पूरी दुनिया में सबसे गंदी , भारत की ही राजनीति है ;
अपने ही धर्म के पक्के-दुश्मन , हिंदू-नेता की यही रीति है ।
कोई डीएनए मिला रहा है , कोई गलियारा बना रहा है ;
कोई मंदिर को लूट रहा है , कोई मंदिर को तोड़ रहा है ।
कानून बनाकर मंदिर लूटे , संविधान से हिंदू ;
किसी तरह से जान बची थी , जो लेगा अब्बासी – हिंदू ।
हमें चाहिये पूर्ण – स्वतंत्रता , हिंदू का उद्घोष हो ;
तत्काल मुक्त हो सारे – मंदिर , गंदी – सत्ता का विनाश हो ।
धर्म – सनातन के प्रतीक हैं , मंदिर और देव -प्रतिमा ;
हर – हालत में हमें चाहिये , हर – मंदिर व हर – प्रतिमा ।
पूरा भारतवर्ष हमारा , हम ही इसके रक्षक हैं ;
पर इस गंदी- राजनीति में , सारे धर्म के भक्षक हैं ।
राजनीति हम शुद्ध करेंगे , कर्तव्य यही हर – हिंदू का ;
नामोनिशां मिटे भारत से , हर अब्बासी – हिंदू का ।
अब्बासी – हिंदू के समर्थक , महामूर्ख सारे हिंदू हैं ;
सही मार्ग पर आना होगा , जो कुमार्ग पर हिंदू हैं ।
सबसे प्रथम धर्म होता है , शेष सभी कुछ बाद में ;
दूसरा नंबर राष्ट्र का आता , देश है इनके बाद में ।
धर्म बचेगा , राष्ट्र बचेगा , देश भी तब बच पायेगा ;
वरना ये अब्बासी – हिंदू , भारत को खा जायेगा ।
हिंदू को देश बचाना है , तो पहले धर्म बचाना है ;
जिसका केवल यही मार्ग है , “हिंदू – राष्ट्र” बनाना है ।
“हिंदू – राष्ट्र” बनेगा भारत , तभी धर्म बच पायेगा ;
तब ही मंदिर हमें मिलेंगे , धर्म का ध्वज फहरायेगा ।
मुंह की खाये अब्बासी – हिंदू , हर-चुनाव में इसे हराओ ;
किसी भी दल का या निर्दल हो,केवल कट्टर-हिंदू ही लाओ।
यदि नहीं मिले ऐसा प्रत्याशी, तब हर-हिंदू “नोटा” करना ;
नब्बे – प्रतिशत भी चुनाव रद्द हों , कोई चिंता मत करना ।
मुट्ठी – भर जो भी जीतेंगे , बहुमत होगा हिंदूवादी ;
मिली जुली सरकार बनेगी , विश्व की पहली हिंदूवादी ।
अबकी हिंदू चूक न जाना , “नोटा” करना भूल न जाना ;
पूर्ण सफाया अब्बासी-हिंदू का, वरना तेरा गला ही कटना ।
कट्टर – हिंदूवादी सत्ता ही , सारे – मंदिर मुक्त करेगी ;
धर्म – सनातन की जो रक्षा , वो मानवता की रक्षा होगी ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”