
कांग्रेसी आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा को बचाने के लिए CBI निदेशक आलोक वर्मा ने किया था केस कमजोर! आलोक वर्मा पर 530 हजार डॉलर रिश्वत लेने का था आरोप!
सीबीआई के आंतरिक विवाद को लेकर छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का कांग्रेस के साथ साठगांठ की कलई खुलनी शुरू हो गई है। किस प्रकार उन्होंने कांग्रेसी आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा को बचाने के लिए सीबीआई केस को कमजोर किया था वह भी अब सामने आ गया है। ईमानदारी का ढोल पीटने वाले सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के नेतृत्व में दो साल तक जांच के बाद भी सीबीआई आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के खिलाफ कोई ठोस सबूत अदालत के सामने पेश नहीं कर पाई। इसी कारण विशेष सीबीआई कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले को खारिज कर दिया है।
इसी मामले पर वीडियो
जर्मनी आर्म्स कंपनी रेनमेटल एयर डिफेंस (आरएडी) भ्रष्टाचार मामले में स्पेशल कोर्ट ने कांग्रेसी आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को खारिज कर दिया है। रेनमेटल एयर डिफेंस वही कंपनी है जिसे ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के लिए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर सरकारी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 530 हजार डॉलर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था।
आरोप है कि वर्मा ने सरकारी अधिकारियों को इस मामले में प्रभावित कर उसे ब्लैकलिस्ट होने से बचाने में मदद की थी। तभी तो आलोक वर्मा के दो साल तक सीबीआई निदेशक रहने के दौरान अभिषेक वर्मा के खिलाफ सीबीआई कोई सबूत नहीं पेश कर पाई। आरोप है कि इस मामले को जानबूझ कर कमजोर किया गया। जिसका नतीजा सबके सामने है। सीबीआई की विशेष अदालत की जज अंजू बजाज चंदना ने साक्ष्य के अभाव में अभिषेक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खारिज कर दिए।
एक हथियार डीलर होने के साथ ही है अभिषेक वर्मा पुराने कांग्रेसी रहे हैं। उनके साहित्यकार पिता श्रीकांत वर्मा कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजा था। अभिषेक वर्मा का नाम सिर्फ रेनमेटल आर्म कंपनी से नहीं जुड़ी है बल्कि वृश्चिक पनडुब्बी सौदे, अगस्टा वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर रिश्वत घोटाला और नौसेना के युद्ध कक्ष लीक मामले में भी मुख्य संदिग्ध रहे हैं।
गौरतलब है कि अभिषेक वर्मा के खिलाफ जांच के दौरान सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ही थे। आरोप है कि आलोक वर्मा ने इस केस को जानबूझ कर कमजोर किया, ताकि उसके खिलाफ कोई सबूत न मिले। इस मामले में खुद आलोक वर्मा पर भी रिश्वत लेने का आरोप लगा था। तभी तो जैसे ही कोर्ट ने अभिषेक वर्मा के खिलाफ मामला खारिज किया, आलोक वर्मा ने कांग्रेसी पत्रकारों के माध्यम से यह संदेश दिया था कि कोर्ट ने उनके और उनकी पत्नी अंका के खिलाफ दोनों मामले खारिज कर दिए। जबकि सच्चाई यह थी कि उनके खिलाफ कई अन्य मामले लंबित थे। आधिकारिक गोपनीय अधियनम से लेकर जालसाजी तक के मामले लंबित थे।
* सबूत के अभाव में सीबीआई कोर्ट ने आर्म एजेंट अभिषेक वर्मा के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को खारिज कर दिया
* रेनमेटल एयर डिफेंस कंपनी को ब्लैकलिस्ट से बचाने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए कंपनी से पैसे लेने का था आरोप
* सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर भी सरकारी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 530 हजार डॉलर लेने का आरोप लगा था
आलोक वर्मा पर दागी कंपनी को काली सूची मे जाने से बचाने के लिए 530 हजार डॉलर रिश्वत लेने का आरोप लगा था। आलोक वर्मा के खिलाफ रिश्वत मामले का खारिज होना एक प्रकार से सीबीआई के लिए धक्का है। क्योंकि सीबीआई भारत के साथ डिफेंस डील तय करने वाले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के साथ वर्मा के जुड़ाव स्थापित करने में लगी हुई थी। इस मामले के खारिज हो जाने से रेनमेटल कंपनी तथा उसके पूर्व वरिष्ठ अधिकारी गेहार्ड होय के खिलाफ दायर पुराना मामला भी प्रभावित होगा। क्योंकि इनके खिलाफ ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन को रिश्वत देने का भी मामला चल रहा है।
सीबीआई ने अभिषेक वर्मा पर रेनमेटल कंपनी के प्रतिनिधि से मिलकर भारत सरकार के अधिकारियों को प्रभावित करने का आरोप लगया था। सीबीआई के आरोप के मुताबिक प्राइवेट व्यक्ति होने के बाद भी वर्मा ने रेनमेटल को आश्वस्त किया था कि वह सरकारी अधिकारियों से मिलकर उसे भारत में ब्लैकलिस्ट होने से बचाने का प्रयास करेगा। रेनमेटल ने यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन रक्षामंत्री से भी अपनी कंपनी को ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के लिए बात की थी।
मालूम हो कि आर्म्स एजेंट अभिषेक वर्मा के खिलाफ रेनमेटल एयर डिफेंस कंपनी को भारत में ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के लिए उससे रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर मामले को भी खारिज कर दिया है। इस मामले को खारिज करते हुए जज ने साफ कहा कि ‘आर्म्स एजेंटों के खिलाफ सीबीआई की खराब जांच रेकॉर्ड लागातार जारी है।’
यानी साफ है कि सीबीआई निदेशक रहते आलोक वर्मा ने पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित किया। आज यदि राहुल गांधी आलोक वर्मा के लिए तड़प रहे हैं तो शायद इसीलिए कि वह सीबीआई मुख्यालय में सबसे बड़े ओहदे पर बैठे कांग्रेस का खास मोहरा थे!
URL: Alok Verma did not raise evidence against Arm agent Abhishek Verma
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