सीबीआई में आंतरिक कलह और दो शीर्ष अधिकारियों के बीच आरोप प्रत्यारोप से सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को लेकर जो खुलासा हुआ है इससे साफ हो गया है कि वे कांग्रेस और विरोधियों का एक केंद्र बन गए थे। इतना ही नहीं आरोप लगाया गया है कि वे सोनिया गांधी के निवासस्थान 10 जनपथ के इशारे पर ही सारा काम कर रहे थे। आरोप तो यह भी है कि वे कांग्रेस के इशारे पर ही विरोधियों के साथ मिलकर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार को संकट में फंसना चाहते थे। इतना ही नहीं आलोक वर्मा प्रधानमंत्री कार्यालय पर CBI का छापा मार कर नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश में जुटे थे! उन पर जो सबसे बड़ा आरोप है वह यह कि आलोक वर्मा अपने ओहदे का दुरुपयोग कर सोनिया गांधी और उनके संबंधियों का एक प्रकार से कवच बन गए थे। इतना ही नहीं आलोक वर्मा पर कांग्रेस के इशारे पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल का फोन टेप करने का आरोप भी है।
#AlokVerma diluted case against Satender Jain & Kejri gave assurance for support. He tapped phones of Doval,his son,PK Mishra & met Cong leaders before registering FIR against Asthana. https://t.co/7j6uR6pv5s
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) October 24, 2018
आलोक वर्मा व राकेश अस्थाना दोनों कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे। आलोक वर्मा चिदंबरम गिरोह द्वारा संचालित थे, तो अस्थाना अहमद पटेल के संदेसरा ग्रुप से लाभ प्राप्त करने वालों में शामिल थे। कांग्रेस में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने का चिदंबरम का पुराना इतिहास रहा है। यूपीए-२ में प्रणव मुखर्जी की जासूसी कराने में पहले ही उनका नाम सामने आ चुका है।उनका पूरा गिरोह है। यही कारण है कि पीएम मोदी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना, दोनों पर एक साथ सर्जिकल स्ट्राइक कर कांग्रेस के दोनों खेमे पर प्रहार किया है।
दस जनपथ के इशारे पर या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कहने पर काम करने का आरोप तो उनके काम करने के तरीके से भी सही साबित प्रतीत
होता है। आखिर राहुल गांधी को कैसे पता है कि आलोक वर्मा राफेल के कागजात इकट्ठा कर रहे थे? क्या आलोक वर्मा ऐसा राहुल या 10 जनपथ के कहने पर कर रहे थे? क्योंकि यह तो साफ-साफ गोपनीयता का उल्लंघन है। सवाल है आलोक वर्मा और राहुल गांधी के बीच क्या लगातार बातचीत हो रही थी? इसका खुलासा तो खुद राहुल गांधी के इस ट्वीट से होता है!
CBI चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया।
प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा।
देश और संविधान खतरे में हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 24, 2018
राहुल गांधी के उपरोक्त ट्वीट पर उन्हीं की पार्टी से निष्कासित नेता शहजाद पूनावाला ने सवाल किया है कि आखिर राहुल गांधी को कैसे पता कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा राफेल के दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं? राहुल गांधी को निश्चित रूप से इस सवाल का खुलासा करना चाहिए।
How do you know he was investigating Rafale & gathering documents? Was he keeping you updated? #CBIvsCBI https://t.co/8iieH0VsVL
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) October 25, 2018
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में अभी तक चार्जशीट न दाखिल की गई हो या फिर उसी मामले में दुबई में गिरफ्तार मुख्य आरोपी मिशेल के प्रत्यर्पण के मामले को लटकाना रहा हो। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में चार्जशीट न दाखिल करने की बात हो या उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई को सुस्त करना हो। लालू प्रसाद यादव के आईआरसीटी (रेलवे होटल) घोटाला मामले में विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को जांच करने से रोकना हो या फिर बिकानेर जमीन घोटाले में राबर्ट वाड्रा की जांच रोकने का मामला हो। इन सारे मामलों में आलोक वर्मा पर सोनिया गांधी से लेकर उनके संबंधियों या उनके नजदीकी सहयोगियों को बचाने का आरोप है।
अगस्ता वेस्टलैंड में अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं क्यों?
अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में भ्रष्टाचार साबित होने के बाद भी आजतक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। आरोप है कि इसके पीछे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का ही हाथ बताया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इस घोटाले में सीधे तौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम आया है। इतना ही नहीं इस घोटाले के मुख्य आरोपी (बिचौलिया) क्रिश्चियन मिशेल दुबई में गिरफ्तार किया गया। सीबीआई और ईडी के संयुक्त प्रयास की वजह से दुबई की अदालत ने उसके प्रत्यर्पण की भी मंजूरी दे दी थी। लेकिन अंत में उसका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया। जबकि मिशेल ने भारतीय अधिकारियों के सामने स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी का नाम लिया था। लेकिन अंत में उनका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया। आरोप है कि कांग्रेस के दबाव के कारण ही आलोक वर्मा ने उनका प्रत्यर्पण नहीं होने दिया।
एयरसेल मैक्सिस मामले में पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट नहीं
एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में भी अभी तक पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं होने के पीछे आलोक वर्मा का ही हाथ बताया जा रहा है। आरोप है कि आलोक वर्मा पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर कांग्रेस आलाकमान को नाराज नहीं करना चाहते थे। जबकि ईडी और सीबीआई जांच के बाद यह करीब-करीब साबित हो चुका है कि पी चिदंबरम ने अपने बेटे को आर्थिक फायदा पहुंचाने के एबज में एयरसेल मैक्सिस कंपनी को अवैध तरीके 3,500 करोड़ रुपये के लिए एफआईपीबी की मंजूरी दी थी। जबकि यह काम आर्थिक मामले की कैबिनेट कमेटी का है। लेकिन चिदंबरम ने उसकी सहमति के बगैर ही मंजूरी दे दी थी। इसके बाद भी अभी तक सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है।
पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई रोकने का आरोप
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर न केवल पी चिदंबरम को बचाने का आरोप लगाया गया है बल्कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चल रही कार्रवाई को भी रोकने का आरोप है। मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम से आईएनएक्स मीडिया मामले में ईडी ने कई बार पूछताछ की है। ईडी के प्रयास से उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है, लेकिन सीबीआई ने उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। कार्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के लिए आलोक वर्मा को ही जिम्मेदारा माना जाता है।
आईआरटीसी घोटाले में लालू प्रसाद यादव को बचाने का आरोप
यथावत के संपादक राम बहादुर राय ने अपने आलेख में एक जगह है लिखा है कि अगर लालू प्रसाद यादव रेलवे मंत्री नहीं बनाए गए होते तो उन्होंने अपने परिवार के लिए जो संपत्ति अर्जित की ही है वह नहीं कर पाते। राय की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता ही उनकी पत्रकारिता की थाती रही है। अगर उन्होंने ये बात लिखी है तो समझा जा सकता है कि लालू यादव ने किस हद तक घोटला में संलिप्त होंगे? हालांकि उसका खुलासा बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी कर दिया है। ऐसे भ्रष्टाचारी को बचाने का आरोप आलोक वर्मा पर है। आरोप है कि जब विशेष निदेशक राकेश अस्थाना आईआरटीसी घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव की जांच कर रहे थे तो आलोक वर्मा ने उन्हें लालू प्रसाद यादव की जांच करने से रोक दिया था। कांग्रेस तो कांग्रस उसके नजदीकी सहयोगियों को भी बचाने का आरोप आलोक वर्मा पर लगता रहा है।
बिकानेर जमीन घोटाला मामले में राबर्ट वाड्रा के खिलाफ आगे नहीं बढ़ने दी जांच
बलात छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को भी बचाने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि बिकानेर में एक जमीन घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा का नाम आया था। इस मामले की जांच सीबीआई को करनी थी। लेकिन आलोक वर्मा ने उस जांच को आगे ही नहीं बढ़ने दिया।
आलोक वर्मा अधिकांश भ्रष्टाचारी के पक्ष में खड़े दिखते हैं। आरोप है कि उन्होंने ही दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच को रोक दिया। आलोक वर्मा द्वारा जांच रोके जाने के कारण आज तक उसके खिलाफ जांच पूरी नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं आलोक वर्मा कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के लिए एक केंद्र बन गए थे। वे हमेशा से प्रशांत भूषण के संपर्क में रहे हैं। आरोप तो यह भी है कि आलोक वर्मा के कहने पर ही प्रशांत भूषण ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर उनकी सीबीआई के विशेष निदेशक के पद पर हुई नियुक्ति को लेकर सवाल उठाया था। कहा तो यहां तक जाता है कि वर्मा द्वारा उपलब्ध दस्तावेज के आधार पर ही प्रशांत भूषण ने अस्थाना के खिलाफ स्टर्लिंग बायोटेक मामले से लेकर मोईन कुरैशी से संबंध के मामले को उछाला था।
आलोक वर्मा पर आरोप है कि राफेल डील मामले में प्रशांत भूषण, अरुण शौरी तथा यशवंत सिन्हा के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है। इन तिकड़ी ने सीबीआई को लिखी 132 पेज की चिट्ठी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में इनलोगों की मंशा पर पानी फेर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की प्रक्रिया पर सुनवाई की बात करते हुए इनलोगों की साजिश का बेड़ा गर्क कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट से लात पड़ने के बाद ही इन लोगों ने आलोक वर्मा के माध्यम से सीबीआई के बहाने इस मसले को उठाने की योजना बनाई। आरोप है कि आलोक वर्मा कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के मुखौटा भर रह गए थे। वे मोदी सरकार को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गहरे संकट में डालना चाहते थे, ताकि कांग्रेस को राजनीतिक रूप से भी लाभ मिल सके।
बलात छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा अभी भी चुप नहीं बैठे हैं। वह अभी भी अपना पत्ता चल रहे हैं। दरअसल वे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन से दोबारा अपना ओहदा पाने के फिराक में हैं। दरअसल वे पीएमओ (भास्कर खुलबे और पीके मिश्रा) से टकराने का मन बना चुके हैं। जिस प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय (राजेंद्र कुमार) पर रेड डाला गया था। उनकी योजना पीएमओ में रेड डालने की थी।
Sacked #CBI chief Alok Kr Verma seeks #Congress and #AAP support to get back into the agency. The support, he wants, is to actually take on PMO (Bhaskar Khulbe, PK Mishra). Like Chief Minister Office (Rajendra Kumar) in #Delhi was raided, plan was to raid PMO.
— Sumit Kumar Singh (@invincibleidea) October 25, 2018
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