अर्चना कुमारी । मोहम्मद जुबेर को गिरफ्तार किए जाने के बाद उसका कथित गैंग रिहाई कराने पर आमादा है और इसके लिए उसके समर्थकों ने वकीलों की फौज तैयार कर ली है। सूत्र बताते हैं कि मोहम्मद जुबेर आए दिन धार्मिक भावनाएं भड़काने का काम करता है लेकिन जबरदस्त लॉबिंग के चलते उसका बचाव मुकदमा दर्ज होने के बाद भी जमानत मिलने पर हो जाता है ।
फिलहाल ताजा मामले में उसके वकील ने इस बार अदालत में कहा कि पुलिस जिस तस्वीर के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा रही है, वह दरअसल एक पुरानी हिंदी फिल्म की है। वहीं दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि मोहम्मद जुबैर ने प्रसिद्धि पाने की कोशिश में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए कथित रूप से विवादास्पट ट्वीट का इस्तेमाल किया। जुबेर के वकील का तर्क था कि साल 2018 में एक बॉलिवुड फिल्म” किसी से न कहना” के एक सीन पर ट्वीट किया था।
इस फिल्म में फारूख शेख और दीप्ति नवल मुख्य भूमिकाओं में थे। ऋषिकेश मुखर्जी निर्मित इस फिल्म में एक सीन था ,जिसमें एक ‘हनीमून’ होटल का नाम ‘हनुमान’ होटल कर दिया गया था। जुबैर ने इसी के ऊपर ट्वीट किया था। जुबैर ने इस मूवी क्लिप के हनुमान होटल वाले सीन के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए अपने ट्वीट में लिखा था, ‘2014 से पहले हनीमून होटल और 2014 के बाद हनुमान होटल।’
इसके बाद दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर अरुण कुमार की शिकायत पर जुबैर खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर ‘हनुमान भक्त’ नाम के ट्विटर हैंडल ने जुबैर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया । सूत्र बताते हैं कि जुबेर अक्सर धार्मिक भावनाएं भड़काने का काम करता रहा है उसने हिंदू संतो तथा ज्ञानवापी से लेकर नूपुर शर्मा तक हल्ला बोला लेकिन उसकी गिरफ्तारी २०१८ में कलयुग के भगवान हनुमान पर किये गए ट्वीट के लिए किया गया ।
मोहम्मद जुबेर गलत खबर प्रसारित करने में माहिर बताया जाता है लेकिन उस पर मुकदमा दर्ज होते ही उसे जमानत मिल जाती है । इसलिए गलत खबर प्रसारित किए जाने का उसका हौसला कभी नहीं टूटा। उसने कई खबर गलत ढंग से फैलाई जिसमें गाजियाबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमले को लेकर जुबेर ने जब गलत खबर फैलाई थी तब उसकी आलोचना भी हुई थी लेकिन इस पर भी न्यायालय ने जमानत दे दी । प्रथम दृष्टया लग रहा है कि एक बार फिर यह शातिर जल्दी जमानत लेने में सफल होगा क्योकि जिस प्रकरण में इसे ‘ गिरफ्तार करना था, उसमें नहीं उठाया गया ।
गौरतलब है कि विवादित प्रवृत्ति का मोहम्मद जुबैर एक भारतीय फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक है, जिसकी स्थापना उन्होंने प्रतीक सिन्हा के साथ की थी। दावा तो उसने किया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही फेक न्यूज का सच जनता के सामने लाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। सबसे पहले हिंदू संत यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप खिलाफ अभद्र भाषा बोलने और उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप के चलते उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो द्वारा दायर की गई एक शिकायत के आधार पर जुबैर को पॉक्सो मामले में बुक किया गया था। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने उसी साल सितंबर में पुलिस को जुबैर के खिलाफ मामले में दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बाद से ट्विटर पर #IstandwithMohammadZubair ट्रेंड कर रहा है। राहुल गांधी, शशि थरूर, डेरेक ओ ब्रेन, असदुद्दीन ओवैसी, जयराम रमेश आदि ने भी ट्वीट के माध्यम से ज़ुबैर की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाई है, जिससे इसका बचाव अक्सर हो जाता है ।