू आतंकवाद की अवधारणा
* सबूत के अभाव में असीमानंद समेत पांचों आरोपियों बाइज्जत बरी होना सच्चाई की है जीत
18 मई 2007 को मक्का मस्जिद में हुए बम धमाके में जहां 9 लोगों की मौत हो गई थी वहीं 58 लोग घायल हो गए थे। शुरुआत में इस घटना की जांच की जिम्मेदारी हैदराबाद पुलिस ने संभाली थी। उन्होंने इस धमाके के पीछे किसी मुस्लिम संगठन (Harkat-ul-Jihad al-Islami) का हाथ बताया था। लेकिन बाद में एक साजिश के तहत घटना को हिंदू आतंकवाद के साथ जोड़ा गया। ध्यान रहे कि तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। हैदरावाद पुलिस की जांच रिपोर्ट को नजरंदाज करते हुए CBI को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इस मामले में सीबीआई ने स्वामी असीमानंद समेत कई लोगों को आरोपी बनाया था। और फिर इस मामले में क्या खेल चला सबको मालूम है?
भगवा आतंकवाद और चिदंबररम की थ्योरी
पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अगस्त 2010 में पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन के दौरान कहा था,’देश के कई बम धमाकों के पीछे भगवा आतंकवाद का हाथ है। भगवा आतंकवाद देश के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहा है।’ चिदंबरम ने कहा था कि भगवा आतंकवाद पर किसी का पेटेंट नहीं है। वह इसके जरिए जो संदेश देना चाहते हैं वह देश भर में चला गया है। उन्होंने तब दावा किया था कि देश के कुछ बम धमाकों के पीछे कट्टरपंथी दक्षिणपंथियों का हाथ है।
सोनिया और राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए
भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने NIA के फैसले के बाद पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग है। उनका कहना है कि हिंदू टेरर थ्योरी कढ़ने के लिए उनके खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। स्वामी ने कहा कि हिंदू टेरर थ्योरी गढ़ने के पीछे बड़ी साजिश थी। इसके तहत पूरे हिंदू समाज पर सवाल उठाया जाने लगा था। वहीं, 2007 के मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों के बरी हो जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता संबिता पात्रा ने कहा है कि पी चिदंबरम और सुशील शिंदे जैसे नेताओं ने ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल कर हिंदुओं का अपमान किया था। पात्रा ने कहा है कि इसके लिए सोनिया और राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी ने कोर्ट के इस फैसले को कर्नाटक चुनावों के लिए अपना हथियार बनाते हुए कहा कि वहां जनता वहां कांग्रेस को हराकर इस अपमान का बदला चुकाएगी।
NIA बहरा और अंधा तोता-ओवैसी
इस फैसले पर ट्वीट करते हुए ओवैसी ने कहा कि NIA ने मामले की सही पैरवी नहीं की। उन्होंने कहा, ‘जून 2014 के बाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस मामले में अधिकतर गवाह अपने बयान से पलट गए। NIA ने केस की पैरवी उम्मीद के मुताबिक नहीं की या फिर ‘राजनीतिक मास्टर’ द्वारा उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया। आपराधिक मामले में जबतक ऐसी पक्षपाती चीजें होती रहेंगी तबतक न्याय नहीं मिलेगा।’
ओवैसी यहीं नहीं रुके और NIA को बहरा और अंधा तोता तक बता डाला। उन्होंने कहा, ‘न्याय नहीं हुआ है। NIA और मोदी सरकार ने आरोपियों को मिली बेल के खिलाफ भी अपील नहीं की। यह पूरी तरह से पक्षपाती जांच थी। इससे आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर हुई है।’
कांग्रेस ने NIA जांच को बताया पक्षपाती
कांग्रेस ने NIA की जांच को पक्षपाती बताया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सभी जांच एजेंसी केंद्र सरकार की कठपुतली बन गई है। इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में हो। उन्होंने कहा कि NIA बीजेपी सरकार के अंदर काम करती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। यहां आगे फिर से अपील की जा सकती है। इस मामले में दर्जनों गवाह अपने बयान से मुकर गए। इस पर सवाल तो खड़े होते ही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
गौरतलब है कि 18 मई 2007 को हुए इस ब्लास्ट में 9 मारे गए थे जबकि 58 घायल हुए थे। बाद में प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिस फायरिंग में भी कुछ लोग मारे गए थे। आपको बता दें कि एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने केस की सुनवाई पूरी कर ली थी। आपको बता दें कि इस मामले में 10 आरोपियों में से आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी पांच आरोपी देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भारत भाई और राजेंद्र चौधरी को कोर्ट ने बरी करने का फैसला सुनाया। इन सभी को मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया था और उनपर ट्रायल चला था।
URL: All accused, including Aseemanand, acquitted in Mecca Masjid blasts
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